Republic Day 2019: इस शख्स की वजह से भारत को मिला 'तिरंगा', जानिए राष्ट्रीय ध्वज से जुड़ी 10 रोचक बातें

आज जो तिरंगा देश में फहराया जाता है और जिसे देश का राष्ट्रध्वज माना जाता है उसे बनाने का सारा श्रेय आंध्रप्रदेश के 'पिंगली वैंकैया' को जाता है. वर्तमान में जो तिरंगा फहराया जाता है उसे 22 जुलाई 1947 को आयोजित भारतीय संविधान सभा की एक बैठक के दौरान राष्ट्रीय ध्वज के तौर पर अपनाया गया था.

भारत का राष्ट्रध्वज 'तिरंगा' (Photo Credits: Facebook)

Republic Day 2019: देशभर में 26 जनवरी (26th January)  यानी गणतंत्र दिवस के जश्न की तैयारियां जोरों पर हैं. इस साल 26 जनवरी के दिन पूरा देश 70वां गणतंत्र दिवस मनाने जा रहा है. यह एक ऐसा राष्ट्रीय पर्व है जो हर हिंदुस्तानी के लिए बेहद खास है. गणतंत्र दिवस के मौके पर भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (Ramnath Kovind) राजपथ पर तिरंगा (Indian Flag) फहराएंगे, इसके बाद सामूहिक रूप से खड़े होकर राष्ट्रगान गाया जाएगा और 21 तोपों की सलामी दी जाएगी. इसके साथ ही दिल्ली के राजपथ पर भारतीय थल सेना, वायु सेना और नौसेना के जवानों द्वारा भव्य परेड का आयोजन किया जाएगा.

अगर बात करें भारत के राष्ट्रध्वज यानी तिरंगे की, तो हर हिंदुस्तानी तिरंगे की शान को बरकरार रखने के लिए अपनी जान तक कुर्बान करने को तैयार हो जाता है. खासकर, गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस के मौके पर हर हिंदुस्तानी तिरंगे के रंगों में रंगा हुआ नजर आता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर किसकी वजह से भारत को तिरंगा मिला और क्या है इस तिरंगे से जुड़ी दिलचस्प कहानी? चलिए जानते हैं.

किसने बनाया था तिरंगा?

आज जो तिरंगा देश में फहराया जाता है और जिसे देश का राष्ट्रध्वज माना जाता है उसे बनाने का सारा श्रेय आंध्रप्रदेश के 'पिंगली वैंकैया' को जाता है. उन्होंने ही तिरंगे का डिजाइन बनाया था. साल 1963 में उनका निधन हुआ था और उनकी मौत के 46 साल बाद डाक टिकट जारी करके उन्हें सम्मान दिया गया था.

तिरंगा कैसे बना राष्ट्रध्वज?

वर्तमान में जो तिरंगा फहराया जाता है उसे 22 जुलाई 1947 को आयोजित भारतीय संविधान सभा की एक बैठक के दौरान राष्ट्रीय ध्वज के तौर पर अपनाया गया था. 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजों से भारत को आजादी मिलने से कुछ दिन पहले ही तिरंगे को राष्टध्वज के तौर पर अपना लिया गया था.  यह भी पढ़ें: Republic Day 2019: आजादी से पहले 26 जनवरी को मनाया जाता था स्वतंत्रता दिवस, जानें क्यों भारत के हर नागरिक के लिए बेहद खास है यह दिन?

तिरंगे से जुड़ी रोचक बातें-

1- भारत के राष्ट्रीय ध्वज में इस्तेमाल होने वाले तीन रंगों केसरिया, सफेद और हरे रंग की वजह से इसे तिरंगा कहकर संबोधित किया जाता है.

2- तिरंगे में जब चरखे की जगह 'अशोक चक्र' लिया गया तो राष्ट्रपिता महात्मा गांधी नाराज हो गए थे और उन्होंने कहा था कि वे अशोक चक्र वाले तिरंगे को सलाम नहीं करेंगे.

3- संसद भवन देश का इकलौता ऐसा भवन है जहां एक साथ तीन तिरंगे फहराए जाते हैं.

4- भारत में 'फ्लैग कोड ऑफ इंडिया' यानी भारतीय ध्वज संहिता नाम का एक कानून है, जिसमें तिरंगा फहराने से जुड़े कुछ नियम-कानून निर्धारित किए गए हैं.

5- अगर कोई फ्लैग कोड ऑफ इंडिया के तहत गलत तरीके से तिरंगा फहराने का दोषी पाया जाता है तो उसे जेल हो सकती है. इस अपराध के लिए व्यक्ति को तीन साल की सजा भगुतने के साथ जुर्माना भी भरना पड़ सकता है.

6- तिरंगे पर कुछ भी बनाना या लिखना गैरकानूनी है. इसके अलावा किसी भी हालत में तिरंगा जमीन पर टच नहीं होना चाहिए.

7- किसी भी दूसरे ध्वज को राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा से ऊंचा या ऊपर नहीं लगाया जा सकता और न ही तिरंगे के बराबर किसी ध्वज को रखा जा सकता है.

8- भारतीय संविधान के अनुसार, जब किसी राष्ट्र विभूति का निधन होता है तो राष्ट्रीय शोक घोषित किए जाने के बाद कुछ समय के लिए ध्वज को झुका दिया जाता है. जैसे ही पार्थिव शरीर उस भवन से बाहर निकाला जाता है वैसे ही ध्वज को फिर से फहरा दिया जाता है.

9- लोगों को अपने घरों या ऑफिस में गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस के अलावा आम दिनों में भी तिरंगा फहराने की अनुमति 22 दिसंबर 2002 के बाद मिली.

10- किसी भी गाड़ी के पीछे, बोट या प्लेन में तिरंगे का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. इसका इस्तेमाल किसी बिल्डिंग को ढंकने के लिए करना वर्जित है. इसके साथ ही तिरंगे का इस्तेमाल किसी भी प्रकार के यूनिफॉर्म या सजावट के सामान के लिए नहीं किया जा सकता. यह भी पढ़ें: गणतंत्र दिवस 2019 परेड की रिहर्सल को लेकर आज से हर रोज 3 घंटे बंद रहेगा राजपथ, देखें कौन-कौन से रास्ते रहेंगे बाधित

देश के लिए जान देने वाले शहीदों और देशहित में कार्य करने वाली महान शख्सियतों को मृत्यु के उपरांत तिरंगे में लपेटा जाता है. इस दौरान केसरिया पट्टी सिर की तरफ और हरी पट्टी पैरों की तरफ होनी चाहिए. हालांकि शवों के साथ तिरंगे को जलाया या दफनाया नहीं जाता, बल्कि उसे हटाकर बाद में गोपनीय तरीके से सम्मानपूर्वक जलाया जाता है या फिर उसमें वजन बांधकर किसी पवित्र नदी में जल समाधि दे दी जाती है.

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