Ratha Saptami 2020: जानें कब है रथ सप्तमी, शुभ मुहूर्त, धार्मिक तथा वैज्ञानिक महत्व
वैज्ञानिक मान्यतानुसार जब सूर्य की किरणें हमारी त्वचा को स्पर्श करती हैं, तो त्वचा का लहू इन किरणों से आवश्यक विटामिन-डी प्राप्त करता है. विटामिन-डी हमारे शरीर के सुरक्षा तंत्र व अस्थियों को मजबूत करने के लिए आवश्यक है.
Ratha Saptami 2020: वैदिक धर्म के अनुसार हर वर्ष माघ मास के शुक्लपक्ष की सप्तमी को रथ सप्तमी का पर्व मनाया जाता है. विभिन्न स्थानों पर यह ‘अचला सप्तमी’ अथवा ‘आरोग्य सप्तमी’ के नाम से भी जाना जाता है. मान्यता है कि इस दिन प्रत्यक्ष देव भगवान भास्कर का पूरे विधि-विधान से किए गए पूजन से सूर्यदेव प्रसन्न होकर सुख, शांति एवं आजीवन आरोग्य रहने का आशीर्वाद प्रदान करते हैं.
वैज्ञानिकों का भी मानना है कि सूर्य की किरणों में उपस्थित ‘विटामिन डी’ हमारे शरीर के सुरक्षा तंत्र एवं अस्थियों को मजबूती प्रदान करता है. आइये जानें, रथ सप्तमी के महात्म्य, पूजा विधि एवं इससे प्राप्त आरोग्य के तथ्यों का रहस्य! अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस वर्ष रथ सप्तमी 1 फरवरी को मनाया जायेगा.
पूजा विधान:
रथ सप्तमी के दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान ध्यान करके उदय होते सूर्य का दर्शन एवं 'ॐ घृणि सूर्याय नम:' का जाप करते हुए लाल फूल एवं अक्षत मिले जल से सूर्य को अर्घ्य दें. इसके पश्चात लाल रंग के आसन पर बैठकर पूर्व सूर्योदय वाली दिशा अर्थात पूर्व की ओर मुख करके इस मंत्र का 108 बार जप करें.
''एहि सूर्य सहस्त्रांशो तेजोराशे जगत्पते।
अनुकम्पय मां भक्त्या गृहणाध्र्य दिवाकर।।''
मान्यता है कि सूर्य की इस उपासना से सारे पापों का नाश होता है और सुख-समृद्धि तथा अच्छी सेहत का यथाशीघ्र लाभ प्राप्त होता है. नित सूर्योपासना करने से शरीर में नयी ऊर्जा का संचार होता है, जिसके कारण आप सफलता के मार्ग पर तेजी से अग्रसित होते हैं.
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धार्मिक महात्म्य:
रथ पंचमी के दिन प्रातःकाल सूर्योदय से पूर्व किसी पवित्र नदी अथवा जलाशय में स्नान करके सूर्य को दीप दान करना श्रेष्ठ फलदायी माना जाता है. भविष्य पुराण में उल्लेखित एक कथा के अनुसार एक गणिका जिसने कभी किसी भी तरह का दान-पुण्य नहीं किया था. एक ऋषि ने उसे बताया कि इस दिन किसी नदी अथवा पवित्र सरोवर में स्नान कर सूर्यदेव को दीप दान करें तो महान पुण्य की प्राप्ति होती है. गणिका ने ऋषि के बताये अनुसार माघी सप्तमी का व्रत किया. इसका परिणाम यह हुआ कि देह त्यागने के बाद उसे इन्द्र की अप्सराओं का प्रधान बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ.
क्यों कहते हैं आरोग्य सप्तमी:
विभिन्न वेदों, पुराणों एवं योगशास्त्रों में इस संदर्भ में विस्तार से वर्णित है कि सूर्य की किरणों में रोग निवारण शक्ति होती है. शरीर को निरोग बनाये रखने के लिए सूर्य सप्तमी अथवा आरोग्य सप्तमी के दिन विभिन्न प्रकार से सूर्योपासना की जाती है. मान्यता है कि सूर्योपासना से मोक्ष की भी प्राप्ति होती है.
रथ सप्तमी का मुहूर्त:
माघ शुक्लपक्ष सप्तमी प्रारंभः 31 जनवरी 2020, (शनिवार) 15:50 बजे से.
आरोग्य सप्तमी के वैज्ञानिक पहलू:
वैज्ञानिक मान्यतानुसार जब सूर्य की किरणें हमारी त्वचा को स्पर्श करती हैं, तो त्वचा का लहू इन किरणों से आवश्यक विटामिन-डी प्राप्त करता है. विटामिन-डी हमारे शरीर के सुरक्षा तंत्र व अस्थियों को मजबूत करने के लिए आवश्यक है. अमूमन सूर्य की किरणें पीले रंग की दिखती हैं, लेकिन इन किरणों में सात रंग लाल, पीला, नीला, हरा, बैंगनी, श्याम एवं नारंगी रंग का समावेश होता है. ये सभी रंग अपने-अपने गुणों से हमारे शरीर की सुरक्षा करते हैं.
माघ शुक्लपक्ष सप्तमी समाप्तः 01 फरवरी 2020, (रविवार) 18:08 बजे तक
नोट- इस लेख में दी गई तमाम जानकारियों को प्रचलित मान्यताओं के आधार पर सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है और यह लेखक की निजी राय है. इसकी वास्तविकता, सटीकता और विशिष्ट परिणाम की हम कोई गारंटी नहीं देते हैं. इसके बारे में हर व्यक्ति की सोच और राय अलग-अलग हो सकती है.