Pitru Paksha 2024: इस दिन से शुरु हो रहा है पितृ पक्ष, देखें श्राद्ध-तर्पण और पिंडदान के लिए 16 तिथियों की पूरी लिस्ट

इस साल भाद्रपद मास की पूर्णिमा तिथि 17 सितंबर की सुबह 11.44 बजे से हो रही है और इसी दिन से श्राद्ध पक्ष शुरु हो रहे हैं. पितृ पक्ष के दौरान 15 से 16 दिनों तक लोग अपने पितरों के लिए तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान जैसे कर्म करते हैं.

पितृ पक्ष 2024 (Photo Credits: File Image)

Pitru Paksha 2024 Tithis: दस दिवसीय गणशोत्सव (Ganeshotsav) के समापन के बाद भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से पितृ पक्ष की शुरुआत हो जाती है. इस साल भाद्रपद मास की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 17 सितंबर की सुबह 11.44 बजे से हो रही है और इसी दिन से श्राद्ध पक्ष शुरु हो रहे हैं. पितृ पक्ष (Pitru Paksha) के दौरान 15 से 16 दिनों तक लोग अपने पितरों के लिए तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान जैसे कर्म करते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पितृ पक्ष के दौरान पितरों का निवास धरती पर होता है. ऐसे में पितरों के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान किया जाता है. इसके अलावा जिन लोगों की कुंडली में पितृ दोष होता है, वो भी पितृ दोष की शांति के लिए पितृ पक्ष में उपाय कर सकते हैं और अपने नाराज पितरों को प्रसन्न कर सकते हैं. इस लेख के जरिए आइए एक नजर डालते हैं श्राद्ध-तर्पण और पिंडदान के लिए 16 तिथियों की पूरी लिस्ट...

कब से कब तक है पितृ पक्ष?

इस साल पितृ पक्ष की शुरुआत 17 सितंबर 2024 को भाद्रपद पूर्णिमा तिथि से हो रही है, जबकि इसका समापन 2 अक्टूबर 2024 को सर्वपितृ अमावस्या यानी अश्विन अमावस्या के दिन होगा.

पितृ पक्ष 2024 श्राद्ध की तिथियां

पूर्णिमा श्राद्ध: 17 सितंबर, मंगलवार

भाद्रपद पूर्णिमा तिथि: 17 सितंबर 11:44 AM से 18 सितंबर को 08:04 AM तक.

प्रतिपदा श्राद्ध: 18 सितंबर, बुधवार

आश्विन कृष्ण प्रतिपदा तिथि: 18 सितंबर को 08:04 AM से 19 सितंबर को 04:19 AM तक.

द्वितीया श्राद्ध: 19 सितंबर, गुरुवार

आश्विन कृष्ण द्वितीया तिथि: 19 सितंबर को 04:19 AM से 20 सितंबर को 12:39 AM तक.

तृतीया श्राद्ध: 20 सितंबर, शुक्रवार

आश्विन कृष्ण तृतीया तिथि: 20 सितंबर को 12:39 AM से 09:15 PM तक.

चतुर्थी श्राद्ध, महाभरणी: 21 सितंबर, शनिवार

आश्विन कृष्ण चतुर्थी तिथि: 20 सितंबर को 09:15 PM से 21 सितंबर को 6:13 PM तक.

पंचमी श्राद्ध: 22 सितंबर, रविवार

आश्विन कृष्ण पंचमी तिथि: 21 सितंबर को 6:13 PM से 22 सितंबर को 03:43 PM तक.

षष्ठी श्राद्ध और सप्तमी श्राद्ध: 23 सितंबर, सोमवार

आश्विन कृष्ण षष्ठी तिथि: 22 सितंबर को 03:43 PM से 23 सितंबर को 01:50 PM तक.

अष्टमी श्राद्ध: 24 सितंबर, मंगलवार

आश्विन कृष्ण सप्तमी तिथि: 23 सितंबर को 01:50 PM से 24 सितंबर को 12:38 PM तक.

आश्विन कृष्ण अष्टमी तिथि: 24 सितंबर को 12:38 PM से 25 सितंबर को 12:10 PM तक.

नवमी श्राद्ध, मातृ नवमी: 25 सितंबर, बुधवार

आश्विन कृष्ण नवमी तिथि: 25 सितंबर को 12:10 PM से 26 सितंबर को 12:25 PM तक.

दशमी श्राद्ध: 26 सितंबर, गुरुवार

आश्विन कृष्ण दशमी तिथि: 26 सितंबर को 12:25 PM से 27 सितंबर को 01:20 PM तक.

एकादशी श्राद्ध: 27 सितंबर, शुक्रवार

आश्विन कृष्ण एकादशी तिथि: 27 सितंबर को 01:20 PM से 28 सितंबर को 02:49 PM तक.

द्वादशी श्राद्ध, मघा श्राद्ध: 29 सितंबर, रविवार

आश्विन कृष्ण द्वादशी तिथि: 28 सितंबर को 02:49 PM से 29 सितंबर को 04:47 PM तक.

त्रयोदशी श्राद्ध: 30 सितंबर, सोमवार

आश्विन कृष्ण त्रयोदशी तिथि: 29 सितंबर को 04:47 PM से 30 सितंबर को 07:06 PM तक.

चतुर्दशी श्राद्ध: 1 अक्टूबर, मंगलवार

आश्विन कृष्ण चतुर्दशी तिथि: 30 सितंबर को 07:06 PM से 1 अक्टूबर को 09:39 PM तक.

सर्व पितृ अमावस्या, अमावस्या श्राद्ध: 2 अक्टूबर, बुधवार

आश्विन कृष्ण अमावस्या तिथि: 1 अक्टूबर को 09:39 PM से 3 अक्टूबर को 12:18 AM तक.

कब करें किसका श्राद्ध?

भाद्रपद पूर्णिमा से लेकर आश्विन अमावस्या तक पितृ पक्ष में 16 तिथियां होती हैं. ऐसे में जिस तिथि पर जिस व्यक्ति का निधन हुआ होता है, उसके लिए श्राद्ध कर्म पितृ पक्ष में उसी तिथि को किया जाता है. जैसे अगर किसी व्यक्ति का निधन किसी भी पक्ष की चतुर्थी तिथि को हुआ हो तो उसके लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान पितृ पक्ष में चतुर्थी तिथि को किया जाएगा.

अगर किसी व्यक्ति के निधन की तिथि न पता हो तो उसके लिए भी पितृ पक्ष में कुछ तिथियां निर्धारित हैं. जैसे अगर किसी मृत पुरुष की तिथि नहीं पता हो तो इसके लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान सर्व पितृ अमावस्या के दिन करना चाहिए. अगर वह महिला है तो उसका श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान मातृ नवमी के दिन किया जाना चाहिए. किसी मृत बच्चे के लिए निमित्त श्राद्ध कर्म पंचमी तिथि को किया जा सकता है.

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