Parivartini Ekadashi 2019: परिवर्तिनी एकादशी पर शयन करते हुए करवट बदलते हैं भगवान विष्णु, वामन अवतार की होती है पूजा, जानें पूजा विधि और महत्व

कहा जाता है कि परिवर्तिनी एकादशी के दिन ही राजा बलि ने भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा की थी और प्रसन्न होकर श्रीहरि के वामन अवतार ने राजा बलि की मनोकामनाएं पूर्ण की थी. इस दिन भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा बहुत धूमधाम से की जाती है. इसे जलझूलनी एकादशी और वामन एकादशी के नाम से भी जाना जाता है.

परिवर्तिनी एकादशी 2019 (Photo Credits: YouTube/Facebook)

Parivartini Ekadashi: पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, चार मास के लिए जब भगवान विष्णु (Lord Vishnu) गहन निद्रा में जाते हैं तो भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि को श्रीहरि क्षीरसागर में शयन करते हुए करवट बदलते हैं, इसलिए इस एकादशी को परिवर्तिनी एकादशी (Parivartini Ekadashi) कहा जाता है. परिवर्तिनी एकादशी आज (9 सितंबर 2019) को मनाई जा रही है. इसे जलझूलनी एकादशी (Jaljhulani Ekadashi) और वामन एकादशी (Vaman Ekadashi) के नाम से भी जाना जाता है. कहा जाता है कि परिवर्तिनी एकादशी के दिन ही राजा बलि (Raja Bali) ने भगवान विष्णु के वामन अवतार (Vaman Avtar) की पूजा की थी और प्रसन्न होकर श्रीहरि के वामन अवतार ने राजा बलि की मनोकामनाएं पूर्ण की थी. इस दिन भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा बहुत धूमधाम से की जाती है.

इस दिन भगवान विष्णु के निमित्त व्रत रखने और विधि-विधान से उनकी पूजा-अर्चना करने का विधान है. इस दिन सात प्रकार के अनाजों को मिट्टी के बर्तन में भरकर रखना चाहिए और अगले दिन बर्तन समेत उन अनाजों का दान करना चाहिए. चलिए जानते हैं परिवर्तनी एकादशी की व्रत कथा, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त.

शुभ मुहूर्त- 

एकादशी प्रारंभ- 8 सितंबर की रात 10.41 बजे से,

एकादशी समाप्त- 10 सितंबर मध्य रात्रि 12.31 बजे तक.

पारण का समय- 10 सितंबर सुबह 7.04 से 8.13 बजे तक.

पूजा विधि-

व्रत कथा-

परिवर्तिनी या वामन एकादशी की कथा इस प्रकार है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, त्रेतायुग में बलि नाम का एक दैत्य राजा हुआ करता था. वह बहुत दयालु, दानी और सत्यवादी थी. राजा बलि अपने कठिन तप और यज्ञ के बल पर अधिक शक्तिशाली हो गया और उसने अपनी शक्ति से देवराज इंद्र की गद्दी छीन ली. इंद्रलोक पर राजा बलि ने अपना अधिकार जमा लिया, जिसके बाद देवताओं ने भगवान विष्णु से मदद के लिए गुहार लगाई. भगवान विष्णु ने देवताओं की मदद के लिए वामन अवतार लिया. वामन अवतार में भगवान विष्णु राजा बलि के पास पहुंचे और बलि से तीन पग भूमि मांगी.

दानी राजा बलि ने वामन को तीन पग भूमि लेने की आज्ञा दे दी. इसके बाद वामन भगवान ने पहले पग में भूमि, दूसरे पग में आकाश नाप लिया. जब तीसरे पग के लिए कुछ नहीं बचा तब राजा बलि ने अपना सिर उनके पैरों के नीचे रख दिया. इस तरह राजा बलि पर भी भगवान विष्णु का अधिकार हो गया. भगवान विष्णु राजा बलि को पाताल लोक ले गए, जहां राजा बलि ने भगवान विष्णु से पाताल लोक का पहरेदार बनने की विनती की. भाद्रपद महीने के शुक्लपक्ष की एकादशी तिथि को ही वामन भगवान ने राजा बलि की मनोकामना पूर्ण की थी, इसलिए इस दिन को परिवर्तिनी एकादशी, जलझूलनी या वामन एकादशी के नाम से जाना जाता है.

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