Krishna Janmashtami 2019: मथुरा के कृष्ण जन्मभूमि मंदिर में 24 अगस्त को मनाया जाएगा कान्हा का जन्मोत्सव, रंगबिरंगी लाइटों से सराबोर हुई यह पावन नगरी
भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली मथुरा के कृष्ण जन्मभूमि मंदिर में जन्माष्टमी का त्योहार 24 अगस्त (शनिवार) को मनाया जा रहा है. सदियों पुराने कृष्ण जन्मभूमि मंदिर को हिंदुओं का मुख्य तीर्थ स्थान माना जाता है. जन्माष्टमी के पर्व को धूमधाम से मनाने के लिए इस मंदिर को रंग-बिरंगी लाइटों से सजाया गया है और पूरी मथुरा नगरी कान्हा के रंग में सराबोर नजर आ रही है.
Happy Krishna Janmashtami 2019: जन्माष्टमी (Janmashtami) का पर्व देश के तमाम कृष्ण (Lord Krishna) भक्तों के लिए बेहद खास होता है. इस बार 23 और 24 अगस्त को दो दिन तक जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जा रहा है. कई लोगों ने आज जन्माष्टमी का व्रत रखता है तो कई लोग कल (शनिवार) को जन्माष्टमी मनाएंगे. बात करें भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली मथुरा (Mathura) की तो मथुरा के कृष्ण जन्मभूमि मंदिर (Krishna Janmbhoomi Mandir) में जन्माष्टमी का त्योहार 24 अगस्त (शनिवार) को मनाया जा रहा है. सदियों पुराने कृष्ण जन्मभूमि मंदिर को हिंदुओं का मुख्य तीर्थ स्थान माना जाता है. कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण भगवान श्रीकृष्ण के प्रपौत्र यानी प्रद्युम्न के बेटे अनिरुद्ध के पुत्र ने करवाया था. कान्हा के जन्मोत्सव को धूमधाम से मनाने के लिए इस प्राचीन मंदिर को रंग-बिरंगी लाइटों से सजाया गया है.
दरअसल, जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर देश और दुनिया से लाखों भक्त कृष्ण जन्मभूमि मंदिर में कान्हा के जन्मोत्सव को मनाने के लिए आते हैं. इस दिन मथुरा कान्हा की भक्ति से सराबोर हो जाती है और दिवाली जैसा माहौल नजर आता है.
इसी स्थान पर हुआ था श्रीकृष्ण का जन्म
कृष्ण जन्मभूमि मंदिर के अंदर जेल कक्ष नुमा एक गर्भगृह बना हुआ है. ऐसा कहा जाता है कि इसी स्थान पर कंस ने भगवान श्रीकृष्ण की माता देवकी और पिता वासुदेव को कैद करके रखा था. भाद्रपद महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में इसी स्थान पर भगवान श्रीकृष्ण ने जन्म लिया था. मंदिर परिसर में एक छोटा तीर्थ मंदिर है जहां गहनों से सजे भगवान श्रीकृष्ण विराजमान हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस स्थान पर मंदिर का निर्माण सबसे पहले श्रीकृष्ण के प्रपौत्र वज्रनाभ ने काराया था. इस मंदिर को तीन बार तोड़ा जा चुका है और करीब चार बार बनाया जा चुका है. इस मंदिर में कृष्ण के जीवन से संबंधित दृश्यों के चित्र और राधा-कृष्ण की प्यारी प्रतिमाएं नजर आती हैं.
रंग-बिरंगी लाइटों से गुलजार कृष्ण जन्मभूमि मंदिर
फूलों और लाइटों से सजाया जाता है मंदिर
जन्माष्टमी के पावन अवसर पर मथुरा नगरी कान्हा के रंग में रंगी नजर आती है और यहां स्थित तमाम कृष्ण मंदिरों को रंग-बिरंगी लाइटों और फूलों से सजाया जाता है. कान्हा के जन्मोत्सव के लिए कृष्ण जन्मभूमि मंदिर को फूलों और रत्नों से सजाया जाता है. इस परिसर में स्थित श्रीकेशवदेव मंदिर में विविध प्रकार के पुष्प, रत्न और वस्त्रों से निर्मित भव्य बंगले में ठाकुर जी विराजमान होते हैं. यहां धूमधाम से कान्हा का जन्मोत्सव मनाया जाता है. यह भी पढ़ें: जन्माष्टमी कब है? 23 या 24 अगस्त किस दिन मनाया जाएगा ये त्योहार, जानिए कान्हा के जन्मोत्सव का महात्म्य, पूजा विधि, मंत्र और शुभ मुहूर्त
ऐसे मनाया जाता है कान्हा का जन्मोत्सव
जन्माष्टमी पर इस मंदिर में कृष्ण जन्म महाभिषेक का कार्यक्रम रात में 11 बजे से श्रीगणेश-नवग्रह आदि के पूजन से शुरु होता है. इसके बाद रात में 12 बजे भगवान कृष्ण के जन्म के साथ ही महाआरती शुरू होती है. ढोल और मृदंग से पूरा माहौल गूंज उठता है. केसर और सुगंधित द्रव्यों से लिपटे हुए भगवान श्रीकृष्ण चल विग्रह मोर्छलासन में विराजमान होकर अभिषेक स्थल पर आते हैं. इसके बाद दूध, दही, शहद के साथ अन्य गंध और द्रव्यों के साथ उनका दिव्य महाभिषेक किया जाता है. अभिषेक, पूजा और आरती संपन्न होने के बाद भक्तों में महाप्रसाद का वितरण किया जाता है.