Indira Ekadashi 2022 HD Images: शुभ इंदिरा एकादशी! अपनों संग शेयर करें श्रीहरि के ये मनमोहक WhatsApp Stickers, GIF Greetings और Wallpapers

आज यानी 21 सितंबर को इंदिरा एकादशी मनाई जा रही है. दरअसल, श्राद्ध पक्ष में पड़ने वाली इंदिरा एकादशी का विशेष महत्व बताया जाता है, इसलिए लोग इसके बधाई संदेश भी एक-दूसरे को भेजते हैं. ऐसे में इस खास अवसर पर आप श्रीहरि के इन मनमोहक एचडी इमेजेस, वॉट्सऐप स्टिकर्स, जीआईएफ ग्रीटिंग्स और वॉलपेपर्स को भेजकर अपनों को शुभ इंदिरा एकादशी कह सकते हैं.

इंदिरा एकादशी 2022 (Photo Credits: File Image)

Indira Ekadashi 2022 HD Images: हिंदू पंचांग के अनुसार, अश्विन मास के कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी को इंदिरा एकादशी (Indira Ekadashi) कहते हैं. पितृपक्ष (Pitru Paksha) के दौरान मनाई जाने वाली इस एकादशी (Ekadashi) को एकादशी श्राद्ध भी कहा जाता है और इसका विशेष महत्व भी बताया जाता है. प्रचलित धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति इंदिरा एकादशी का व्रत रखता है, उसकी सात पीढ़ियों तक के पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. इसके अलावा ऐसी मान्यता है कि जिनकी कुंडली में पितृदोष है, उन्हें इस एकादशी का व्रत जरूर रखना चाहिए. इस व्रत को करने से भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की विशेष कृपा प्राप्त होती है. श्राद्ध पक्ष के दौरान यह व्रत मृत पूर्वजों और पितरों की मुक्ति के लिए किया जाता है.

आज यानी 21 सितंबर को इंदिरा एकादशी मनाई जा रही है. दरअसल, श्राद्ध पक्ष में पड़ने वाली इंदिरा एकादशी का विशेष महत्व बताया जाता है, इसलिए लोग इसके बधाई संदेश भी एक-दूसरे को भेजते हैं. ऐसे में इस खास अवसर पर आप श्रीहरि के इन मनमोहक एचडी इमेजेस, वॉट्सऐप स्टिकर्स, जीआईएफ ग्रीटिंग्स और वॉलपेपर्स को भेजकर अपनों को शुभ इंदिरा एकादशी कह सकते हैं.

इंदिरा एकादशी 2022

इंदिरा एकादशी 2022 (Photo Credits: File Image)

इंदिरा एकादशी 2022

इंदिरा एकादशी 2022 (Photo Credits: File Image)

इंदिरा एकादशी 2022

इंदिरा एकादशी 2022 (Photo Credits: File Image)

इंदिरा एकादशी 2022

इंदिरा एकादशी 2022 (Photo Credits: File Image)

गौरतलब है कि एकादशी के व्रत के नियमों का पालन दशमी तिथि से ही शुरु हो जाता है, जबकि व्रत का पारण  द्वादशी तिथि को किया जाता है. एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर पूजन स्थल पर भगवान शालिग्राम की विधिपूर्वत पूजा करनी चाहिए. इस दिन श्रीहरि के मंत्रों, भगवत गीता का पाठ और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना चाहिए. अगले दिन सूर्योदय के बाद गरीबों या ब्राह्मणों को भोजन कराने व दक्षिणा देने के बाद व्रत का पारण करना चाहिए.

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