Happy Shani Jayanti 2020 Messages In Hindi: नौ ग्रहों में शनिदेव (Shani Dev) न्याय के देवता माने गए हैं, इसलिए उन्हें दंडाधिकारी और कलियुग का न्यायाधीश भी कहा जाता है. नौ ग्रहों के राजा सूर्य देव (Surya Dev) और देवी छाया (Devi Chhaya) के पुत्र शनिदेव इस संसार के सभी जीवों को उनके कर्मों के आधार पर फल प्रदान करते हैं. जो लोग सदैव अच्छे कर्म करते हैं, शनिदेव उनसे प्रसन्न रहते हैं और जो लोग बुरे कर्म करते हैं, उन्हें शनिदेव दंडित करते हैं. आज (22 मई 2020) देशभर में कर्मफलदाता शनिदेव की जयंती मनाई जा रही है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, ज्येष्ठ मास की अमावस्या (Jyeshtha Amavasya) तिथि पर शनिदेव का जन्म हुआ था, इसलिए ज्येष्ठ अमावस्या को शनि जयंती (Shani Jayanti) यानी शनैश्चर जयंती का पर्व मनाया जाता है.
शनि जयंती पर देश के तमाम शनि मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है और रुठे हुए शनि के प्रकोप को शांत करने के लिए उपाय भी किए जाते हैं. इस साल कोरोना वायरस लॉकडाउन के बीच शनि जयंती का पर्व मनाया जा रहा है. ऐसे में आप अपने प्रियजनों को सोशल मीडिया के जरिए ये शानदार हिंदी मैसेज, कोट्स, फेसबुक ग्रीटिंग, इमेज, जीआईफ विशेज, वॉट्सऐप स्टेटस और वॉलपेपर्स भेजकर बधाई दे सकते हैं.
1- प्रभु मुझ पर दया करना,
मैं आया हूं शरण तिहारी,
कहलाते तुम कर्मफलदाता,
हम पर कृपा बनाए रखना अपनी.
शनि जयंती की हार्दिक बधाई
2- जोड़े हाथ हम खड़े हैं बनके भिखारी,
दया करो हे शनिदेव आए हम शरण तिहारी,
तुमको सब कहते हैं नौ ग्रहों में दंडनायक,
क्योंकि तुम हो कर्मों के फलदाता.
शनि जयंती की हार्दिक बधाई
3- भीड़ पड़ी तेरे भक्तों पर हे शनिदेव,
अब तो सुन लो विनती हम सबकी,
हे सूर्य पुत्र अब तो हमें दे दो दर्शन,
पूरी कर दो तुम ये कामना हमारी...
शनि जयंती की हार्दिक बधाई
4- हे श्यामवर्ण वाले, हे नीलकंठ वाले,
कालाग्नि रूप वाले, हल्के शरीर वाले,
स्वीकारो नमन हमारे, शनिदेव हम हैं तुम्हारे,
सच्चे सुकर्म वाले हैं, बसते हो मन में तुम ही हमारे.
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5- हे दाढ़ी-मूछों वाले, लंबी जटाएं पाले,
हे दीर्घ नेत्रवाले, शुष्कोदरा निराले,
भय आकृति तुम्हारी, सब पापियों को मारे,
स्वीकारो नमन हमारे, हे शनि भक्तों के रखवाले.
शनि जयंती की हार्दिक बधाई
स्कंदपुराण के काशीखंड में शनिदेव के जन्म से जुड़ी कथा के अनुसार, शनिदेव भगवान सूर्य देव और देवी छाया के पुत्र हैं. कहा जाता है कि सूर्य देव की पत्नी संज्ञा उनके तेज को सहन नहीं कर पा रही थीं, इसलिए संज्ञा अपनी छाया (संवर्णा) को सूर्य देव की सेवा में छोड़कर तप करने चली गईं. कुछ समय बाद छाया के गर्भ से शनिदेव का जन्म हुआ. जब सूर्य देव को पता चला कि छाया वास्तव में संज्ञा नहीं है तो वे क्रोधित हो उठे और शनिदेव को अपना पुत्र मानने से इनकार कर दिया, इसलिए पिता-पुत्र होने के बावजूद सूर्य देव और शनिदेव सदैव एक-दूसरे के प्रति बैर भाव रखते हैं.