Guru Ghasidas Jayanti 2022 HD Images: गुरु घासीदास जंयती की बधाई! शेयर करें ये WhatsApp Stickers, GIF Greetings, SMS और Wallpapers
गुरु घासीदास द्वारा दी गई शिक्षाएं और दर्शन सिख धर्म के समान ही हैं. उनका मानना था कि समाज में हर व्यक्ति समान हैसियत रखता है. वे पशुओं से भी प्रेम करने की सीख देते थे और उन पर क्रूरता पूर्वक व्यवहार के खिलाफ थे. गुरु घासीदास जयंती के इस खास अवसर पर आप इन एचडी इमेजेस, वॉट्सऐप स्टिकर्स, जीआईएफ ग्रीटिंग्स, एसएमएस और वॉलपेपर्स के जरिए बधाई दे सकते हैं.
Guru Ghasidas Jayanti 2022 HD Images: हर साल 18 दिसंबर को गुरु घासीदास जयंती (Guru Ghasidas Jayanti) मनाई जाती है, गुरु घासीदास (Guru Ghasidas) विशेष रूप से छत्तीसगढ़ राज्य के लिए एक महत्वपूर्ण आधार हैं. उनका जन्म 18 दिसंबर 1756 को छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के रायपुर जिले में गिरौंद नामक गांव में हुआ था. उनके पिता का नाम मंहगू दास और माता का नाम अमरौतिन था. गुरु घासीदास ने छत्तीसगढ़ के लोगों के लिए सतनाम (Satnam) का प्रचार किया. पूरे छत्तसीगढ़ में आज भी उनके योगदान और शिक्षाओं का बड़े पैमाने पर पालन किया जाता है. इतना ही नहीं उनकी जयंती को भी हर साल धूमधाम से मनाया जाता है. उन्होंने छत्तीसगढ़ में सतनामी समुदाय की स्थापना की थी, जो सतनाम (जिसका अर्थ है सत्य) और समानता पर आधारित है. कहा जाता है कि उन्होंने अपने जीवनकाल में सामाजिक कुरीतियों का विरोध किया था. बहुत ही कम उम्र में उन्होंने जाति व्यवस्था की बुराइयों का अनुभव किया, जिसके बाद जाति-ग्रस्त समाज में सामाजिक गतिशीलता के समाधान को खोजने के लिए उन्होंने पूरे छत्तीसगढ़ की यात्रा की.
गुरु घासीदास द्वारा दी गई शिक्षाएं और दर्शन सिख धर्म के समान ही हैं. उनका मानना था कि समाज में हर व्यक्ति समान हैसियत रखता है. वे पशुओं से भी प्रेम करने की सीख देते थे और उन पर क्रूरता पूर्वक व्यवहार के खिलाफ थे. गुरु घासीदास जयंती के इस खास अवसर पर आप इन एचडी इमेजेस, वॉट्सऐप स्टिकर्स, जीआईएफ ग्रीटिंग्स, एसएमएस और वॉलपेपर्स के जरिए बधाई दे सकते हैं.
1- गुरु घासीदास जयंती की शुभकामनाएं
2- गुरु घासीदास जयंती की बधाई
3- हैप्पी गुरु घासीदास जयंती
4- गुरु घासीदास जयंती 2022
5- हैप्पी गुरु घासीदास जयंती 2022
गुरु घासीदास ने तपस्या से अर्जित की गई अपनी शक्तियों से कई चमत्कारिक कार्य किए. उन्होंने अपने जीवनकाल में समाज के लोगों को प्रेम और मानवता का संदेश दिया. उनकी शिक्षा आज भी लोगों के लिए प्रासंगिक है. उनके संदेशों और उनकी जीवनी का प्रसार पंथी गीत व नृत्यों के जरिए व्यापक तौर पर हुआ है. उनके जन्मोत्सव को पूरे राज्य में धूमधाम से मनाया जाता है.