8 फरवरी को है गौरी तृतीया व्रत, इससे मिलेगा संतान और पति का सुख, जानें पूजा विधि

8 फरवरी को गौरी तृतीया व्रत है. इस दिन माता गौरी की पूजा होती है. सुहागन औरतों के लिए ये व्रत बहुत ही महत्त्वपूर्ण है. जिस तरह तीज का व्रत होता है उसी तरह गौरी तृतीया भी होता है. तीज के व्रत में भी माता गौरी की पूजा और कथा पाठ की जाती है...

मां महागौरी (Photo Credits: File photo)

8 फरवरी को गौरी तृतीया व्रत है. इस दिन माता गौरी की पूजा होती है. सुहागन औरतों के लिए ये व्रत बहुत ही महत्त्वपूर्ण है. जिस तरह तीज का व्रत होता है उसी तरह गौरी तृतीया भी होता है. तीज के व्रत में भी माता गौरी की पूजा और कथा पाठ की जाती है. गौरी तृतीया के दिन व्रत रखने वाली महिलाओं को लाभ मिलता है. इस दिन व्रत रखने से संतान और पति सुख की प्राप्ति होती है. कुंवारी लड़कियों के गौरी तृतीया के दिन व्रत रखने से उन्हें मनचाहे वर की प्राप्ति होती है. इस दिन कुंवारी लड़कियां सजती संवरती हैं, हाथों में मेहंदी रचाती हैं. सुहागिनें दुल्हन की तरह सजती हैं. लाल जोड़ा पहनकर, सिन्दूर लगाकर मंदिर जाती हैं और मंदिर में पूरे शिव परिवार की पूजा करती हैं. आइए आपको बताते हैं गौरी तृतीया व्रत की पूजा विधि.

यह भी पढ़ें: Shani Pradosh Vrat: शनि के बुरे प्रभावों से मुक्ति दिलाता है शनि प्रदोष व्रत, भगवान शिव होते हैं प्रसन्न

पूजा विधि: शिवजी का का दूध और चावल से अभिषेक करें, उसके बाद पूरे शिव परिवार को लाल, पीले फूल, फल और लड्डू चढ़ाएं. बेलपत्र और धतूरा चढ़ाना न भूलें क्योंकि यह शिव जी को बहुत ही प्रिय है. इस दिन गौरी- शंकर रुद्राक्ष धारण करें, इसे रुद्राक्ष धारण करने से मानसिक परेशानी दूर होती है, रोग ठीक होते हैं और धन लाभ होता है. गौरी-शंकर रुद्राक्ष धारण करने से कालसर्प योग से भी शांति मिलती है.

माता सती के अनेकों नाम हैं जिसमें से गौरी भी उन्हीं का एक नाम है. शुक्लपक्ष की तृतीया तिथि को भगवान शंकर के साथ देवी सती विवाह हुआ था अतः माघ शुक्ल तृतीया के दिन उत्तम सौभाग्य की कृपा प्राप्त करने के लिए यह व्रत किया जाता है. यह व्रत सभी मनोरथों को पूर्ण करने वाला है.

Share Now

\