Ganesh Chaturthi 2022 Messages in Hindi: अखंड सौभाग्य के पर्व हरतालिका तीज (Hartalika Teej) व्रत के अगले दिन यानी भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) का त्योहार बहुत धूमधाम से मनाया जाता है और गणेशोत्सव (Ganeshotsav) का यह पर्व दस दिनों यानी अनंत चतुर्दशी (Anant Chaturdashi) तक चलता है. इस दिन भगवान शिव (Lord Shiva) और माता पार्वती (Mata Parvati) के लाड़ले भगवान गणेश (Lord Ganesh) की प्रतिमाओं को लोग बाजे-गाजे के साथ अपने घर ले आते हैं. इस दौरान हर तरफ बस गणपति बाप्पा मोरया की गूंज सुनाई देती है. इस साल गणेश उत्सव की शुरुआत 31 अगस्त 2022 से हो रही है और समापन 9 सितंबर को गणपति बप्पा की प्रतिमाओं का विसर्जन करके होगा. हालांकि इस दस दिवसीय उत्सव को मनाने के लिए लोग कई दिन पहले से ही तैयारियों में जुट जाते हैं.
कहा जाता है कि भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को भगवान गणेश का जन्म हुआ था, इसलिए इस दिन गणेश चतुर्थी का पर्व उनके जन्मोत्सव के तौर पर मनाया जाता है. इस अवसर पर बधाई संदेशों का आदान-प्रदान भी किया जाता है. ऐसे में इन शानदार हिंदी मैसेजेस, कोट्स, वॉट्सऐप विशेज और फेसबुक ग्रीटिंग्स के जरिए अपने प्रियजनों को हैप्पी गणेश चतुर्थी कह सकते हैं.
1- ॐ गं गणपतये नमः
नए कार्य की शुरूआत अच्छी हो,
हर मनोकामना सच्ची हो,
गणेश जी का मन में वास रहे,
इस गणेश चतुर्थी आप अपनों के पास रहे.
हैप्पी गणेश चतुर्थी
2- धरती पर बारिश की बूंदे बरसे,
आप के ऊपर अपनों का प्यार बरसे,
'गणेशजी' से बस यही दुआ है,
आप खुशी के लिए नहीं,
खुशी आप के लिए तरसे.
हैप्पी गणेश चतुर्थी
3- सब शुभ कारज में पहले पूजा तेरी,
तुम बिना काम ना सरे, अरज सुन मेरी,
रिद्धि-सिद्धि को लेकर करो भवन में फेरी,
करो ऐसी कृपा नित करूं मैं पूजा तेरी.
हैप्पी गणेश चतुर्थी
4- आते बड़े धूम से गणपति जी,
जाते बड़े धूम से गणपति जी,
सबसे पहले आकर हमारे,
दिलों में बस जाते गणपति जी.
हैप्पी गणेश चतुर्थी
5- आपका और खुशियों का जन्म-जन्म का साथ हो,
आपकी तरक्की की हर किसी की जुबां पर बात हो,
जीवन में जब भी कोई मुसीबत आए आप पर,
तो भगवान गणेश हमेशा आपके साथ हों.
हैप्पी गणेश चतुर्थी
भगवान गणेश के जन्म से जुड़ी पौराणिक मान्यता के अनुसार, एक बार माता पार्वती ने स्नान से पहले अपने शरीर के मैल से पुतले का निर्माण किया और उसमें प्राण फूंक दिए, फिर माता पार्वती ने उन्हें द्वारपाल के तौर पर नियुक्त करते हुए स्नान के लिए चली गईं. गणेश जी ने माता पार्वती की आज्ञा का पालन करते हुए भगवान शिव को अंदर जाने से रोक दिया, जिससे क्रोधित होकर भोलेनाथ ने उनका मस्तक ही काट दिया. अपने पुत्र की दशा देख माता पार्वती क्रोधित हुईं और उन्होंने शिव जी से पुन: अपने पुत्र को जीवित करने के लिए कहा, जिसके बाद गणेश जी के धड़ पर हाथी का सिर जोड़ दिया गया, इसलिए उनका एक नाम गजानन भी है.