Gandhi Jayanti 2023: गांधीजी को ‘महात्मा’ की उपाधि सर्वप्रथम किसने दी? जानें गांधीजी के जीवन के ऐसे ही कुछ रोचक फैक्ट!
1883 में मोहनदास करमचंद जब 13 साल के थे, उनका विवाह 14 वर्षीय कस्तूरबा कपाड़िया से हुआ था. शादी के बाद एक दिन उन्होंने बताया था कि उन दिनों शादी का अर्थ नये-नये कपड़े पहनना, मिठाई खाना आदि ही समझता था, इसलिए मैं शादी के लिए तैयार हो गया था. 16 साल की आयु में गांधीजी पिता बने, लेकिन कुछ समय बाद बच्चे का निधन हो गया. उसके बाद उनके चार बच्चे पैदा हुए थे.
देश को अंग्रेजी हुकूमत से आजादी दिलाने के मुख्य सूत्रधार मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म 02 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर नामक शहर में हुआ था. इसलिए प्रत्येक वर्ष 02 अक्टूबर को देश भर में गांधी जयंती बड़ी धूमधाम के साथ मनाई जाती है. भारत सरकार द्वारा इस दिन राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया है. इस वर्ष 2023 में 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी की 154वीं जयंती मनाई जाएगी. इस अवसर पर हम बात करेंगे, महात्मा गांधी के जीवन से जुड़े कुछ रोचक पहलुओं पर...
13 वर्ष की आयु में हुई थी गांधीजी की शादी
1883 में मोहनदास करमचंद जब 13 साल के थे, उनका विवाह 14 वर्षीय कस्तूरबा कपाड़िया से हुआ था. शादी के बाद एक दिन उन्होंने बताया था कि उन दिनों शादी का अर्थ नये-नये कपड़े पहनना, मिठाई खाना आदि ही समझता था, इसलिए मैं शादी के लिए तैयार हो गया था. 16 साल की आयु में गांधीजी पिता बने, लेकिन कुछ समय बाद बच्चे का निधन हो गया. उसके बाद उनके चार बच्चे पैदा हुए थे. Ganesh Visarjan 2023: गिरगांव चौपाटी में गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन, नम आंखों से भक्त दे रहे हैं गणपति बप्पा को विदाई (Watch Video)
किसने कहा था गांधीजी को पहली बार ‘महात्मा’?
अधिकांश साहित्यों में यही उल्लेखित है कि साल 1915 में नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर ने एक पत्र में गांधी जी को महात्मा गांधी लिखकर संबोधित किया था. इसके पश्चात 04 जून 1944 को नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने सिंगापुर रेडियो से अपने एक संदेश में गांधीजी राष्ट्रपिता ‘महात्मा गांधी’ कहा था. लेकिन बताया जाता है कि गांधीजी को उनके एक मित्र प्राणजीवन मेहता ने साल 1909 में गांधीजी को ‘महात्मा’ के रूप में संदर्भित करते हुए एक पत्र लिखा था.
जब उन्हें क्लाइंट की फीस वापस करनी पड़ी
गांधी स्वभाव से अत्यंत विनम्र और शर्मीले थे. लंदन वेजीटेरियन सोसाइटी में एक बहस के दौरान, वह इस कदर सहमे हुए थे कि वह ऐन मौके पर घबरा गए. इसी तरह जब वह अपने पहले केस में जिरह कर रहे थे, तो अति विनम्रता के कारण वे इस कदर घबरा गए, कि कुर्सी से नीचे ही गिर पड़े, उन्होंने वह केस छोड़ दिया और क्लाइंट से ली हुई पूरी फीस वापस कर दी.
दक्षिण अफ्रीका के प्रथम नागरिक अधिकार कार्यकर्ता (civil rights activist)
गांधीजी को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का पितामह माना जाता है. लेकिन इससे पहले वह दक्षिण अफ्रीका में नागरिक अधिकारों के लिए संघर्षरत योद्धा के रूप में लोकप्रिय हो चुके थे. दरअसल गांधीजी 1893 में वकालत करने दक्षिण अफ्रीका गये. वहां पहली बार उन्हें रंगभेद का शिकार होना पड़ा. जब ट्रेन के फर्स्ट क्लास में सफर करते समय उन्हें ट्रेन से उतार दिया गया था. 7 जून, 1893 को उन्होंने पहली बार सविनय अवज्ञा शस्त्र का इस्तेमाल किया था.
जब गांधीजी ने ब्रिटिश साम्राज्य की मदद की
नस्लवादी, उपनिवेशवादी दृष्टिकोण के प्रति असहमति जताने के बावजूद, युवा गांधी ब्रिटिश साम्राज्य के प्रति नरम दिल भी रहे हैं. 1899-1902 के बोअर युद्ध के दौरान, उन्होंने नेटाल इंडियन एम्बुलेंस कोर बनाने का संकल्प लिया और सैकड़ों स्वयंसेवकों को इकट्ठा कर घायल ब्रिटिश सैनिकों को अस्पतालों तक पहुंचाया. बाद में गांधीजी ने स्पष्ट किया, ब्रिटिश हुकूमत से आजादी की लड़ाई के प्रति अगर मैं ईमानदार हूं तो घायल ब्रिटिश सैनिकों की रक्षा सेवा में भाग लेना हमारा मानवीय कर्तव्य भी है.
इस कारण ‘महात्मा’ गांधी गोली का शिकार बने
महात्मा गांधी की हत्या उस समय की गई, जब भारत विभाजन के खूनी संघर्ष से गुजर रहा था. राष्ट्रपिता की हत्या मुस्लिम के बजाय एक हिंदू साथी ने की. राष्ट्रवादी हिंदू नाथूराम गोडसे गांधी से इस कारण से नाराज थे कि गांधी पाकिस्तान पर जरूरत से ज्यादा नरमदिल थे. नाराज गोडसे कुछ असफल प्रयासों के बाद 30 जनवरी 1948 को उस महात्मा को गोली मारने में कामयाब रहा, जिसे स्वतंत्रता संग्राम का पितामह माना गया था.