Eid Milad-Un-Nabi 2024 Mehndi Designs: ईद-मिलाद-उन-नबी पर हाथों में रचाएं खूबसूरत मेहंदी, देखें लेटेस्ट डिजाइन्स
ईद-ए-मिलाद-उन-नबी के त्योहार को मनाने के लिए लोग कई दिन पहले से ही तैयारियों में जुट जाते हैं, जबकि महिलाएं भी इस पर्व के लिए खास तैयारी करती हैं. इस पर्व पर अधिकांश महिलाएं और लड़कियां अपने हाथों पर मेहंदी रचाती हैं. ऐसे में आप भी इन खूबसूरत और आसान मेहंदी डिजाइन्स को अपने हाथों पर रचाकर हथेलियों की सुंदरता के चार चांद लगाने के साथ ही पर्व की शुभता को बढ़ा सकती हैं.
Eid Milad-Un-Nabi 2024 Mehndi Designs: रबी-उल-अव्वल (Rabi-ul-Awal) की 12वीं तारीख को पैगंबर मोहम्मद साहब (Prophet Mohammed Saheb) का जन्म हुआ था, इसलिए उनके जन्मोत्सव को ईद-ए-मिलाद-उन-नबी (Eid Milad-Un-Nabi) के तौर पर मनाया जाता है. रबी-उल-अव्वल इस्लामिक चंद्र कैलेंडर का तीसरा महीना होता है, जिसका बेहद खास महत्व बताया जाता है. इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार, पैगंबर हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का जन्म 571 ई. में रबी-उल-अव्वल की 12वीं तारीख को सऊदी अरब के मक्का शहर में हुआ था, इसलिए इस दिन ईद-ए-मिलाद-उन-नबी का पर्व मनाया जाता है. इस साल भारत में 16 सितंबर 2024 को यह पर्व मनाया जा रहा है. इस दिन पैगंबर मोहम्मद साहब की शिक्षाओं और जीवन को याद किया जाता है.
ईद-ए-मिलाद-उन-नबी के त्योहार को मनाने के लिए लोग कई दिन पहले से ही तैयारियों में जुट जाते हैं, जबकि महिलाएं भी इस पर्व के लिए खास तैयारी करती हैं. इस पर्व पर अधिकांश महिलाएं और लड़कियां अपने हाथों पर मेहंदी रचाती हैं. ऐसे में आप भी इन खूबसूरत और आसान मेहंदी डिजाइन्स को अपने हाथों पर रचाकर हथेलियों की सुंदरता के चार चांद लगाने के साथ ही पर्व की शुभता को बढ़ा सकती हैं. यह भी पढ़ें: Simple Mehndi Designs 2024 Photos: किसी भी मौके पर अपने हाथों की सुंदरता में लगाएं चार चांद, देखें सिंपल मेहंदी डिजाइन्स
ईद के लिए खूबसूरत बैकहैंड मेहंदी
सिंपल बैकहैंड मेहंदी डिजाइन
खूबसूरत फ्रंट हैंड मेहंदी डिजाइन
ईद-ए-मिलाद स्पेशल मेहंदी डिजाइन
ईद-मिलाद-उन नबी के लिए बैक हैंड मेहंदी डिजाइन्स
स्टाइलिश फ्रंट हैंड मेहंदी डिजाइन
ईद-मिलाद-उन-नबी स्पेशल मेहंदी डिजाइन्स
बताया जाता है कि रबी-उल-अव्वल की 12वीं तारीख को ही इस्लाम के आखिरी पैगंबर हजरत मोहम्मद का जन्म हुआ था, इसलिए मुसलमानों के लिए इस दिन का खास महत्व होता है. वहीं दूसरी तरफ यह शोक का भी दिन होता है, क्योंकि इसी तारीख को पैगंबर मोहम्मद का इंतकाल हुआ था. बता दें कि सुन्नी समुदाय के लोग इसे 12वीं रबी-उल-अव्वल को मनाते हैं, जबकि शिया संप्रदाय के लोग 17वें रबी-उल-अव्वल को यह पर्व मनाते हैं.