Diwali 2019 Bhai Dooj: जब यमराज ने यमुना का आतिथ्य ग्रहण कर बहन यम को मृत्यु से भयरहित रहने का दिया आशीर्वाद

भाई दूज का त्योहार दिवाली के दो दिन बाद यानी 29 अक्टूबर को है. यह भाई के प्रति बहन के अगाध प्रेम और स्नेह का उत्सव होता है. इस दिन बहनें अपने भाईयों की खुशहाली के लिए कामना करती हैं.

इस साल भाई दूज का पर्व 29 अक्टूबर 2019 को मनाया जा रहा है (Photo: Pixabay)

Diwali, Bhai Dooj 2019: कार्तिक मास के शुक्लपक्ष की द्वितीया को मनाया जाना वाला ‘भाई दूज’ का पर्व हिंदू धर्म का बहुत महत्वपूर्ण पर्व है. इसे ‘भ्रातृ द्वितीया’ या ‘यम द्वितीया’ के नाम से भी जाना जाता है. भाई-बहन के स्नेह को समर्पित यह पर्व दीपावली के दो दिन बाद सेलीब्रेट किया जाता है. यह पर्व हमें बताता है कि कोई भी कार्य हमारे अपनों से ऊपर नहीं होता. भाई दूज के दिन बहनें अपने भाईयों के दीर्घायु एवं सुख-समृद्धि की कामना करती हैं. बदले में भाई अपनी बहन को सगुन के रूप में उपहार देता है, और उसकी रक्षा का वचन भी देता है.

भाई दूज का त्योहार दिवाली के दो दिन बाद यानी 29 अक्टूबर को है.  यह  भाई के प्रति बहन के अगाध प्रेम और स्नेह का उत्सव होता है. इस दिन बहनें अपने भाईयों की खुशहाली के लिए कामना करती हैं.

रीति एवं रिवाज:

अन्य पर्वों की तरह ‘भैया दूज’ भी पूरे जोश एवं उत्साह के साथ मनाया जाता है. इस दिन बहनें अपने भाई की लंबी उम्र एवं अच्छी सेहत की कामना करती हैं. भाई कितनी भी दूर रहते हों, ‘भैया दूज’ के दिन वह अपनी बहन के पास अवश्य आते हैं. कार्तिक मास के शुक्लपक्ष की द्वितीया के दिन बहनें प्रातःकाल उठकर स्नान करती हैं और उपवास रहकर श्रीगणेश एवं भगवान विष्णु का पूजन करती हैं. शुभ मुहूर्त में बहनें भाइयों के माथे पर तिलक लगाकर उनकी आरती उतारती हैं और मिष्ठान खिलाती हैं. बदले में भाई बहन को उसकी पसंद का उपहार देते हैं. इसके साथ ही अलग-अलग प्रदेशों में ‘भैया दूज’ मनाने की रीति एवं रिवाज थोड़ा भी भिन्न-भिन्न भी हैं.

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यम-यमुना की पौराणिक कथा:

सूर्यदेव और छाया के पुत्र यम एवं पुत्री यमुना आपस में बहुत प्रेम करते हैं. यमुना अक्सर यम को अपने घर खाने पर आमंत्रित करती है. मगर यम अति व्यस्त रहने के कारण यमुना का आतिथ्य स्वीकार नहीं कर पाते. लेकिन एक दिन यमुना अपने घर पर भाई यम को देखकर भाव-विभोर हो जाती हैं. वह भाई का स्वागत सत्कार कर उन्हें भोजन करवाती हैं. बहन यमुना के प्रेम, समर्पण और स्नेह से प्रसन्न होकर यम ने उससे वर मांगने को कहा, तो यमुना यम से कहती हैं कि आप प्रतिवर्ष इसी दिन मेरे घर भोजन करने आयें तो हमें बहुत खुशी होगी. इस दिन जो भी बहन अपने भाई को तिलक लगाकर भोजन करायेगी, उसे आपका भय ना रहे. यम 'तथास्तु' कहकर यमलोक चले गए. उस दिन कार्तिक मास के शुक्ल द्वितीया की तिथि थी. कहा जाता है, इसके बाद से ही भाई दूज की परंपरागत पर्व की शुरुआत हुई.

शुभ मुहूर्तः

भाई दूज 29 अक्टूबर (मंगलवार) 2019

भाई दूज का तिलक मुहूर्त - 13:11 से 15:23 बजे तक

एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल द्वितीया के ही दिन भगवान श्री कृष्ण नरकासुर राक्षस का वध कर द्वारिका लौटे थे. तब उनकी बहन सुभद्रा ने फल, फूल, मिठाई और तमाम दीये जलाकर अपने भाई श्रीकृष्ण का स्वागत किया था. सुभद्रा ने श्रीकृष्ण के मस्तक पर तिलक लगाकर उनकी दीर्घायु की कामना की थी. कहा जाता है कि इसी दिन से बहनें भाइयों के माथे पर तिलक लगाती हैं और बदले में भाई उन्हें उपहार देते हैं. भाई दूज की यह परंपरा आज भी जारी है.

नोट- इस लेख में दी गई तमाम जानकारियों को प्रचलित मान्यताओं के आधार पर सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है. इसकी वास्तविकता, सटीकता और विशिष्ट परिणाम की हम कोई गारंटी नहीं देते हैं. इसके बारे में हर व्यक्ति की सोच और राय अलग-अलग हो सकती है.

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