Bali Pratipada 2025 Wishes: बलि प्रतिपदा पर ये HD Wallpapers, GIF Greetings और WhatsApp Status भेजकर दें शुभकामनाएं
बलि प्रतिपदा (Bali Pratipada), जिसे बलि पूजा (Bali Puja) भी कहा जाता है, दिवाली के अगले दिन मनाई जाती है, यानी कार्तिक मास की प्रतिपदा तिथि को. इस दिन असुर राजा बलि की पूजा की जाती है, जो एक अत्यंत शक्तिशाली और दानी राजा माने जाते हैं. इसी दिन उत्तर भारत में गोवर्धन पूजा भी मनाई जाती है...
Bali Pratipada 2025 Wishes: बलि प्रतिपदा (Bali Pratipada), जिसे बलि पूजा (Bali Puja) भी कहा जाता है, दिवाली के अगले दिन मनाई जाती है, यानी कार्तिक मास की प्रतिपदा तिथि को. इस दिन असुर राजा बलि की पूजा की जाती है, जो एक अत्यंत शक्तिशाली और दानी राजा माने जाते हैं. इस साल बलि प्रतिपदा 22 अक्टूबर को मनाई जाएगी. इसी दिन उत्तर भारत में गोवर्धन पूजा भी मनाई जाती है, इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी कानी उंगली पर उठाकर गांववासियों की इंद्रदेव के प्रकोप से रक्षा की थी. जहां गोवर्धन पूजा भगवान कृष्ण और प्रकृति के प्रति आभार प्रकट करने का प्रतीक है, वहीं बलि पूजा असुर राजा बलि के सम्मान और उनके त्याग को स्मरण करने का दिन है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर राजा बलि से तीन पग भूमि दान में मांगी. राजा बलि को लगा कि ये वामन तीन पग जमीन का टुकड़ा लेकर क्या करेंगे? फिर भी उन्होंने तीन पग जमीन देने का वचन दे दिया. लेकिन भगवान विष्णु के वामन अवतार ने अपने दो पगों में पूरी पृथ्वी और आकाश नाप दिया. यह भी पढ़ें: Narak Chaturdashi 2025: अभ्यंग स्नान क्या है? नरक चतुर्दशी पर यह क्यों अनिवार्य है? जानें अभ्यंग स्नान की विधि और महत्व!
राजा बलि के वचन के अनुसार उन्होंने तीन पग जमीन मांगी थी, लेकिन वामन ने दो पग में ही पूरी दुनिया नाप ली और अब तीसरा पग कहा रखें? जिसके बाद राजा बलि ने उन्हें तीसरा पग अपने सिर पर रखने को कहा. जिसके बाद तीसरा पर बलि पर रखते ही वो पाताल लोक चले गए. लेकिन बलि के भक्ति-भाव और दानवीरता से प्रसन्न होकर, भगवान विष्णु ने उन्हें वरदान दिया कि वर्ष में एक दिन वे पृथ्वी पर आकर अपने भक्तों से मिल सकेंगे, यही दिन बलि प्रतिपदा कहलाता है.
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राजा बलि एक दानवीर थे, इसलिए भगवान विष्णु ने उन्हें तीन दिनों के लिए भूलोक पर जाने की अनुमति दी थी. ऐसा माना जाता है कि बलि प्रतिपदा के दिन पृथ्वी भ्रमण के दौरान, राजा बलि ने अपने सभी भक्तों को आशीर्वाद दते हैं और उनकी मनोकामनाएं पूरी करते हैं.