Autistic Pride Day 2020: ऑटिज्म बीमारी नहीं, सिर्फ अलग होते हैं लोग

18 जून को ऑटिस्टिक प्राइड डे मनाया जाता है. ऑटिस्टिक प्राइड डे के तहत ऑटिज्म को बीमारी नहीं माना जाता, बल्कि कुछ मामलों में अलग मानते हैं. ऑटिस्टिक लोग बीमार नहीं हैं, लेकिन उनके पास विशेष और एक अनूठा ज्ञान समूह होता है. ऑटिज्म वाले कुछ बच्चे बहुत तेज दिमाग वाले होते हैं. रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र के अनुसार, दुनिया भर में 68 बच्चों में से 1 में ऑटिज्म है.

ऑटिस्टिक प्राइड (Photo Credits: Facebook)

Autistic Pride Day 2020: 18 जून को ऑटिस्टिक प्राइड डे मनाया जाता है. ऑटिस्टिक प्राइड डे के तहत ऑटिज्म को बीमारी नहीं माना जाता, बल्कि कुछ मामलों में अलग मानते हैं. ऑटिस्टिक लोग बीमार नहीं हैं, लेकिन उनके पास विशेष और एक अनूठा ज्ञान समूह होता है. ऑटिज्म वाले कुछ बच्चे बहुत तेज दिमाग वाले होते हैं. कुछ को सीखने-समझने में भी परेशानी होती है. ये बच्चे बार-बार एक ही तरह का व्यवहार करते हैं. इनमें दोहराव युक्त व्यवहार होता है जैसे एक ही काम को बार-बार करना या कहना.

अक्सर लोग ऑटिज्म के बच्चों को बीमार मान लेते हैं. लेकिन अगर इन बच्चों का विशेष ध्यान दिया जाय और उन्हें समझने की कोशिश की जाए, तो ऐसे बच्चों में कुछ रचनात्मक करने की विलक्ष्ण प्रतिभा होती है. इसी मकसद से ऑटिस्टिक प्राइड डे पहली बार 2005 में एस्पिस फॉर फ्रीडम द्वारा मनाया गया था. इस दिन ऑटिज्म के लोगों का दिन होता है जिसे वे सेलिब्रेट करते हैं. आगे चलकर यह एक वैश्विक कार्यक्रम बन गया, इस दिन प्रतीक के लिए इंद्रधनुष इन्फिनिटी को चुना गया है.

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ऐसे बच्चों में लक्षण

ऑटिज्म एक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है,ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसेबिलिटी (एएसडी) के रूप में भी जाना जाता है. दरअसल इसमें हर एक बच्चे में इसके अलग-अलग लक्षण होते हैं. जो सामान्य दिमाग से संबंधित, संवाद, सामाजिक संपर्क, अनुभूति और व्यवहार के विकास को प्रभावित करती है. ऑटिज्म बच्चों को विभिन्न तरीकों से प्रभावित करते हैं. यह बच्चों के जन्म लेने के तीन साल के अंदर ही लक्षण आने लगते हैं.

ऑटिज्म से जुड़े कुछ तथ्य

>लड़कों में लड़कियों की तुलना में पांच गुना अधिक ऑटिज्म की संभावना होती है.

>ऑटिज्म स्पेक्ट्रम विकार अमेरिका में सबसे तेजी से बढ़ते बच्चों के विकास संबंधी विकारों में से एक है. वहां ऑटिज्म कैंसर, मधुमेह और एड्स की तुलना में अधिक आम है.

>ऑटिज्म सभी धर्म, जाती, लिंग के लोगों को प्रभावित करता है, यह किसी एक वर्ग या किसी विशेष को नहीं प्रभावित करता.

>ऑटिज्म स्पेक्ट्रम विकार बच्चे के जन्म के तीन साल के अंदर ही दिखाई देने लगता है.

>शुरूआत में ही इसे पहचाने से उचित इलाज और परीक्षण से बच्चों में काफी सुधार आ जाता है. हांलाकि वर्तमान में ऑटिज्म स्पेक्ट्रम विकार को एकदम सही करने का कोई चिकित्सीय पता या इलाज नहीं है. लेकिन उनमें सुधार की संभावना होती है.

>ऑटिज्म स्पेक्ट्रम विकार वाले व्यक्ति बहुत रचनात्मक हो सकते हैं और संगीत, थिएटर, कला, नृत्य और गायन के लिए एक जुनून और प्रतिभा आसानी से पा सकते हैं.

>यह अनुमान लगाया जाता है कि अल्बर्ट आइंस्टीन, न्यूटन, एंडी वारहोल और बिल गेट्स ऑटिज्म स्पेक्ट्रम हैं.

>ऑटिज्म स्पेक्ट्रम विकार वाले लगभग 50,000 व्यक्ति अमेरिका में हर साल हाई स्कूल पास करते हैं और कानून की तरह से ऐसे लोगों को कई आवश्यक सेवाओं में नौकरी भी मिलती है.

>ऑटिज्म स्पेक्ट्रम विकार वाले बहुत से लोग सफलतापूर्वक रह रहे हैं और काम कर रहे हैं और अपने स्थानीय समुदायों में दूसरों की भलाई में योगदान दे रहे हैं. यह तभी संभव है जब उनके परिवार के लोग उन्हें आगे बढ़ाएं.

क्यों होते हैं बच्चे ऑटिज्म के शिकार

वास्तव में, डॉक्टरों को ऑटिज्म का कारण नहीं पता है, लेकिन उनके अनुसार जीन इसमें सबसे बड़ी भूमिका निभाते हैं कि क्या बच्चा इसके साथ पैदा हो सकता है. कुछ मामलों में, अगर मां गर्भवती होने के दौरान कुछ केमिकल दवाइयों के संपर्क में आती है, बच्चे में जन्म का जन्म कुछ विशेष लक्षणों के साथ हो सकता है. लेकिन डॉक्टर गर्भावस्था के दौरान यह पता लगाने में सक्षम नहीं होते हैं कि बच्चे को ऑटिज्म होगा या नहीं.

इसलिए, ऑटिज्म को रोका नहीं जा सकता. इसलिए ऑटिस्टिक डिसऑर्डर वाले बच्चे को होने से रोक नहीं सकते हैं, लेकिन स्वस्थ जीवनशैली के बाद स्वस्थ बच्चे की संभावना बढ़ जाती है. रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) की 2014 के रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया भर में 68 बच्चों में से 1 में ऑटिज्म है. भारत में ऑटिज़्म से पीड़ित लगभग 18 मिलियन लोग हैं. हमारे देश में ऑटिस्टिक लोगों के लिए विभिन्न स्कूल हैं, जो बच्चों को उनकी विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुसार सामाजिक, व्यवहारिक और भाषा कौशल विकसित करने में मदद करते हैं.

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