Ashadhi Ekadashi 2022 Wishes: आषाढ़ी एकादशी की इन भक्तिमय WhatsApp Messages, Facebook Greetings, Quotes के जरिए दें बधाई
आषाढ़ी एकादशी 2022 (Photo Credits: File Image)

Ashadhi Ekadashi 2022 Wishes in Hindi: हिंदू धर्म में आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी का विशेष महत्व बताया जाता है, जिसे देवशयनी एकादशी (Devshayani Ekadashi), हरिशयनी एकादशी (Harishayani Ekadashi), पद्ननाभा एकादशी (Padmnabha Ekadashi) और आषाढ़ी एकादशी (Ashadhi Ekadashi) जैसे विभिन्न नामों से जाना जाता है. आज श्रीहरि के तमाम भक्त आषाढ़ी एकादशी का पर्व मना रहे हैं. इस एकादशी को इसलिए भी खास माना जाता है, क्योंकि इसी दिन से जगत के पालनहार भगवान विष्णु चार मास के लिए गहन योगनिद्रा में चले जाते हैं और इसी के साथ चातुर्मास का आरंभ हो जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, आषाढ़ी एकादशी से भगवान विष्णु का शयन काल प्रारंभ होता है और वे अगले चार मास के लिए क्षीरसागर में शयन करते हैं, इसलिए चातुर्मास के दौरान विवाह, मुंडन संस्कार और गृह प्रवेश जैसे मांगलिक कार्य वर्जित हो जाते हैं. कार्तिक मास की देवउठनी एकादशा यानी प्रबोधिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु जब गहन निद्रा से जागते हैं, तब फिर से सभी मांगलिक कार्य शुरु हो जाते हैं.

देवशयनी एकादशी को महाराष्ट्र में आषाढ़ी एकादशी के तौर पर मनाया जाता है और पंढरपुर में विट्ठल-रुक्मिणी की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. आषाढ़ी एकादशी की लोग एक-दूजे को भक्तिमय संदेशों को भेजकर बधाई भी देते हैं. ऐसे में आप भी इस अवसर पर इन भक्तिमय विशेज, वॉट्सऐप मैसेजेस, फेसबुक ग्रीटिंग्स, कोट्स के जरिए अपनों को आषाढ़ी एकादशी की बधाई दे सकते हैं.

1- ॐ श्री विष्णवे नम:

आषाढ़ी एकादशी की शुभकामनाएं

आषाढ़ी एकादशी 2022 (Photo Credits: File Image)

 2- ॐ नमो नारायणाय नम:

आषाढ़ी एकादशी की हार्दिक बधाई

आषाढ़ी एकादशी 2022 (Photo Credits: File Image)

 3ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नम:

शुभ आषाढ़ी एकादशी

आषाढ़ी एकादशी 2022 (Photo Credits: File Image)

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4- आपको और आपके परिवार को,

आषाढ़ी एकादशी की शुभकामनाएं

आषाढ़ी एकादशी 2022 (Photo Credits: File Image)

5- हैप्पी आषाढ़ी एकादशी 2022

आषाढ़ी एकादशी 2022 (Photo Credits: File Image)

आषाढ़ी एकादशी के दिन भक्त व्रत रखकर भगवान विष्णु की षोडशोपचार विधि से पूजा करते हैं. पूजन के दौरान उन्हें पीले वस्त्र, पीले फूल, पीला चंदन, पीली मिठाई और पीले फलों का भोग अर्पित किया जाता है. इसके साथ ही उनके पूजन में तुलसी दल का उपयोग करना आवश्यक माना जाता है, क्योंकि कहा जाता है कि बिना तुलसी दल के उनकी पूजा संपन्न नहीं होती है. इस व्रत का पारण अगले दिन यानी द्वादशी तिथि को ब्राह्मणों को भोजन कराने के बाद किया जाता है.