CHRISTMAS 2023: सांता नहीं चुड़ैलें आती हैं यहां! और यहां इस दिन मनाते हैं क्रिसमस! इस पर्व से संबंधित चौकानेवाले 6 तथ्य!
साल 2023 की विदाई का प्रतीक स्वरूप क्रिसमस पर्व करीब आ रहा है. शांति और सौहार्द के रूप में दुनिया भर में मशहूर इस पर्व की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं. चमचमाती सजावट, रंग-बिरंगी रोशनियों से सजी सड़कें, जगह-जगह उपहारों से जगमगाते क्रिसमस ट्री, पियानो पर मनमोहक धुनें निकालते वादक औऱ लजीज व्यंजनों की खुशबू, अपने प्रिय सांता क्लॉस का बाट जोहते बच्चे... यही तो है ना क्रिसमस पर्व की खूबसूरती
साल 2023 की विदाई का प्रतीक स्वरूप क्रिसमस पर्व करीब आ रहा है. शांति और सौहार्द के रूप में दुनिया भर में मशहूर इस पर्व की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं. चमचमाती सजावट, रंग-बिरंगी रोशनियों से सजी सड़कें, जगह-जगह उपहारों से जगमगाते क्रिसमस ट्री, पियानो पर मनमोहक धुनें निकालते वादक औऱ लजीज व्यंजनों की खुशबू, अपने प्रिय सांता क्लॉस का बाट जोहते बच्चे... यही तो है ना क्रिसमस पर्व की खूबसूरती! लेकिन इस पारंपरिक पर्व की कुछ ऐसी भी बातें हैं, जिनका जिक्र हम यहां करने जा रहे हैं, जिसे सुनकर आप चौंक जाएंगे, आइये जानें ऐसे 6 चौंकाने वाले सच..
यीशु के जन्म दिन को लेकर संशय .
क्रिमसम क्रिश्चियन समाज का सबसे महत्वपूर्ण पर्व माना जाता है. यह पर्व मूलतः यीशु मसीह के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में मनाया जाता है. ईसाई समाज मानता है कि यीशु ईश्वर के पुत्र थे. कैथोलिक चर्च मानता है कि प्रभु यीशु का जन्म 25 दिसंबर को हुआ था, वहीं ऐसा भी का जाता है कि यीशु के जन्मदिन का कोई प्रमाणिक तथ्य नहीं है. यह भी पढ़ें : Goa Liberation Day 2023 Greetings: गोवा मुक्ति दिवस पर ये हिंदी WhatsApp Wishes, HD Images और Wallpapers के जरिए दें बधाई
‘जिंगल बेल्स’ गीत का क्रिसमस से कोई संबंध नहीं
क्रिसमस पर्व की संध्या पार्टी में जिंगल बेल्स गाने का प्रचलन है, लेकिन इस गाने में कहीं भी ना क्रिसमस शब्द का उल्लेख है ना ही यीशु या सांता क्लॉज का. दरअसल यह क्रिसमस गीत कभी था ही नहीं. इस गीत को जॉली एंथम ने साल 1850 में लिखा था, जिसका शीर्षक था वन हॉर्स ओपन स्लीप, जिसे अमेरिकी अवकाश पर थैंक्सगिविंग के लिए गाया जाता था.
कुछ ईसाई इस दिन मनाते हैं क्रिसमस
कम लोग ही जानते होंगे, कि सभी ईसाई 25 दिसंबर को ही क्रिसमस नहीं मनाते हैं. रूस, यूक्रेन और रोमानिया जैसे रूढ़िवादी ईसाइयों की बड़ी आबादी वाले देशों में क्रिसमस 07 जनवरी को पड़ता है, इसलिए कुछ ग्रीक ऑर्थोडॉक्स ईसाई 07 जनवरी को क्रिसमस का पर्व मनाते हैं.
सांता क्लॉस नहीं, चुड़ैलें आती हैं यहां
क्रिसमस पर बच्चों का सर्वाधिक प्रिय कैरेक्टर होता है सांता क्लॉस. लेकिन दुनिया में कुछ ऐसी भी जगहें हैं, जहां सांता नहीं चुड़ैलें आती हैं. उदाहरणस्वरूप इटली में ला बेफाना नामक एक दयालु चुड़ैलें झाड़ू पर बैठकर आती है और बच्चों को खिलौने मिठाइयां देती है. वहीं आइसलैंड में बच्चे अपनी खिड़की के नीचे अपने जूते छोड़ देते हैं, यदि बच्चे का स्वभाव अच्छा होता है, तो अगले दिन जागने पर उसे जूते मिलेंगे, वरना सड़े हुए आलू मिलते हैं.
क्रिसमस ट्री की परंपरा
क्रिसमस-ट्री विक्टोरियन ब्रिटेन में भी खूब लोकप्रिय हैं. पहली बार इसे 16वीं सदी में जर्मनी में देखा गया था, जहां क्रिसमस के समय लोग देवदार के वृक्षों पर फल और ड्राई फ्रूट्स सजाये जाते थे. बाद में उनकी जगह आयीं मिठाइयां, और मोमबत्तियां. इतिहासकारों का मानना है कि इस उत्सव की उत्पत्ति रोमन और प्राचीन मिस्र वासियों की हो सकती है, जो सदाबहार पौधों एवं मालाओं के प्रतीक के रूप में इस्तेमाल किया जाता है.
नार्वे द्वारा ब्रिटेन को दिया इमोशनल क्रिसमस उपहार
क्या आप जानते हैं कि नॉर्वे प्रत्येक वर्ष एक सुंदर घर-नुमा क्रिसमस ट्री बनाकर लंदन भेजता है, जहां इसे ट्राफलगर स्क्वायर में रोशनियों के बीच सजाया जाता है. 20 मीटर ऊंचा यह शानदार और विशाल क्रिसमस ट्री सेकेंड वर्ल्ड वॉर के दौरान ब्रिटेन द्वारा नार्वे को दी गई मदद के लिए धन्यवाद स्वरूप नार्वे का एक उपहार है.