Bhai Dooj 2018: बहन-भाई के स्नेह का पावन पर्व है भाई दूज, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा की विधि और पौराणिक मान्यताएं

लक्ष्मी पूजन के दो दिन बाद यानी 9 नवंबर 2018 को भाई दूज का पावन पर्व मनाया जा रहा है. भाई-बहन के स्नेह का यह पावन पर्व हर साल कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि के दिन मनाया जाता है. इस दिन बहनें अपने भाई के माथे पर तिलक लगाती हैं और उसके सुनहरे भविष्य और लंबी उम्र के लिए कामना करती हैं

भाई दूज 2018 (Photo Credits: Instagram)

Bhai Dooj 2018: लक्ष्मी पूजन के दो दिन बाद यानी 9 नवंबर 2018 को भाई दूज का पावन पर्व मनाया जा रहा है. भाई-बहन के स्नेह का यह पावन पर्व हर साल कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि के दिन मनाया जाता है. इस दिन बहनें अपने भाई के माथे पर तिलक लगाती हैं और उनके सुनहरे भविष्य व लंबी उम्र के लिए कामना करती हैं. बदले में भाई इस दिन अपनी बहन को कुछ उपहार भेंट करता है. मान्यता है कि इस दिन अगर बहनें अपने भाई को खाना खिलाए तो उसकी उम्र बढ़ती है और भाई के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं. इस दिन बहन अपने भाई को चावल खिलाती हैं और इस दिन यमराज और यमुना की पूजा का विशेष महत्व बताया जाता है.

चलिए जानते हैं भाई-बहन के स्नेह को समर्पित इस पर्व से जुड़ी पौराणिक मान्यताएं, शुभ मुहूर्त और पूजन की आसान विधि.

देशभर में मनाया जाता है यह पर्व

विविधता वाले हमारे देश के विभिन्न इलाकों में भाई दूज के पर्व को अलग-अलग नामों से मनाया जाता है. पश्चिम बंगाल में इसे भाई फोटा, महाराष्ट्र में भाऊ बीज, यूपी व बिहार में भाई दूज के तौर पर इस पर्व को मनाया जाता है.

बहन के घर भोजन करने की है परंंपरा 

इस दिन निभाई जाने वाली परंपरा के मुताबिक, भाई अपनी बहन के घर भोजन करता है. ऋगवेद में वर्णन मिलता है कि यमुना ने अपने भाई यम को इस दिन खाने पर बुलाया था, इसीलिए इस दिन को यम द्वितिया के नाम से भी जाना जाता है. पद्मपुराण में इसका जिक्र मिलता  है कि जो व्यक्ति इस दिन अपनी बहन के घर भोजन करता है, वो साल भर किसी झगड़े में नहीं पड़ता व उसे शत्रुओं का भय नहीं होता है, यानी हर तरह के संकट से भाई को छुटकारा मिलता है और उसका कल्याण होता है. यह भी पढ़ें: Bhai Dooj 2018: भाई दूज के मौके पर अगर आप भी अपने भाई को देना चाहते है मोबाइल फोन, तो ये हैं आपके लिए बेस्ट ऑप्शन

भाई दूज से जुड़ी पौराणिक मान्यताएं

भाई दूज से जुड़ी पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भाई दूज के दिन ही मृत्यु के देवता यमराज अपनी बहन यमुना के घर गए थे. इसी के बाद से भाई दूज या यम द्वितीया की परंपरा शुरू हुई. इस मौके पर यमुना ने यमराज को भोजन कराया और तिलक कर उनके खुशहाल जीवन की कामना की.  इसके बाद जब यमराज ने बहन यमुना से वरदान मांगने को कहा, तो यमुना ने कहा कि, आप हर साल इस दिन मेरे घर आया करो और इस दिन जो भी बहन अपने भाई का तिलक करेगी उसे तुम्हारा भय अर्थात मृत्यु का भय न रहे.  बहन यमुना के वचन सुनकर यमराज अति प्रसन्न हुए और उन्हें आशीष प्रदान किया. मान्यता है कि भाई दूज के मौके पर जो भाई-बहन यमुना नदी में स्नान करते हैं उन्हें पुण्य की प्राप्ति होती है.

 एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार, भाई दूज के दिन ही भगवान श्री कृष्ण नरकासुर राक्षस का वध कर द्वारका वापस लौटे थे. इस दिन भगवान कृष्ण की बहन सुभद्रा ने फल, फूल, मिठाई और कई दीये जलाकर उनका स्वागत किया था. इसके साथ ही उन्होंने भगवान श्री कृष्ण के मस्तक पर तिलक लगाकर उनके दीर्घायु होने की कामना की थी.

भाई दूज पूजन की विधि

भाई दूज पूजन का शुभ मुहूर्त 

सुबह- 06.39 से 10.43 बजे तक.

दोपहर- 12.04 से 01.26 बजे तक.

शाम- 04.09 से 05.30 बजे तक.

रात- 08.47 से 10.26 बजे तक.

द्वितीया तिथि प्रारंभ- 8 नवंबर, रात 09.07 बजे से,

द्वितीया तिथि समाप्त- 9 नवंबर, रात 09.20 बजे तक.

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