Amla Navami 2020: आंवला नवमी कब है? जानें तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और इसका महत्व

आंवला नवमी दिवाली के 9 दिन बाद मनाई जाती है. इस बार यह पर्व 23 नवंबर को है. आंवला नवमी को अक्षय नवमी भी कहा जाता है. शास्त्रों के अनुसार इस दिन आंवले के पेड़ के नीचे बैठने और भोजन करने का विधान होता है. मान्यता है कि आंवला नवमी के दिन ही सतयुग की शुरुआत हुई थी, इसलिए इस दिन को सत्य युगादि के रूप में भी जाना जाता है.

प्रतिकात्मक तस्वीर

Amla Navami 2020: हिंदू कैलेंडर के अनुसार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आंवला नवमी का त्योहार मनाया जाता है. आंवला नवमी (Amla Navami) दिवाली (Diwali) के 9 दिन बाद मनाई जाती है. इस बार यह पर्व 23 नवंबर को है. आंवला नवमी को अक्षय नवमी (Akshay Navami) भी कहा जाता है. शास्त्रों के अनुसार इस दिन आंवले के पेड़ के नीचे बैठने और भोजन करने का विधान होता है. मान्यता है कि आंवला नवमी के दिन ही सतयुग की शुरुआत हुई थी, इसलिए इस दिन को सत्य युगादि के रूप में भी जाना जाता है और यह सभी प्रकार की दान-पुण्य गतिविधियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. इस व्रत को करने से इस जन्म के साथ साथ अगले जन्म में भी लाभ मिलेगा.

मान्यता है आंवला नवमी पर आंवले के पेड़ के नीचे भोजन करने से रोगों का नाश होता है और सौभाग्य की प्राप्ति होती है. इसके अलावा यह भी धार्मिक मान्यता है कि इस दिन महिलाएं संतान प्राप्ति और संतान की मंगलकामना के लिए आंवले के पेड़ की पूजा करती हैं. शास्त्रों के अनुसार अक्षय नवमी के दिन किया गया पुण्य कभी समाप्त नहीं होता है. इस दिन जो भी शुभ कार्य जैसे दान, पूजा, भक्ति, सेवा किया जाता है, उनका पुण्य कई-कई जन्म तक प्राप्त होता है. पद्म पुराण के अनुसार अक्षय नवमी के दिन आंवले के वृक्ष में भगवान विष्णु एवं शिवजी का निवास होता है. यह भी पढ़ें: Tulsi Vivah 2020: कब है तुलसी विवाह, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और पौराणिक कथा

शुभ मुहूर्त

आंवला नवमी तिथि- 23 नवंबर 2020 (सोमवार)

नवमी तिथि प्रारंभ- 22 नवंबर 2020 रात 10.53 बजे से,

नवमी तिथि समाप्त- 24 नवंबर 2020 मध्यरात्रि 00.34 बजे तक.

पूजा विधि-

सूर्योदय से पूर्व स्नान करके आंवले के वृक्ष की पूजा की जाती है. आंवले की जड़ में दूध चढ़ाकर रोली, अक्षत, पुष्प, गंध आदि से पवित्र वृक्ष की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करें. तत्पश्चात आंवले के वृक्ष की सात परिक्रमा करने के बाद दीप प्रज्वलित करें. उसके उपरांत कथा का श्रवण या वाचन करें.

आंवले का धार्मिक महत्व 

पद्म पुराण के अनुसार यह पवित्र फल भगवान श्री विष्णु को प्रसन्न करने वाला व शुभ माना गया है. इस फल को खाने मात्र से मनुष्य सब पापों से मुक्त हो जाता है. आंवला खाने से आयु बढ़ती है. आंवले का रस पीने से धर्म-संचय होता है और उसके जल से स्नान करने से दरिद्रता दूर होती है तथा सब प्रकार के ऐश्वर्य प्राप्त होते हैं. यह भी पढ़ें: Dev Uthani Ekadashi 2020: कब है देवउठनी एकादशी? इस दिन से क्यों शुरू हो जाते हैं विवाह और मांगलिक कार्य

जहां आंवले का फल मौजूद होता है, वहां भगवान श्री विष्णु सदा विराजमान रहते हैं तथा उस घर में ब्रह्मा एवं सुस्थिर लक्ष्मी का वास होता है, इसलिए अपने घर में आंवला अवश्य रखना चाहिए. इस दिन स्नान, पूजन, तर्पण तथा अन्नादि के दान से अक्षय अनंत गुना फल मिलता है. पद्म पुराण में भगवान शिव ने कार्तिकेय से कहा है कि आंवला वृक्ष साक्षात् विष्णु का ही स्वरूप है यह विष्णु प्रिय है और इसके स्मरण मात्र से गोदान के बराबर फल मिलता है.

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