Weather Forecast: इस बार कम पड़ेगी ठंड, कोल्ड वेव वाले दिन भी होंगे कम; सर्दियों को लेकर IMD की भविष्यवाणी
भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने सोमवार को अपने पूर्वानुमान में कहा कि शरद ऋतु के दौरान अक्टूबर और नवंबर में उच्च तापमान दर्ज करने के बाद, दिसंबर, जनवरी और फरवरी में सर्दी हल्की रहने की संभावना है और शीत लहर वाले दिन कम रहेंगे.
नई दिल्ली: भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने सोमवार को अपने पूर्वानुमान में कहा कि शरद ऋतु के दौरान अक्टूबर और नवंबर में उच्च तापमान दर्ज करने के बाद, दिसंबर, जनवरी और फरवरी में सर्दी हल्की रहने की संभावना है और शीत लहर वाले दिन कम रहेंगे. भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने अपने हालिया पूर्वानुमान में कहा है कि इस साल दिसंबर से फरवरी के बीच सर्दियां हल्की रहेंगी और कोल्ड वेव (शीत लहर) वाले दिनों की संख्या भी सामान्य से कम होगी.
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IMD के अनुसार, इस साल नवंबर का महीना 1901 के बाद दूसरा सबसे गर्म नवंबर रहा. उत्तर-पश्चिम भारत में यह अब तक का सबसे गर्म नवंबर था. इससे पहले अक्टूबर भी रिकॉर्डतोड़ गर्मी वाला महीना था, जो पिछले 123 वर्षों में सबसे गर्म अक्टूबर के रूप में दर्ज हुआ.
क्या है कोल्ड वेव?
शीत लहर तब घोषित होती है, जब न्यूनतम तापमान सामान्य से 10 प्रतिशत कम हो और 15 डिग्री सेल्सियस से नीचे हो. यदि यह स्थिति लगातार तीन दिनों तक बनी रहती है, तो इसे कोल्ड वेव इवेंट माना जाता है.
सामान्यतः उत्तर-पश्चिम, मध्य, पूर्व और उत्तर-पूर्व भारत में दिसंबर से फरवरी के बीच 5-6 कोल्ड वेव दिन देखे जाते हैं. लेकिन इस साल, IMD के मुताबिक, यह संख्या घटकर 2-4 रह सकती है.
इस बार सर्दी में क्या बदलाव होगा?
सामान्य से अधिक तापमान: देश के अधिकांश हिस्सों में सर्दियों के दौरान सामान्य से अधिक तापमान दर्ज होने की संभावना है.
कम शीत लहर के दिन: उत्तर-पश्चिम, मध्य और उत्तर-पूर्वी भारत में शीत लहर वाले दिन कम होंगे.
दक्षिण भारत में बढ़ सकती है ठंड: दक्षिण प्रायद्वीपीय भारत में तापमान सामान्य से नीचे रह सकता है.
बारिश की कमी का असर
इस साल नवंबर में बारिश की भारी कमी दर्ज की गई. उत्तर-पश्चिम भारत में अक्टूबर से दिसंबर के बीच 77.2% और देश भर में 15% कम बारिश हुई. नवंबर में यह कमी और अधिक थी, जिसमें उत्तर-पश्चिम भारत में 79.9% और पूरे देश में 54.5% की कमी दर्ज की गई.
IMD के निदेशक एम. महापात्रा ने कहा कि नवंबर के दौरान कोई सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ नहीं था, जिससे उत्तर भारत में बारिश नहीं हुई. केवल एक चक्रवात ‘फेंगल’ के कारण तमिलनाडु तट पर थोड़ी वर्षा हुई.