CBSE 10वीं बोर्ड के विद्यार्थी थे विनायक श्रीधर, चौथे पेपर से पहले हो गई थी मौत, 3 पेपर में पाए 98%, इस गंभीर बीमारी से थे पीड़ित
श्रीधर एमिटी इंटरनेशनल स्कूल, नोएडा के छात्र थे. विनायक श्रीधर ने अपनी मृत्यु से पहले सीबीएसई की दसवीं कक्षा की जिन तीन विषयों की परीक्षा दी थी उन सभी में उसने लगभग 100 प्रतिशत अंक हासिल किए. श्रीधरन को अंग्रेजी में 100 अंक हासिल किए, विज्ञान में 96 और संस्कृत में 97 अंक मिले थे
नई दिल्ली: उसे अंतरिक्ष में जाना था. उसे आसमान में उड़ना था. लेकिन सपना बस एक सपना रह गया. जिन आंखो में था यह सपना वो अब कभी नहीं खुलेगा. 16 वर्षीय विनायक श्रीधर ( Vinayak Shridhar) स्टीफन हॉकिंग को अपना आदर्श मानते थे. वे अंतरिक्ष वैज्ञानिक बनकर दुनिया को देखना चाहते थे. लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था. 10वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा में टॉप करना, अंतरिक्ष यात्री बनना और रामेश्वरम की यात्रा करना इत्यादि श्रीधर की अधूरी इच्छाएं बनकर रह गई. विनायक श्रीधर ने तीन विषयों के पेपर दिए लेकिन चौथे पेपर से पहले उनका निधन हो गया.
श्रीधर एमिटी इंटरनेशनल स्कूल, नोएडा के छात्र थे. विनायक श्रीधर ने अपनी मृत्यु से पहले सीबीएसई की दसवीं कक्षा की जिन तीन विषयों की परीक्षा दी थी उन सभी में उसने लगभग 100 प्रतिशत अंक हासिल किए. श्रीधरन को अंग्रेजी में 100 अंक हासिल किए, विज्ञान में 96 और संस्कृत में 97 अंक मिले थे. लेकिन बाकी दूसरे विषय की परीक्षा देने से पहले उनका निधन हो गया. विनायक के परिवार में उनके पिता श्रीधर, मां ममता और एक बहन हैं जो यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिटिश कोलंबिया से पीएचडी की पढ़ाई कर रही हैं.
इस बिमारी से पीड़ित थे विनायक
16 वर्षीय विनायक श्रीधर ड्यूशेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी (मांसपेशियों के अपविकास से संबंधी बीमारी) नाम बीमारी से पीड़ित थे. जो मांसपेशियों के विकास को अवरूद्ध करती है और वह सिकुड़ने लगता है और अंग बेहद कमजोर हो जाता है. इसी बीमारी के कारण शारीरिक गतिविधि रुक गई थी और वह व्हीलचेयर पर रहते थे. उनका दिमाग बहुत तेज था और आकांक्षाएं बहुत अधिक थीं.