उत्तराखंड: अब उर्दू की जगह संस्कृत में दिखेंगे रेलवे स्टेशनों के नाम, जानें फैसले के पीछे की वजह

अभी तक उत्तराखंड के सभी रेलवे स्टेशनों के नाम हिंदी, अंग्रेजी और उर्दू में लिखा होता है. उर्दू की जगह यह नाम संस्‍कृत में लिखा जाएगा. रेलवे अधिकारियों का कहना है कि ये फैसला रेलवे मैन्युअल के मुताबिक लिया गया है.

देहरादून रेलवे स्टेशन की तस्वीर (Photo Credit-Wikimedia Commons)

देहरादून: उत्तराखंड (Uttarakhand) के सभी रेलवे स्टेशनों (Railway Stations) में अब जल्द ही एक बदलाव देखने को मिलेगा. यहां के स्टेशनों के नाम अब उर्दू (Urdu) की जगह संस्कृत (Sanskrit) में लिखे जाएंगे. अभी तक उत्तराखंड के सभी रेलवे स्टेशनों के नाम हिंदी, अंग्रेजी और उर्दू में लिखे हुए हैं. उर्दू की जगह यह नाम संस्‍कृत में लिखा जाएगा. रेलवे अधिकारियों का कहना है कि ये फैसला रेलवे मैन्युअल के मुताबिक लिया गया है. जिसके मुताबिक स्टेशनों के नाम हिंदी, अंग्रेजी और राज्य की दूसरी राजकीय भाषा में लिखा होना चाहिए. रेलवे द्वारा लिये गये फैसले के अनुसार, अब हिंदी, अंग्रेजी और संस्कृत में स्‍टेशन के नाम लिखे जाएंगे.

उत्तराखंड ने साल 2010 में संस्कृत को दूसरी राजकीय भाषा के रूप में स्वीकार किया था. उस समय तत्कालीन मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा था कि राज्य में संस्कृत के प्रसार के लिए ये किया गया है. 2010 में उत्तराखंड संस्कृत को राज्य की दूसरी राजकीय भाषा बनाने वाला पहला राज्य बना. उत्तराखंड के बाद साल 2019 में हिमाचल सरकार ने भी संस्कृत को राज्य की दूसरी राजभाषा बनाया है.

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टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट् के अनुसार सीनियर डिविजनल कमर्शल मैनेजर (डीसीएम) ने कहा, कि राज्य के सभी रेलवे स्टेशनों का संस्कृत में सही-सही अनुवाद करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य होगा. इसके लिए राज्य के उन जिलों में जहां रेलवे स्टेशन हैं उनके जिलाधिकारियों को पत्र लिखकर स्टेशनों की हिंदी, अंग्रेजी और संस्कृत में सही स्पेलिंग पूछी गई है, जिलाधिकारियों के जवाब का इंतजार है."

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि संस्कृत में रेलवे स्टेशनों के नाम हिंदी से ही मिलते-जुलते होंगे. दोनों भाषाओं में देवनागरी लिपि का इस्तेमाल होता है इसलिए दोनों के नामों में ज्यादा अंतर नहीं होगा. 'देहरादून को संस्कृत में देहरादूनम्, हरिद्वार को हरिद्वारम् और रूड़की को रूड़कीः लिखा जा सकता है.

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