Uttarakhand Foundation Day 2022: कैसे हुआ उत्तराखंड का उद्भव! जानें इसका इतिहास, उत्सव एवं महत्व!
देश के खूबसूरत प्रदेशों में एक है उत्तराखंड, जिस पर सही मायने में प्रकृति की विशेष कृपा बरसती है. हिमालय की गोद में बसे, पर्वत श्रृंखलाओं, नदियों, चीड़ के वृक्षों, झीलों, जल प्रपातों, प्राचीन कंदराओं और रंग-बिरंगे फूलों से अटे-पटे इस पर्वतीय राज्य का स्थापना दिवस प्रत्येक वर्ष 9 नवंबर को मनाया जाता है.
देश के खूबसूरत प्रदेशों में एक है उत्तराखंड, जिस पर सही मायने में प्रकृति की विशेष कृपा बरसती है. हिमालय की गोद में बसे, पर्वत श्रृंखलाओं, नदियों, चीड़ के वृक्षों, झीलों, जल प्रपातों, प्राचीन कंदराओं और रंग-बिरंगे फूलों से अटे-पटे इस पर्वतीय राज्य का स्थापना दिवस प्रत्येक वर्ष 9 नवंबर को मनाया जाता है. इस वर्ष अपना 22 वां जन्मदिन मनाने जा रहे उत्तराखंड राज्य के बारे में जानें इसका महत्व, इतिहास, उद्देश्य एवं उत्सव के बारे में विस्तार से...
उत्तराखंड दिवस का इतिहास
उत्तराखंड वास्तव में संस्कृत से उद्धृत शब्द है, जिसका शाब्दिक अर्थ है 'उत्तरी शहर'. दरअसल साल 1950 में भारत का संविधान लागू होने के बाद संयुक्त प्रांत को उत्तर प्रदेश का नाम दिया गया था. जनसंख्या की दृष्टि से यह देश का सबसे बड़ा प्रदेश था. शायद इन्हीं वजहों से प्रदेश सरकार राज्य के निवासियों की तमाम मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति को सुचारु नहीं कर पा रही थी. तमाम संसाधनों उपलब्ध होने के बावजूद राज्य में गरीबी, बेरोजगारी, आवश्यक संसाधनों का अभाव बना रहता था. इन समस्याओं से निपटने के लिए उत्तराखंड क्रांति दल का गठन हुआ. पर्वतीय क्षेत्र वासियों की चुनौतियों एवं मूलभूत आवश्यकताओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए इसे उत्तर प्रदेश से अलग कर एक स्वतंत्र राज्य की मांग की गई. 2 अक्टूबर 1994 में पृथक राज्य को लेकर एक बड़ा हिंसक आंदोलन हुआ. 6 साल लंबे चले आंदोलन के बाद 9 नवंबर 2000 को पर्वतीय क्षेत्रों के आधार बंटवारा हुआ और उत्तराखंड को विशेष राज्य का दर्जा मिला. 1 जनवरी, 2007 को इसका नाम उत्तराखंड किया गया. यह भी पढ़ें : मप्र में कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर ‘‘भारत जोड़ो यात्रा’’ में शामिल होने का कोई दबाव नहीं : कमलनाथ
उत्तराखंड स्थापना उत्सव
आम तौर पर उत्तराखंड राज्य मुख्यमंत्री द्वारा एक सप्ताह तक स्थापना दिवस मनाया जाता है, जिसमें प्रदेश के विकास के संदर्भ में किस्म-किस्म के कार्यक्रम एवं योजनाएं क्रियान्वित की जाती है. जगह-जगह छोटे-बड़े मेलों, शिविरों एवं मंचों का गठन किया जाता है, जिसमें शामिल होकर हर उत्तराखंड निवासी गौरवान्वित महसूस करता है. इस अवसर पर राज्य के मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा राज्य के इतिहास, महत्व एवं विकास संदर्भित विशेषताओं को दर्शाने हेतु भव्य समारोह का आयोजन किया जाता है, ताकि राज्य के युवा अपने राज्य के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानें और इसके विकास में अपना योगदान दे.
प्राकृतिक संसाधनों वाले उत्तराखंड का महत्व
उत्तराखंड की सीमाएं उत्तर में तिब्बत, पूर्व में नेपाल से लगी है, पश्चिम में हिमाचल प्रदेश और दक्षिण में उत्तर प्रदेश की सीमा संलग्न है. यह प्रदेश देवभूमि के नाम से भी लोकप्रिय है क्योंकि तमाम प्राचीनतम धार्मिक स्थलों के साथ ही हिंदू धर्म में सर्वाधिक पवित्र एवं सबसे बड़ी नदियों गंगा और यमुना का उद्गम स्थल है. उत्तराखंड प्रचुर प्राकृतिक संसाधनों से सुसज्ज हैं. इसमें ग्लेशियर, नदियां, घने जंगल और बर्फाच्छादित पर्वत श्रृंखलाएं हैं, जो प्रदेश को प्रदूषण मुक्त करने में अहम भूमिकाएं निभाती हैं. ‘देवभूमि’ के नाम से प्रख्यात इस प्रदेश में चार सबसे पवित्र और श्रद्धेय हिंदू मंदिर, बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री हैं, जिन्हें उत्तराखंड के चार धाम के रूप में भी जाना जाता है. हरिद्वार स्थित हर की पौड़ी में गंगा घाट पर हर दिन सूर्यास्त के बाद गंगा आरती होती है, जहां भारी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित होते हैं