उत्तर प्रदेश: नदी की रेत में सब्जी उगाने वालों पर होगी कार्रवाई, जिलाधिकारी ने जारी किया आदेश

उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में तैनात जल संस्थान के महाप्रबंधक आर.एस. कनौजिया (R S. Kanaujia) ने मंगलवार को जिलाधिकारी के एक आदेश का हवाला देकर कहा कि केन नदी की रेत पर सब्जी उगा रहे मल्लाहों के खिलाफ अब पुलिस कार्रवाई करेगी...

रेत में खेती (Photo Credit- Pixabay)

बांदा:  उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में तैनात जल संस्थान के महाप्रबंधक आर.एस. कनौजिया (R S. Kanaujia) ने मंगलवार को जिलाधिकारी के एक आदेश का हवाला देकर कहा कि केन नदी की रेत पर सब्जी उगा रहे मल्लाहों के खिलाफ अब पुलिस कार्रवाई करेगी. इन मल्लाहों पर रेत में गड्ढे खोद कर सब्जी की सिंचाई करने का आरोप है, जिससे मुख्यालय की पेयजल व्यवस्था चरमरा गई है.

कनौजिया ने बताया, "जिलाधिकारी हीरालाल ने दो दिन पूर्व पेयजल (Drinking water) आपूर्ति के लिए केन नदी में लगे इंटेकवेल का निरीक्षण किया था. जिसमें पाया गया कि आधा सैकड़ा मल्लाहों ने खाली पड़ी रेत में सब्जी की फसल उगाई है और उसकी सिंचाई के लिए चोहड़ (गड्ढ़े) खोदे हुए हैं. गड्ढों की खोदाई से नदी का पानी इंटेकवेल तक नहीं जा पा रहा है, जिससे शहर में भारी पेयजल संकट उत्पन्न हो गया है."

 

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बकौल महाप्रबंधक, "जिलाधिकारी ने पुलिस को इन मल्लाहों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई करने का आदेश जारी किया है." इस संबंध में जिलाधिकारी के सरकारी फोन पर काल कर उनका पक्ष जानने की कोशिश की गई, लेकिन उनसे बात नहीं हो पाई. जिलाधिकारी के इस फरमान की चौतरफा निंदा हो रही है.

बुंदेलखंड किसान यूनियन के केन्द्रीय अध्यक्ष विमल कुमार शर्मा का कहना है, "इंटेकवेल तक पानी न पहुंचने की असली वजह बालू माफियाओं द्वारा भारी भरकम मशीनों से नदी की बीच जलधारा में किया गया अवैध खनन है. जलधारा की बालू निकाले जाने से नदी में बड़े-बड़े गड्ढ़े हो गए हैं और वहां पानी जमा हो गया है. मल्लाहों ने सब्जी की सिंचाई के लिए सूखे रेत में गड्ढे खोदे हैं."

भारतीय जनता पार्टी (BJP) के तिंदवारी विधायक बृजेश कुमार प्रजापति ने कहा, "जिलाधिकारी के इस तुगलकी फरमान से सभी भौचक्का हैं. भूमिहीन मल्लाह रेत में सब्जी उगा कर अपना परिवार पाल रहे हैं तो वे अपराधी हो गए और दिनदहाड़े जेसीबी, पोकलैंड व एलएनटी मशीनों से बालू का अवैध खनन करने वाले ईमानदार हैं." उन्होंने कहा, "केन नदी का यह भूरागढ़ क्षेत्र उनकी विधानसभा का हिस्सा है. अगर किसी के खिलाफ अनर्गल कार्रवाई की गई तो आंदोलन होगा."

केन नदी की रेत में सब्जी उगाने वाले मल्लाह बलराम, प्रकाश और रामजोत निषाद ने संयुक्त रूप से बताया, "रेत में सब्जी उगाने वाले किसी भी मल्लाह के पास कृषि भूमि नहीं है. केन नदी की रेत में उगाई गई सब्जी से हुई आय से उनके परिवार का साल भर का बसर होता है. नदी में अब भी दिन-रात पानी से मशीनों द्वारा बालू का खनन किया जा रहा है. इंटेकवेल के नीचे तक की बालू निकाल ली गई है, जिससे वहां पानी नहीं पहुंच रहा."

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