अखिलेश के बाद मायावती पर कसा शिकंजा, 14 अरब के स्मारक घोटाले में ED ने की छापेमारी
उत्तर प्रदेश के 14 अरब के स्मारक घोटाला मामलें में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गुरुवार को बड़ी कार्यवाई की है. इसके तहत ईडी ने उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के बाद अब बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) सुप्रीमों मायावती पर शिकंजा कसा है.
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के 14 अरब के स्मारक घोटाला (Monument Scam) मामलें में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गुरुवार को बड़ी कार्यवाई की है. इसके तहत ईडी ने उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के बाद अब बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) सुप्रीमों मायावती पर शिकंजा कसा है. ईडी की टीम ने इस मामले में लखनऊ में करीब सात जगहों पर छापेमारी की है, जिसमें कुछ मायावती के करीबी बताए जा रहे है.
जानकारी के मुताबिक ईडी की टीम ने हजरतगंज, गोमतीनगर, अलीगंज और शहीद पथ के आसपास सहित सात स्थानों पर छापेमारी की. यह छापेमारी अधिकारियों और निजी लोगों के ठिकानो पर की गई. एक अधिकारी ने बताया कि केंद्रीय जांच एजेंसी ने 2014 की राज्य सतर्कता विभाग की शिकायत पर संज्ञान लेते हुए इन मामलों की जांच के लिये धन शोधन निरोधक अधिनियम (पीएमएलए) के तहत एक आपराधिक मामला दर्ज किया है.
स्मारक घोटाला 2007 से 2011 के बीच का है. जब सूबे में मायावती मुख्यमंत्री थीं. मायावती के नेतृत्व वाली सरकार ने लखनऊ, नोएडा और राज्य में कुछ अन्य जगहों पर हजारों करोड़ रुपये की लागत से स्मारक, मूर्तियां और पार्क बनवाए थे. इसमें बीएसपी के संस्थापक कांशीराम और पार्टी के चुनाव चिन्ह हाथी की प्रतिमाएं भी शामिल थी. यह आरोप है कि इस कृत्य से सरकारी खजाने को 111,44,35,066 रुपये का नुकसान हुआ और लोकसेवकों व निजी व्यक्तियों को अवैध फायदा हुआ.
इससे पहले अखिलेश यादव से जुड़े खनन मामले पर ईडी ने आईएएस अफसर बी चंद्रकला के घर पर छापा मारा था. ऐसा आरोप है कि समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री रहते हुए 2013 में हमीरपुर जिले में नियमों का उल्लंघन करते हुए 14 लोगों को खदान की लीज दी थी.