UP: बदायूं में जामा मस्जिद के शिव मंदिर होने का दावा, कोर्ट में 15 सितंबर को होगी सुनवाई
बदायूं की जामा मस्जिद मौलवी टोला इलाके में बनी है, जिसमें एक साथ लगभग 23000 लोगों के नमाज पढ़ने की जगह है. दावा है कि जामा मस्जिद पहले नीलकंठ महादेव मंदिर था. राजा लखनपाल ने 905 में इसका निर्माण कराया था.
बदायूं: उत्तर प्रदेश (UP) के बदायूं जिले में हिन्दू संगठनों ने जामा मजिस्द (Badaun Jama Masjid) में नीलकंठ महादेव (Neelkanth Mahadev Temple) के होने का दावा किया है. इस दावे के साथ जिले की सिविल कोर्ट में एक याचिका भी दायर हुई है, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है. इसमें नीलकंठ महादेव की तरफ से हिन्दू महासभा के प्रदेश संयोजक मुकेश पटेल खड़े हुए हैं. मामले की अगली सुनवाई 15 सितम्बर 2022 को तय की गई है. 2 अगस्त 2022 को दायर इस याचिका पर आदेश शुक्रवार (2 सितम्बर 2022) को हुआ है. Jharkhand: देवघर एयरपोर्ट की सुरक्षा में हुई चूक, BJP सांसद निशिकांत दुबे समेत 9 के खिलाफ केस दर्ज
सिविल जज जूनियर डिविजन की कोर्ट में शुक्रवार को याचिका पर सुनवाई हुई थी. सिविल जज जूनियर डिविज़न विजय कुमार गुप्ता की कोर्ट ने महासभा की याचिका स्वीकार करते हुए इस मामले में वाद दर्ज करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने मस्जिद की इंतजामिया कमेटी के अलावा सुन्नी वक्फ़ बोर्ड, यूपी सरकार, राज्य पुरातत्व विभाग, ज़िला मजिस्ट्रेट और प्रमुख सचिव को अपना जवाब पेश करने को कहा है.
हिंदू महासभा के प्रदेश संयोजक और बदायूं ज़िलाध्यक्ष मुकेश पटेल ने 8 अगस्त को एक याचिका दाख़िल की थी. उनका दावा है कि जामा मस्जिद पहले नीलकंठ महादेव मंदिर था. राजा लखनपाल ने 905 में इसका निर्माण कराया था. बाद में उनके वंशज महीपाल ने इसे किले में तब्दील कर दिया था. इतिहास की किताबों के हवाला देते हुए पक्षकारों का कहना है कि 1222 ईस्वी में शमसुद्दीन इल्तुतमिश ने इसे जामा मस्जिद का आकार दिया था. उन्होंने कोर्ट से जामा मस्जिद का सर्वे करवाने की मांग की है.
आपको बता दें कि बदायूं की जामा मस्जिद मौलवी टोला इलाके में बनी है, जिसमें एक साथ लगभग 23000 लोगों के नमाज पढ़ने की जगह है. गौरतलब है कि कुछ समय पूर्व वाराणसी में हुए ज्ञानवापी ढांचे के सर्वे में हिन्दू पक्षकारों ने प्राचीन शिवलिंग मिलने का दावा किया था. हालांकि मुस्लिम पक्षकारों ने उसे फव्वारा बताया था.