क्षेत्र में स्वतंत्रता के मूल सिद्धांतों पर आधारित चुनौतियों से निपटने की आवश्यकता है: राजनाथ
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बृहस्पतिवार को आसियान के नेतृत्व वाले एक मंच पर कहा कि स्वतंत्रता के मूल सिद्धांतों, खुलेपन और समावेशिता पर आधारित चुनौतियों से मिलकर निपटने की क्षमता क्षेत्र का भविष्य तय करेंगे.
नयी दिल्ली, 10 दिसंबर: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने बृहस्पतिवार को आसियान के नेतृत्व वाले एक मंच पर कहा कि स्वतंत्रता के मूल सिद्धांतों, खुलेपन और समावेशिता पर आधारित चुनौतियों से मिलकर निपटने की क्षमता क्षेत्र का भविष्य तय करेंगे. सिंह ने कहा, ‘‘नियम आधारित व्यवस्था, समुद्री सुरक्षा, साइबर संबंधी अपराध एवं आतंकवाद जैसे कई खतरे हैं, जो चुनौतियां बने हुए हैं और हमें एक मंच के तौर पर इनसे निपटने की आवश्यकता है.’’ उन्होंने आसियान के रक्षा मंत्रियों की ऑनलाइन बैठक ‘एडीएमएम-प्लस’ को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘क्षेत्र में स्वतंत्रता के मूल सिद्धांतों, समावेशिता एवं खुलेपन पर आधारित चुनौतियों से मिलकर निपटने की हमारी क्षमता हमारा भविष्य तय करेगी.’’ एडीएमएम-प्लस आसियान और भारत समेत इसके आठ संवाद भागीदारों के लिए एक मंच है.
सिंह की यह टिप्पणी पूर्वी लद्दाख (Eastern Ladakh) में भारत और चीन (China) के बीच सात महीने से अधिक समय से सीमा पर जारी विवाद की पृष्ठभूमि में की गई है. सिंह ने कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के कारण पैदा हुई चुनौतियों से भी निपटने की आवश्यकता को रेखांकित किया. रक्षा मंत्री ने कहा कि कोविड-19 की चुनौती ने दुनिया को बदल दिया है और कई ऐसी बाधाएं पैदा की हैं, जिनसे पार पाना है.
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उन्होंने कहा, ‘‘दुर्भाग्य की बात है कि महामारी का हानिकारक प्रभाव अब भी सामने आ रहा है.’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह सुनिश्चित करना चुनौती है कि दुनिया की अर्थव्यवस्था पटरी पर लौटने की राह पर आगे बढ़े और जब यह रफ्तार पकड़े तो यह सुनिश्चित किया जाए कि इस दौरान कोई पीछे न छूट जाए.’’
एडीएमएम-प्लस की पहली बैठक 2010 में हनोई में हुई थी. उस समय रक्षा मंत्रियों ने नए तंत्र के तहत समुद्री सुरक्षा, आतंकवाद विरोधी, मानवीय सहायता और शांति रक्षा अभियानों समेत पांच क्षेत्रों में व्यावहारिक सहयोग करने पर सहमति जताई थी.
आसियान और भारत के बीच संबंध पिछले कुछ वर्षों में मजबूत हुए हैं और व्यापार एवं निवेश के साथ-साथ सुरक्षा क्षेत्र में भी सहयोग बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया गया है.
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