नागरिकता संशोधन कानून पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार, 59 याचिकाओं पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी
नागरिकता संशोधन कानून पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाने से इंकार कर दिया है. SC ने इस संबंध में केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया. केंद्र सरकार को इस मामले में जनवरी के दूसरे हफ्ते में जवाब दाखिल करने को कहा है.
नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन कानून (Citizenship Act 2019) पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने इनकार कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को नागरिकता कानून को लेकर की गई 60 याचिकाओं की सुनवाई करते हुए इस कानून पर रोक लगाने से इनकार कर दिया. SC ने इस संबंध में केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया. केंद्र सरकार को इस मामले में जनवरी के दूसरे हफ्ते में जवाब दाखिल करने को कहा है. मामले में अगली सुनवाई अब 22 जनवरी 2020 को होगी. इस संबंध में पहली याचिका इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग की तरफ से दायर की गई थी उसके बाद कांग्रेस और दूसरे संगठनों के साथ साथ कुल 59 याचिकाएं दायर की गईं.
इन याचिकाओं में दलील की गई थी कि नागरिकता संशोधन कानून संविधान का उल्लंघन करता है. यह कानून संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता) और (अनुच्छेद 21) जीवन के अधिकारों का उल्लंघन करता है. याचिका में कहा गया है कि कानून 1985 के असम समझौते का भी उल्लंघन करता है.
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अगली सुनवाई 22 जनवरी 2020 को-
चीफ जस्टिस ने नागरिकता संशोधन कानून पर रोक लगाने की मांग को ठुकरा दी. चीफ जस्टिस एसए बोबड़े ने कहा है कि हम इसपर रोक नहीं लगा रहे हैं. इस दौरान वकील ने कहा कि असम जल रहा है, अभी इस एक्ट पर रोक की जरूरत है. इस पर चीफ जस्टिस ने इस सुनवाई को तुरंत करने से इनकार कर दिया.
क्या है नागरिकता (संशोधन) कानून-
नागरिकता (संशोधन) कानून, 2019 (Citizenship Amendment ACT 2019) राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद (Ram Nath Kovind) की मंजूरी के साथ देशभर में लागू हो गया. इस नए कानून के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न का सामना करने वाले गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यक प्रवासियों को भारतीय नागरिकता दी जाएगी.
इसके तहत हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के सदस्य, जो 31 दिसंबर, 2014 तक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हैं और वहां धार्मिक उत्पीड़न का सामना किया है, उन्हें गैरकानूनी प्रवासी नहीं माना जाएगा बल्कि भारतीय नागरिकता दी जाएगी.