CBI निदेशक विवाद: रिटायर्ड जज की निगरानी में होगी आलोक वर्मा पर लगे आरोपों की जांच, 2 हफ्ते में आएगी रिपोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के निदेशक मामले की जांच जज की निगरानी में होगी. कोर्ट ने जांच का जिम्मा जस्टिस एके पटनायक को सौपा है. इसके साथ ही शीर्ष कोर्ट ने दों हफ़्तों में जांच पूरी करने का आदेश दिया है.

सुप्रीम कोर्ट (Photo Credits: PTI/File Image)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के निदेशक आलोक वर्मा मामले की जांच रिटायर्ड जज की निगरानी में होगी. कोर्ट ने जांच का जिम्मा जस्टिस एके पटनायक को सौपा है. सुप्रीम कोर्ट ने सेंट्रल विजिलेंस कमिशन (सीवीसी) को दो हफ्तों में जांच पूरी करने का ​निर्देश दिया. उधर सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना ने भी सुप्रीम कोर्ट के दरवाजा खटखटाया है.

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा देशहित में मामले को ज्यादा लंबा नहीं खींच सकते. इसलिए सीबीआई निदेशक विवाद जल्द से जल्द खत्म होना चाहिए. इसके अलावा कोर्ट ने कहा की अंतरिम निदेशक नागेश्वर राव कोई नीतिगत फैसले नहीं ले सकते. साथ ही केंद्र सरकार को भी नोटिस भेजा है. कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 12 नवंबर तक टाल दी है.

बता दें कि केंद्र सरकार ने बुधवार को सीबीआई के शीर्ष अधिकारियों के बीच चल रही लड़ाई के बीच जांच एजेंसी के निदेशक आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेज दिया था. जिसके बाद आलोक वर्मा ने इस फैसले के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था.

सीबीआई के निदेशक आलोक वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में दायर अपनी याचिका में कहा है कि एक स्वतंत्र और स्वायत्त सीबीआई की जरूरत है. उन्होंने कहा है कि वर्तमान परिस्थितियों में सरकार ने जो कदम उठाए हैं वो वांछनीय है. आलोक वर्मा ने कहा है, "सीवीसी और केंद्र ने मुझे सीबीआई निदेशक की भूमिका से हटाने के लिए 'रातों रात निर्णय' लिया. यह फैसला मनमाना और गैरकानूनी है. इसे रद्द किया जाना चाहिए."

आलोक वर्मा का केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) प्रमुख के तौर पर कार्यकाल दो महीने बचा हुआ है और उन्हें औपचारिक रूप से नहीं हटाया जा सकता.

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मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति (एसीसी) ने वर्मा पर फैसला किया है. एसीसी ने संयुक्त निदेशक एम.नागेश्वर राव को सीबीआई निदेशक के दायित्व संभालने के लिए कहा है.

एक आधिकारिक आदेश में कहा गया है कि यह व्यवस्था अंतरिम समय तक जारी रहेगी, क्योंकि आलोक वर्मा व सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के बीचे रिश्वतखोरी को लेकर आरोप-प्रत्यारोप तेज हो गए हैं.

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