RTI में हुआ बड़ा खुलासा: UPA सरकार में हर महीने 9000 फोन कॉल्स, 500 ईमेल्स किए जाते थे इंटरसेप्ट

आरटीआई ने नया खुलासा किया है. इस रिपोर्ट के अनुसार यूपीए सरकार के दौरान हर महीने केंद्र सरकार की तरफ से 7500 से 9000 फोन कॉल्स के इंटरसेप्शन के आदेश जारी किए जाते थे.

प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: Pixabay)

सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने 10 सेंट्रल एजेंसियों को कॉल, ईमेल सहित हर तरह के डेटा की निगरानी की जिम्मेदारी सौंपी है. कांग्रेस (Congress) समेत तमाम विपक्षी दल इस फैलसे पर सरकार का विरोध कर रहे हैं. लेकिन इस मामले में अब आरटीआई (RTI) ने नया खुलासा किया है. इस रिपोर्ट के अनुसार यूपीए (UPA) सरकार के दौरान हर महीने केंद्र सरकार की तरफ से 7500 से 9000 फोन कॉल्स के इंटरसेप्शन के आदेश जारी किए जाते थे. इसके अलावा 500 ईमेल्स की भी निगरानी की जाती थी. यानी हर दिन 300 फोन कॉल्स और 20 ईमेल्स इंटरसेप्ट किए जाते थे.

यह आरटीआई मनमोहन सरकार के समय की ही है. गृह मंत्रालय ने तब एक आरटीआई के उत्तर में यह माना था कि केंद्र सरकार हर माह औसतन 7500 से 9000 फोन कॉल्स को टेप करने के आदेश जारी करती है. बता दें कि, 6 अगस्त 2013 को प्रसेनजीत मंडल द्वारा दाखिल एक आरटीआई के जवाब में गृह मंत्रालय ने कहा था कि केंद्र सरकार हर महीने औसतन 7500 से 9000 फोन कॉल्स इंटरसेप्ट करने के आदेश जारी करती है. इसके साथ ही हर महीने औसतन 300 से 500 ई-मेल संदेशों के इंटरसेप्शन के आदेश दिए जाते हैं.

2013 में यूपीए सरकार ने एक आरटीआई का जवाब देते हुए बताया था कि 10 एजेंसियों को इंटरसेप्शन का अधिकार दिया गया है. पुरानी आरटीआई में दिए गए इस जवाब को मोदी सरकार के लिए राहत की बात मानी जा रही है. ऐसा बताया जा रहा है कि मुंबई बम हमले के बाद यूपीए सरकार ने इस तरह के आदेश जारी किए थे.

बता दें कि मोदी सरकार ने जब एजेंसियों को निगरानी करने की मंजूरी दी थी तब. राहुल गांधी ने कहा था कि मोदी इस देश को पुलिस स्टेट में बदलना चाहते हैं. इसका जवाब देते हुए अमित शाह ने राहुल की चुटकी लेते हुए कहा था कि क्या डर है जो छुपा रहे हो. दूसरे कई नेताओं ने इसे व्यक्तिगत आजादी और सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन बताया था.

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