रांची, 13 जून: रांची में सेना के कब्जे वाली 4.55 एकड़ जमीन की फर्जी दस्तावेजों पर खरीद-बिक्री के मामले में ईडी ने रांची के पूर्व उपायुक्त आईएएस छवि रंजन सहित 10 लोगों के खिलाफ अदालत में चार्जशीट फाइल कर दी है। अन्य आरोपियों में कोलकाता के कारोबारी अमित अग्रवाल, दिलीप घोष, बड़गाई सीआई भानु प्रताप प्रसाद, जमीन दलाल प्रदीप बागची, अफसर अली, इम्तियाज खान, फैयाज खान, तलहा खान और मोहम्मद सद्दाम के नाम शामिल हैं यह भी पढ़े: ईडी ने झारखंड भूमि धोखाधड़ी मामले में आरोपपत्र दायर किया, 74.39 करोड़ रुपये की सम्पत्ति कुर्क की
ईडी ने इस मामले में सेना के कब्जे वाली 4.55 एकड़ जमीन के अलावा रांची के बजरा मौजा में 7.16 एकड़ क्षेत्रफल वाली जमीन जब्त कर ली है। ईडी ने जब्त किए गए इन दोनों भू-खंडों की कीमत 14.39 करोड़ रुपए बताई है आईएएस छवि रंजन पर फर्जी दस्तावेज के आधार पर उक्त भूमि की जमाबंदी कराने का आरोप है। ईडी ने जांच में जो ब्योरा जुटाया है, उसके मुताबिक रांची के तत्कालीन सब रजिस्ट्रार घंसी राम पिंगुआ ने सेना के कब्जेवाली साढ़े चार एकड़ जमीन का निबंधन करने से इनकार कर दिया था.
इसके बावजूद सुनियोजित साजिश के तहत छवि रंजन के निर्देश पर इस जमीन का निबंधन और म्यूटेशन हुआ इस जमीन को कोलकाता के अमित अग्रवाल और दिलीप घोष ने जगतबंधु टी इस्टेट के नाम पर खरीदा। इस मामले में सभी 10 आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है अब आरोपपत्र फाइल होने के बाद इन सभी की परेशानियां और बढ़ने वाली हैं सनद रहे कि ईडी ने 13 अप्रैल को छवि रंजन सहित 18 लोगों के 22 ठिकानों पर छापेमारी की थी इसके बाद 14 अप्रैल को फर्जी रैयत प्रदीप बागची, बड़ागाई अंचल के राजस्व उप निरीक्षक भानु प्रताप प्रसाद सहित सात आरोपी गिरफ्तार हुए थे.
रांची के पूर्व उपायुक्त छवि रंजन की गिरफ्तारी 4 मई को हुई थी। गत 7 जून की देर रात जगत बंधु टी इस्टेट के निदेशक दिलीप घोष व अमित अग्रवाल की गिरफ्तारी हुई थी सेना के कब्जे वाली 4.55 एकड़ जमीन की खरीद-बिक्री मामले में फर्जीवाड़े का खुलासा सबसे पहले आयुक्त की जांच रिपोर्ट में हुआ था। उक्त रिपोर्ट में यह बात सामने आयी थी कि प्रदीप बागची नामक व्यक्ति ने फर्जी रैयत बनकर जगत बंधु टी इस्टेट प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक दिलीप कुमार घोष को उक्त जमीन बेची। जमीन की खरीद-बिक्री के लिए रजिस्ट्री में प्रदीप बागची ने जिन होल्डिंग नंबर से संबंधित दो अलग-अलग कागजातों को लगाया था, वे जांच में फर्जी मिले थे.