नई दिल्ली: पुलवामा आतंकी हमलें के बाद मोदी सरकार पाकिस्तान के खिलाफ लगातार एक्शन लें रही है. गुरुवार को केंद्र सरकार ने एक बड़ा फैलसा लिया है जिसके कारण पाकिस्तान के कई हिस्से पानी के लिए तरस जाएंगे. दरअसल अब तीन नदियों के जरिए पाकिस्तान की ओर बहने वाला भारत के हिस्से का पानी रोका जाएगा.
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने ट्वीट कर इस बात की जानकारी दी. उन्होंने ट्वीट कर कहा, 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हमारी सरकार ने निर्णय लिया है कि हम पाकिस्तान को दिए जाने वाले अपने हिस्से के पानी को रोकेंगे. इस पानी को पूर्वी नदियों और सप्लाई के जरिए जम्मू-कश्मीर और पंजाब में भेजा जाएगा.
Under the leadership of Hon'ble PM Sri @narendramodi ji, Our Govt. has decided to stop our share of water which used to flow to Pakistan. We will divert water from Eastern rivers and supply it to our people in Jammu and Kashmir and Punjab.
— Nitin Gadkari (@nitin_gadkari) February 21, 2019
गडकरी ने आगे बताया कि रावी नदी पर शाहपुर-कांडी डैम का निर्माण शुरू हो चुका है. इसके लिए यूजीएच (UJH project) परियोजना हमारे हिस्से का पानी जमा करेगी. सभी परियोजनाओं को राष्ट्रीय परियोजना घोषित किया गया है. पाकिस्तान में भारत की ओर से बहने वाली तीन नदियों व्यास, रावी और सतलज का पानी जाता है.
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भारत ने दो बांधों के निर्माण सहित तीन परियोजनाओं पर काम तेज कर दिया है. जिससे पाकिस्तान (Pakistan) के साथ हुए सिंधु जल (Sindhu River) संधि के तहत वह अपने हिस्से का पानी रोक सके. सरकारी अधिकारियों के मुताबिक इन तीन परियोजनाओं में शाहपुर (Shahpur) कांडी डैम (Kandi Damn) परियोजना, पंजाब (Panjab) में सतलुज-ब्यास (Sutlej-Beas) नदी का दूसरा लिंक और जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) में उज्ह डैम परियोजना शामिल है.
सिंधु जल समझौता:
भारत और पाकिस्तान ने नौ सालों की बातचीत के बाद 1960 में सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर किए थे जिसमें विश्व बैंक भी एक हस्ताक्षरकर्ता (सिग्नेटरी) है. सिंधु जल संधि के तहत सिंधु की तीन सहायक नदियों- सतलुज, ब्यास और रावी का जल भारत को आवंटित किया गया है जबकि चेनाब, झेलम और सिंधु का जल पाकिस्तान को दिया गया है.
57 साल पहले भारत और पाकिस्तान ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. समझौते के अंतर्गत सिंधु नदी की सहायक नदियों को पूर्वी और पश्चिमी नदियों में विभाजित किया गया. सतलज, ब्यास और रावी नदियों को पूर्वी नदी बताया गया जबकि झेलम, चेनाब और सिंधु को पश्चिमी नदी बताया गया. समझौते के मुताबिक पूर्वी नदियों का पानी, कुछ शर्तो के साथ भारत बिना रोकटोक के इस्तेमाल कर सकता है. पश्चिमी नदियों का पानी पाकिस्तान के लिए होगा. भारत को 3.3 करोड़ एकड़ फीट (एमएएफ) पानी मिला है, जबकि पाकिस्तान को 80 एमएएफ पानी दिया गया है. लेकिन समझौते के भीतर इन नदियों के पानी का कुछ सीमित इस्तेमाल का अधिकार भारत को दिया गया है.