INDIA-UK Relations: ब्रिटेन की सत्ता बदलने से भारत पर क्या होगा असर? कश्मीर मुद्दे पर अपनी ही पार्टी के खिलाफ हो गए थे किएर स्टार्मर

ब्रिटेन में हुए आम चुनावों में किएर स्टार्मर की अगुवाई वाली लेबर पार्टी ने जीत हासिल की है. इस बदलाव से ब्रिटिश सरकार की नीतियों में भी बदलाव की संभावना है, जिसका असर ब्रिटेन के महत्वपूर्ण सहयोगी देश भारत पर भी पड़ सकता है.

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ब्रिटेन में हुए आम चुनावों में किएर स्टार्मर की अगुवाई वाली लेबर पार्टी ने जीत हासिल की है. इस बदलाव से ब्रिटिश सरकार की नीतियों में भी बदलाव की संभावना है, जिसका असर ब्रिटेन के महत्वपूर्ण सहयोगी देश भारत पर भी पड़ सकता है. भारत और ब्रिटेन के संबंध हमेशा से लगभग स्थिर रहे हैं और ऋषि सुनक के कार्यकाल में भी संबंध अच्छे रहे हैं. व्यापार दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों में एक महत्वपूर्ण विषय रहा है और दोनों देश मुक्त व्यापार समझौता चाहते हैं ताकि व्यापार को बिना किसी बाधा के आगे बढ़ाया जा सके.

भारत और ब्रिटेन के बीच मुक्त व्यापार समझौता चर्चा का महत्वपूर्ण मुद्दा रहा है और यह मुद्दा ब्रिटेन की दोनों पार्टियों के एजेंडे में शामिल है.

किएर स्टार्मर का भारत के साथ संबंधों पर मत

ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री बनने जा रहे किएर स्टार्मर ने अपने घोषणापत्र में वादा किया है कि अगर उनकी पार्टी सत्ता में आती है, तो भारत के साथ एक नई रणनीतिक साझेदारी विकसित की जाएगी, जिसमें मुक्त व्यापार समझौता भी शामिल होगा.

पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री और कंजर्वेटिव पार्टी के नेता बोरिस जॉनसन ने अपने कार्यकाल में भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौते के लिए दिवाली 2022 की समय सीमा निर्धारित की थी, लेकिन यह संभव नहीं हो सका. इस संबंध में, लेबर पार्टी ने चुनाव प्रचार के दौरान कंजर्वेटिव पार्टी को निशाना बनाया था और यह दिखाने की कोशिश की थी कि उनकी पार्टी इस मामले को लेकर कितनी उत्सुक है.

पार्टी के शैडो फॉरेन सेक्रेटरी डेविड लैमी, जो अब ब्रिटेन के नए विदेश मंत्री बन सकते हैं, ने इंडिया ग्लोबल फोरम में बोलते हुए कहा था, 'कई दिवाली आ चुकी हैं और चली गई हैं, लेकिन कोई मुक्त व्यापार समझौता नहीं हुआ है, जिसकी वजह से कई क्षेत्रों में व्यापार इंतजार कर रहा है. मैं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और व्यापार मंत्री पीयूष गोयल से कहना चाहता हूं कि लेबर पार्टी तैयार है, आइए अपना मुक्त व्यापार समझौता करें और आगे बढ़ें.' लैमी ने कहा था कि वह जुलाई के अंत से पहले भारत का दौरा करेंगे.

लेबर पार्टी के घोषणापत्र में भी व्यापार समझौते पर जोर दिया गया था. घोषणापत्र में कहा गया था, 'हम भारत के साथ एक नई रणनीतिक साझेदारी चाहते हैं, जिसमें एक मुक्त व्यापार समझौता शामिल होगा. हम सुरक्षा, शिक्षा, प्रौद्योगिकी और जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र में अपने सहयोग को मजबूत करेंगे.'

2022 में शुरू हुई थी व्यापार वार्ता

भारत और ब्रिटेन के बीच मुक्त व्यापार समझौते पर आधिकारिक वार्ता जनवरी 2022 में शुरू हुई थी जब ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन थे. हालांकि, सुनक के कार्यकाल में भी व्यापार समझौता नहीं हो सका. मुक्त व्यापार समझौते में 26 अध्याय हैं जिनमें माल, सेवाएं, निवेश और बौद्धिक संपदा अधिकार जैसे क्षेत्र शामिल हैं.

स्टार्मर ने भारतीयों का दिल जीतने की पूरी कोशिश की

ब्रिटेन में 19 लाख भारतीय मूल के लोग रहते हैं, जो कुल जनसंख्या का 2.5% है. पहले, ब्रिटिश-भारतीय समुदाय को लेबर पार्टी के प्रति वफादार माना जाता था, लेकिन कई कारणों से, भारतीय मूल के ब्रिटिश कंजर्वेटिव पार्टी में शामिल हो गए. इसका एक कारण भारत के घरेलू मुद्दों पर लेबर पार्टी द्वारा लिया गया राजनीतिक रुख था, जिससे समुदाय नाराज था. साथ ही, जब कंजर्वेटिव पार्टी ने ऋषि सुनक को अपना प्रधानमंत्री बनाया, तो पूरे भारतीय ब्रिटिश समुदाय ने कंजर्वेटिव पार्टी का समर्थन किया.

ब्रिटिश अखबार 'द गार्जियन' के अनुसार, कुछ ब्रिटिश भारतीय इस बात की शिकायत करते रहे हैं कि लेबर पार्टी ब्रिटेन में रहने वाले गरीब पाकिस्तानी और बांग्लादेशियों पर ज्यादा ध्यान देती है. अब स्टार्मर को भारतीय मूल के अपने नागरिकों का विश्वास जीतना होगा, जिसकी शुरुआत उन्होंने चुनाव प्रचार के दौरान की है. पिछले शुक्रवार को, स्टार्मर ने किंग्सबरी में श्री स्वामीनारायण मंदिर का दौरा किया. वहां उन्होंने कहा, 'ब्रिटेन में हिंदूफोबिया के लिए कोई जगह नहीं है.' स्टार्मर ने दिवाली और होली जैसे त्योहारों का भी आयोजन किया ताकि ब्रिटिश-भारतीय समुदाय में अपनी पार्टी के प्रति विश्वास बढ़ाया जा सके, जो ब्रिटेन में एक बड़ा वोट बैंक है.

कश्मीर पर लेबर पार्टी के प्रस्ताव से हुआ विवाद

समाजवादी विचारधारा वाली लेबर पार्टी की विदेश नीति हमेशा से विचारधारा पर आधारित रही है. पार्टी भारत सहित कई देशों को उनके मानवाधिकार रिकॉर्ड के लिए आलोचना करती रही है. सितंबर 2019 में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के एक महीने बाद, लेबर पार्टी ने जेरेमी कॉर्बिन के नेतृत्व में एक आपातकालीन प्रस्ताव पारित किया जिसमें मांग की गई थी कि कश्मीर में अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों को जाने की अनुमति दी जाए और उसके लोगों को आत्मनिर्णय का अधिकार दिया जाए. प्रस्ताव में यह भी मांग की गई थी कि कॉर्बिन भारत और पाकिस्तान के उच्चायुक्तों से मिलकर यह सुनिश्चित करें कि इस मामले में मध्यस्थता हो और शांति स्थापित हो.

भारत ने इस प्रस्ताव का सख्ती से विरोध किया था. विरोध बढ़ता देख लेबर पार्टी के नेता स्टार्मर ने मोर्चा संभालते हुए कहा था कि कश्मीर भारत का घरेलू मामला है और इसे दोनों पड़ोसी मिलकर सुलझाएंगे. उन्होंने एक बैठक के दौरान कहा था, 'भारत में कोई भी संवैधानिक मुद्दा भारतीय संविधान का मामला है और कश्मीर भारत-पाकिस्तान के लिए शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाया जाने वाला एक द्विपक्षीय मुद्दा है.' किएर ने अपने मेनिफेस्टो में भी कहा है कि वो भारत के साथ नई रणनीतिक साझेदारी स्थापित करना चाहते जो दिखाता है कि वो प्रधानमंत्री बनने के बाद भारत के साथ बेहतर रिश्ते चाहते हैं.

 

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