Uttarakhand Election 2022: उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में एक बार फिर बीजेपी-कांग्रेस में कड़ी टक्कर की संभावना

कोरोना महामारी की चुनौती के बीच उत्तराखंड में 14 फरवरी को होने वाले विधानसभा चुनावों में सत्तारूढ भाजपा और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के बीच एक बार फिर कड़ी टक्कर होने की संभावना है.

कांग्रेस और बीजेपी (Photo Credits: File Photo)

Uttarakhand Assembly Election 2022: कोरोना महामारी की चुनौती के बीच उत्तराखंड में 14 फरवरी को होने वाले विधानसभा चुनावों में सत्तारूढ भाजपा और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के बीच एक बार फिर कड़ी टक्कर होने की संभावना है. हालांकि, जानकारों का मानना है कि पहली बार राज्य में चुनाव लड़ रही आम आदमी पार्टी (आप) भी कुछ सीटों पर दोनों दलों के समीकरणों को प्रभावित कर सकती । इसके अलावा, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और पृथक राज्य आंदोलन की अगुआ रही उत्तराखंड क्रांति दल (उक्रांद) भी अपना खोया प्रभाव दोबारा पाने के प्रयास में हैं।.

पांच साल में तीसरे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में चुनाव लड़ रही भाजपा के सामने सबसे बडी चुनौती यह मिथक तोड़ने की है जिसमें नवंबर 2000 में अस्तित्व में आए उत्तराखंड की जनता ने कभी भी किसी राजनीतिक दल को दोबारा सत्ता नहीं सौंपी है. वर्ष 2017 में 70 सदस्यीय विधानसभा में 57 सीटों पर जीत दर्ज कर सरकार बनाने वाली भाजपा ने इस बार 60 से अधिक सीटें जीतने का लक्ष्य निर्धारित किया है। पार्टी का मानना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता और अपने कार्यों के बल पर वह जीत दर्ज करेगी. यह भी पढ़े: Uttarakhand Election 2022: बीजेपी नेता का बड़ा बयान, कहा- उत्तराखंड में BJP लगातार 2 दूसरी बार चुनाव जीतकर इतिहास रचेगी

इसके साथ ही भाजपा केंद्र के साथ मिलकर पिछले पांच सालों में किए गए कार्यों जैसे चारधाम आलवेदर सड़क परियोजना, ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेललाइन परियोजना, केदारनाथ पुनर्निर्माण परियोजना, दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेस वे आदि को गिना रही है। उसने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यकाल में गठित विवादास्पद चारधाम बोर्ड कानून को भी रद्द कर दिया है ,जिसको लेकर तीर्थ पुरोहित नाराज थे.

भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर सिंह चौहान ने कहा कि उसकी केंद्र और राज्य की सरकार ने जनता के हित में अनेक फैसले किए हैं और उन्हें उम्मीद है कि जनता का आशीर्वाद इस बार भी पार्टी को ही मिलेगा.  हालांकि, पिछले विधानसभा चुनावों की तरह इस बार भी अभी तक भाजपा ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि चुनाव जीतने के बाद मुख्यमंत्री धामी ही होंगे। जबकि, इससे पहले वर्ष 2012 में भाजपा ने 'खंडूरी है जरूरी' का नारा लगाकर भुवन चंद्र खंडूरी के चेहरे पर चुनाव लडा था.

दूसरी तरफ, कांग्रेस ने भी पार्टी महासचिव और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की अगुवाई में भाजपा को सत्ता से बेदखल करने के लिए पूरा जोर लगा रखा है, कोरोना की चुनौती के बीच सोशल मीडिया का भरपूर उपयोग करते हुए कांग्रेस जनता के बीच जोरशोर से अपना चुनाव प्रचार कर रही है और भाजपा सरकार को हर मोर्चे पर विफल बता रही है.

रावत ने कहा कि चुनावों की घोषणा के साथ ही भाजपा सरकार की विदाई का समय नजदीक आ गया है। उन्होंने कहा, ‘‘ भाजपा ने पांच साल में तीन मुख्यमंत्री देकर जनता की आंखों में धूल झोंकने का काम किया है । .... हमें अवसर दीजिए, हम अपनी पुरानी नीतियों को वापस लाकर राज्य की जनता को खुशहाल बनाएंगे.

पिछले चुनाव में एक भी सीट नहीं जीतने वाली उक्रांद अपने शीर्ष नेता काशी सिंह ऐरी के नेतृत्व में एक बार फिर अपनी चुनौती पेश करने की कोशिश कर रही है। वर्ष 2007 में उक्रांद ने भाजपा के साथ मिलकर भुवनचंद्र खंडूरी के नेतृत्व में सरकार बनायी थी, लेकिन उसके बाद 2012 और 2017 में वह अपना खाता भी नहीं खोल पायी.  वहीं, उत्तराखंड में ‘आप’ एकमात्र ऐसी पार्टी है जिसने कर्नल अजय कोठियाल के रूप में अपना मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किया है.

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