उत्तराखंड की सरकार ने पौड़ी जिले के स्कूलों में गढ़वाली पढ़ना किया अनिवार्य
उत्तराखंड में पहली बार सरकार ने पौड़ी जिले के करीब 80 प्राथमिक विद्यालयों में गढ़वाली भाषा पढ़ाना शुरू किया है. मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस कदम की सराहना की और कहा कि इससे बच्चों को गढ़वाल क्षेत्र को बेहतर तरीके से समझने में मदद मिलेगी.
देहरादून : उत्तराखंड (Uttarakhand) में पहली बार सरकार ने पौड़ी जिले के करीब 80 प्राथमिक विद्यालयों में गढ़वाली भाषा पढ़ाना शुरू किया है. गढ़वाली भाषा को कक्षा एक से पांच तक जिले के सभी स्कूलों में अनिवार्य विषय के तौर पर पढ़ाया जाएगा. पौड़ी जिले के जिलाधिकारी धीरज सिंह गब्र्याल ने कहा, "हमने इस कोर्स पहले ही सोमवार से शुरू कर दिया है."
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत (Trivendra Singh Rawat)ने इस कदम की सराहना की और कहा कि इससे बच्चों को गढ़वाल क्षेत्र को बेहतर तरीके से समझने में मदद मिलेगी. गब्र्याल ने कहा कि गढ़वाली भाषा को देवनागरी लिपि में पढ़ाया जाएगा.
पौड़ी के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी के.एस.रावत ने कहा कि कक्षा एक से पांच तक के लिए क्रमश: 'धगुली', 'हंसुली', 'छुबकी','पैजबी' व 'झुमकी' नई किताबें है जिन्हें निर्धारित किया गया है. सभी किताबों को एक निजी प्रकाशक ने प्रकाशित किया है और सरकार ने इसे बच्चों को मुफ्त में बांटा है.
राज्य के शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने कहा, "किताबों से बच्चों को पर्यावरण व संस्कृति के बारे में भी जानकारी मिलेगी." उन्होंने कहा इसमें गढ़वाल के इतिहास पर भी पर्याप्त ध्यान दिया गया है. इसमें एक पूरा अध्याय वीर चंद्रसिंह गढ़वाली पर है, जिसे स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान 'पेशावर कांड' का नायक माना जाता है.