UP Elections 2022: बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा का बड़ा आरोप, कहा- अखिलेश यादव आज भी दे रहे आतंकियों को पनाह
इन बम ब्लास्ट में पकड़ा गया एक आतंकी मोहम्मद सैफ भी है जो आजमगढ़ के संजरपुर का रहने वाला है. इस आतंकी का पिता शादाब अहमद समाजवादी पार्टी का नेता है. ये बड़ी विचित्र बात है कि अखिलेश यादव को केवल आतंकवादी परिवार ही मिलता है और कोई नहीं. मैं जानना चाहता हूं कि अखिलेश यादव का इन लोगों से क्या संबंध है. अखिलेश यादव आज भी आतंकियों को पनाह दे रहे हैं, आतंकियों की रक्षा कर रहे हैं."
बलरामपुर/श्रावस्ती: भारतीय जनता पार्टी (BJP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा (JP Nadda) ने सपा मुखिया पर निशाना साधा और कहा कि अखिलेश यादव (Akhilesh yadav) आज भी आतंकियों (Terrorists) को पनाह दे रहे हैं. नड्डा रविवार को यहां श्रावस्ती, बलरामपुर और सिद्धार्थनगर में आयोजित जन-सभाओं को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने सपा मुखिया बड़ा आरोप जड़ा. उन्होंने कहा, "2008 में हुए अहमदाबाद बम ब्लास्ट (Ahmedabad Bomb Blast) के मामले में अदालत का फैसला आया है, जिसमें 38 आतंकियों को सजा-ए-मौत की सजा सुनाई गई है. UP Elections 2022: सैफई में मतदान करने के बाद योगी आदित्यनाथ सरकार पर बरसे अखिलेश यादव
इन बम ब्लास्ट में पकड़ा गया एक आतंकी मोहम्मद सैफ भी है जो आजमगढ़ के संजरपुर का रहने वाला है. इस आतंकी का पिता शादाब अहमद समाजवादी पार्टी का नेता है. ये बड़ी विचित्र बात है कि अखिलेश यादव को केवल आतंकवादी परिवार ही मिलता है और कोई नहीं. मैं जानना चाहता हूं कि अखिलेश यादव का इन लोगों से क्या संबंध है. अखिलेश यादव आज भी आतंकियों को पनाह दे रहे हैं, आतंकियों की रक्षा कर रहे हैं."
राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि लखनऊ पुलिस के एटीएस ने जुलाई 2021 में अलकायदा के दो आतंकियों नसीरुद्दीन और मिन्हाज अहमद को आरडीएक्स के साथ पकड़ा था. इन आतंकियों को पाकिस्तान से उमर हलमदी नामक आतंकी से निर्देश मिलता था. इन आतंकियों का मुख्य उद्देश्य था हमारे स्वतंत्रता दिवस पर 15 अगस्त के दिन भारत में बम ब्लास्ट कर निर्दोषों की जान लेना. तब भी अखिलेश यादव ने बयान दिया था कि उन्हें उत्तर प्रदेश की पुलिस पर विश्वास नहीं है. ऐसे हैं ये लोग, ये आतंकियों को बचाने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं.
नड्डा ने कहा कि 2007 में यूपी के गोरखपुर, लखनऊ, वाराणसी और अयोध्या में कई सीरियल बम ब्लास्ट हुए थे. दशाश्वमेध घाट और संकटमोचन मंदिर का बम ब्लास्ट, श्रमजीवी ब्लास्ट, नई दिल्ली में सरोजिनी नगर, गोविंदपुरी, पहाड़गंज में बम ब्लास्ट, मुंबई लोकल ट्रेन बम ब्लास्ट - इन सारे बम ब्लास्ट में तारिक कासमी (आजमगढ़) खालिद मुजाहिद (जौनपुर) को गिरफ्तार किया. मुख्यमंत्री बनते ही अखिलेश यादव ने इन दोनों पर से केस हटा लिया. इसी तरह दिसंबर 2007-जनवरी 2008 में रामपुर के सीआरपीएफ कैंप पर हुए आतंकी हमलों के दोषी आतंकी शहाबुद्दीन पर से भी केस हटाने का काम अखिलेश यादव ने मुख्यमंत्री रहते हुए किया था. वो तो अच्छा हुआ कि इन सभी मामलों की गंभीरता को समझते हुए अदालत ने इन आतंकियों पर से केस नहीं हटाया. बाद में जब अदालत में सुनवाई हुई तो इसमें से कई आतंकियों को फांसी हुई और कई को उम्रकैद की सजा मिली.
मुख्यमंत्री रहते हुए अखिलेश यादव ने आतंकियों के ऊपर से लगभग 14 केस हटाए थे. मतलब स्पष्ट है कि अखिलेश ने आतंकियों को बचाने का पाप किया है. वह पुलिस के साथ बदतमीजी करते हैं. एक ओर अखिलेश यादव आतंकियों को सुरक्षा देते हैं, वहीं दूसरी ओर पुलिस का मनोबल गिराते हैं, उनके सम्मान को ठेस पहुंचाते हैं. अखिलेश यादव ने शपथ तो संविधान का रक्षा करने की ली थी लेकिन कर क्या रहे हैं - ये मुख्यमंत्री रहते हुए भी आतंकियों का रक्षा कर रहे थे और आज जब यूपी की जनता ने नकार दिया है, तब भी आतंकियों की ही रक्षा कर रहे हैं.
भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि अखिलेश यादव करहल से चुनाव हार रहे हैं. यदि उन्हें अपने पूज्य पिताजी को लेकर करहल में चुनाव प्रचार के लिए लाना पड़ा तो इसका स्पष्ट मतलब है कि अखिलेश यादव केवल और केवल करहल का चुनाव लड़ रहे हैं, उत्तर प्रदेश का नहीं. उनके नीचे से जमीन खिसक गई है.
उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव की सरकार में सैकड़ों दंगे हुए थे, लेकिन योगी आदित्यनाथ की सरकार में उत्तर प्रदेश दंगा मुक्त प्रदेश के रूप में जाना जाता है. मुजफ्फरनगर दंगों का दंश रह-रह कर यूपी की जनता को आज भी कचोटता रहता है. तब यूपी की अखिलेश यादव सरकार ने कुछ भी नहीं किया. सपा की सरकार ने विक्टिम को आरोपी और आरोपी को विक्टिम बना दिया. सुप्रीम कोर्ट ने तब स्पष्ट रूप से कहा था कि इस दंगे की सारी जिम्मेदारी अखिलेश यादव सरकार की है. इतना ही नहीं, अखिलेश यादव ने मुजफ्फरनगर दंगों के दोषियों को लखनऊ बुलाकर मेहमाननवाजी भी की थी. कैराना से पलायन की घटना ने पूरे उत्तर प्रदेश को झकझोर कर के रख दिया था. आज पलायन करने वाले परिवार फिर अपने घर वापस आकर सुख और शांति से रह रहे हैं.
उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव की सरकार में आजम खां, अतीक अहमद और मुख्तार अंसारी खुलेआम दनदनाते घूमते थे. आज योगी आदित्यनाथ सरकार में ये सभी माफिया जेल की सलाखों के पीछे हैं. उस समय अखिलेश यादव की आंखों पर तुष्टिकरण की राजनीति का चश्मा चढ़ा हुआ था, इसलिए माफियाओं का बोलबाला था. योगी आदित्यनाथ ने कानून के अनुसार काम किया, इसलिए ये माफिया आज जेल की हवा खा रहे हैं.