VIDEO: 'टेक्नोक्रेट कुंभकर्ण ने गुप्त रूप से तैयार किया था हथियार, ऋषि भारद्वाज ने बनाया था दुनिया का पहला विमान', UP की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल का बयान

उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने दावा किया कि कुंभकर्ण 6 महीने सोता नहीं था, बल्कि यंत्रशाला में रहकर रावण के लिए यंत्र तैयार करता था. उन्होंने कहा कि कुंभकर्ण की सोने की कहानी महज एक अफवाह है.

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने एक बार फिर प्राचीन भारतीय विज्ञान और तकनीकी चमत्कारों पर चर्चा को गर्मा दिया है. 19 नवंबर को ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय के नौवें दीक्षांत समारोह में, राज्यपाल ने दावा किया कि रामायण के कुंभकर्ण केवल एक योद्धा ही नहीं थे, बल्कि एक "टेक्नोक्रेट" थे, जिन्होंने गुप्त रूप से रावण के निर्देशों पर आधुनिक मशीनें विकसित की थीं.

कुंभकर्ण: तकनीक का प्राचीन मास्टरमाइंड 

आनंदीबेन ने रामायण का हवाला देते हुए कहा कि कुंभकर्ण, जिन्हें अब तक केवल उनकी गहरी नींद और विशाल शक्ति के लिए जाना जाता था, असल में एक वैज्ञानिक थे. उनके पास एक गुप्त प्रयोगशाला थी, जहां उन्होंने रावण के आदेश पर उन्नत हथियार और मशीनें विकसित कीं. यह दावा प्राचीन भारतीय ग्रंथों में छिपे तकनीकी रहस्यों की ओर इशारा करता है.

राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा- "कुंभकर्ण 6 महीने सोता नहीं था बल्कि वह टेक्नोलॉजी जानता था. रावण के आदेश पर वह 6 महीने यंत्रशाला में बैठकर यंत्र बनाता था. उसके 6 महीने सोने की अफ़वाह फैलायी गई”

ऋषि भारद्वाज और दुनिया का पहला विमान 

राज्यपाल ने ऋषि भारद्वाज का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्होंने दुनिया का पहला विमान बनाया था, जिसे उन्होंने मुंबई के चौपाटी के ऊपर उड़ाया. यह दावा ऋषि भारद्वाज के ग्रंथ 'विमानिका शास्त्र' से प्रेरित है, जिसमें विमानों के निर्माण और संचालन के बारे में जानकारी दी गई है. यह दावा सीधे तौर पर राइट ब्रदर्स के आविष्कारों को चुनौती देता है, जिन्हें आधुनिक विमानन का जनक माना जाता है.

पुष्पक विमान: 5000 साल पुरानी तकनीकी उपलब्धि 

राज्यपाल ने रामायण के पुष्पक विमान का उल्लेख करते हुए इसे 5000 साल पुरानी तकनीकी उपलब्धि बताया. उन्होंने छात्रों से सवाल किया कि ऐसी अद्भुत तकनीकें कहां से आईं और इसे बनाने की प्रेरणा क्या थी.

राज्यपाल ने छात्रों से आह्वान किया कि वे प्राचीन भारतीय ज्ञान और साहित्य का अध्ययन करें और इसे अनुवादित कर व्यापक रूप से उपलब्ध कराएं. उन्होंने कहा कि भारत का प्राचीन ज्ञान सिर्फ कहानियों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें वैज्ञानिक खोज और तकनीकी विकास का खजाना छिपा हुआ है.

वहीं आलोचकों का कहना है कि प्राचीन कथाओं को आधुनिक वैज्ञानिक संदर्भ में पेश करना ऐतिहासिक तथ्यों के साथ खिलवाड़ हो सकता है.

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