CPM नेता बिमन बोस को सोमनाथ चटर्जी के बेटे ने घर से भगाया, गए थे श्रद्धांजलि देने

बता दें कि सोमनाथ चटर्जी का जन्म 25 जुलाई 1929 को बंगाली ब्राह्मण निर्मल चंद्र चटर्जी और वीणापाणि देवी के घर में असम के तेजपुर में हुआ था.

(Photo Credit-ANI Twitter)

नई दिल्ली: पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी का 89 साल की उम्र में आज निधन हो गया. इसी कड़ी में पश्चिम बंगाल में लेफ्ट फ्रंट के पूर्व चेयरमैन बिमन बोस ने सोमनाथ चटर्जी के निधन पर दुख व्यक्त किया और श्रद्धांजलि देने घर पहुंचे लेकिन उनके बेटे ने बिमन बोस को घर से बाहर निकाल दिया. ऐसी जानकारी उन्होंने एएनआई से बातचीत के दौरान दी. वामपंथ के इस पुरोधा के पिता निर्मल चंद्र चटर्जी अखिल भारतीय हिंदू महासभा के संस्थापक-अध्यक्ष थे. लेकिन उन्होंने पिता की राह पर चलने के बजाए वामपंथ को चुना. वे मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के सदस्य थे और 10 बार सांसद रहे.

सोमनाथ चटर्जी ने 35 साल तक एक सांसद के रूप में देश की सेवा की. उन्हें साल 1996 में उत्कृष्ट सांसद पुरस्कार से भी नवाजा गया था.

PM मोदी ने भी उन्हें याद करते हुए कहा पूर्व संसाद और लोकसभा अध्यक्ष श्री सोमनाथ चटर्जी अद्धभुत राजनेता थे. उन्होंने संसदीय लोकतंत्र को और मजबूत किया और दलित और पिछड़ों की आवाज को तेजी से उठाने का मौका दिया. उनके निधन से दुखी हूं. मेरी संवेदनाएं सोमनाथ चटर्जी के परिवार वालों के साथ हैं

महाराष्ट्र के सीएम  देवेंद्र फडणवीस ने चटर्जी के निधन पर अपने शोक संदेश में कहा, ‘‘हमने राजनीति से ऐसे व्यक्ति को खो दिया जो सिद्धांतों से जुड़ा था.’’ उन्होंने कहा कि सभी राजनीतिक दल चटर्जी का सम्मान करते थे और उनका लंबा राजनीतिक जीवन सार्वजनिक जीवन में काम करने वालों के लिए मार्गदर्शन का काम करेगा. तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने चटर्जी के निधन पर संदेश में पूर्व लोकसभा अध्यक्ष को महान सांसद तथा निचले सदन को सर्वोच्च मानकों पर रखने वाला व्यक्ति बताया.

बता दें कि सोमनाथ चटर्जी का जन्म 25 जुलाई 1929 को बंगाली ब्राह्मण निर्मल चंद्र चटर्जी और वीणापाणि देवी के घर में असम के तेजपुर में हुआ था.

सोमनाथ चटर्जी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के प्रमुख नेताओं में से थे. वे वामपंथ के एकलौते नेता रहे जो लोकसभा अध्यक्ष के पद तक पहुंचे. हालांकि 2008 में यूपीए सरकार के परमाणु करार पर मतभेद के चलते लेफ्ट ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया था. इसके बाद पार्टी के तत्कालीन महासचिव प्रकाश करात चाहते थे कि सोमनाथ चटर्जी लोकसभा अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे दें. लेकिन चटर्जी इस पर राजी नहीं हुए. इसके बाद उन्हें पार्टी से उन्हें बाहर कर दिया गया.

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