दिल्ली विधानसभा चुनाव नतीजे 2020: केजरीवाल सरकार को घेरने के लिए बीजेपी इस बड़े नेता को बना सकती है नेता प्रतिपक्ष
दिल्ली विधानसभा चुनाव में हार के बाद भाजपा के सामने सबसे बड़ी मुश्किल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के चयन करने की है. केंद्र ने नेता प्रतिपक्ष चुनने की जिम्मेदारी भाजपा के महासचिव सरोज पाण्डेय को सौंप दी है.
न्यू दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनाव में हार के बाद भाजपा (BJP)के सामने सबसे बड़ी मुश्किल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के चयन करने की है. केंद्र ने नेता प्रतिपक्ष चुनने की जिम्मेदारी भाजपा के महासचिव सरोज पाण्डेय को सौंप दी है. लेकिन सरोज पाण्डेय की राह इतनी आसान भी नहीं है. उन्हें सभी 8 विधायकों से बात करने के अलावा पार्टी के सभी छोटे-बड़े नेताओं को विश्वास में लेना होगा. केंद्र ने सरोज पाण्डेय को ताकीद किया है कि नेता के चयन से पहले रायशुमारी कराई जाए. विधानसभा चुनाव में भाजपा को आठ सीटें मिली हैं. नेता प्रतिपक्ष की दौड़ में प्रमुख रूप से तीन विधायक शामिल बताए जा रहे हैं. हालांकि, पार्टी विधायक दल की बैठक की तिथि अभी तय नहीं हुई है. सूत्रों के मुताबिक, तीन बार के विधायक रहे रामवीर सिंह बिधूड़ी को अगला नेता प्रतिपक्ष बनाया जा सकता है.
इस बार विजेंद्र गुप्ता (Vijendra Gupta), मोहन सिंह बिष्ट (Mohan Singh Bisht), रामवीर सिंह बिधूड़ी (Ramveer Singh Bidhudi), ओमप्रकाश शर्मा (Omprakash Sharma), अभय वर्मा (Abhay Verma), जितेंद्र महाजन(Jitendra Mahajan), अनिल वाजपेयी (Anil Bajpai), अजय महावर (Ajay Mahavar) चुनाव जीते हैं. करावल नगर से पांचवीं बार जीत हासिल करने वाले बिष्ट और बदरपुर से चौथी बार विधानसभा पहुंचे रामवीर सिंह बिधूड़ी को भी इस पद का प्रबल दावेदार माना जा रहा है.
गौरतलब है कि पिछली बार भाजपा को मात्र तीन सीटें मिली थीं. विजेंद्र गुप्ता, ओपी शर्मा और जगदीश प्रधान विधानसभा पहुंचने में सफल रहे थे. गुप्ता को नेता प्रतिपक्ष बनाया गया था. इस बार भी वह विधानसभा पहुंचने में सफल रहे हैं.
दिल्ली भाजपा के एक नेता के मुताबिक इस बार के चुनाव में वैश्य मतदाताओं का भाजपा के प्रति रुझान देखा गया था. इसलिए इनकी दावेदारी नकारना मुश्किल होगा. हालांकि उन्होंने कहा कि पार्टी को अब ऐसा चेहरा चाहिए जो पार्टी को साथ लेकर चले और दिल्ली में पार्टी का चेहरा बन सके.
दिल्ली भाजपा के उपाध्यक्ष बिष्ट भाजपा के पुराने नेता हैं. 1998 से 2013 तक वह लगातार करावल नगर से चुनाव जीतते रहे हैं. 2015 में उन्हें हार मिली थी. लेकिन एक बार फिर से वह चुनाव जीतने में सफल रहे हैं.
इसी तरह से बिधूड़ी भी अनुभवी विधायक हैं. बिधूड़ी ने भारतीय विद्यार्थी परिषद से राजनीतिक सफर की शुरूआत की थी. बिधूड़ी कई पार्टियों में रह चुके हैं. 1993 में वह जनता दल के टिकट पर विधानसभा पहुंचते थे. जनता दल विधायक दल के नेता भी चुने गुए थे. उसके बाद वह वर्ष 2003 में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी(राकांपा) का दामन थाम लिया था. उन्हें सर्वश्रेष्ठ विधायक का भी पुरस्कार मिला था. वर्ष 2012 में भाजपा में शामिल हुए. 2013 में वह भाजपा की टिकट पर ही विधानसभा पहुंचे. 2015 में चुनाव हारने के बाद इस बार फिर से वह विधायक चुने गए हैं. वो बड़े गुर्जर नेता रहे हैं.
फिलहाल पार्टी हाईकमान ने किसी एक नेता के पक्ष में मन नही बनाया है. बतौर पर्यवेक्षक सरोज पाण्डेय अगले चार पांच दिनों तक दिल्ली के सभी नेताओं से बात कर केंद्र को अवगत कराएंगे. अंतिम फैसला केंद्रीय नेताओ को ही लेना है.