राजस्थान विधानसभा चुनाव 2018 नतीजे: चुनाव के परिणाम तय करेंगे, इन 3 नेताओं में से किसकी होगी ताजपोशी

राजस्थान में शुक्रवार को विधानसभा चुनाव के लिए मतदान समाप्त हुए. इसके साथ ही एग्जिट पोल भी सामने आ चुके हैं. भले ही चुनावी परिणाम 11 दिसंबर को राज्य की सत्ता का फैसला करेंगे, लेकिन एग्जिट पोल के नतीजों में कांग्रेस को राजस्थान की सत्ता के लिए जनादेश मिलता दिख रहा है.

बीजेपी और कांग्रेस (File Photo)

राजस्थान (Rajasthan) में शुक्रवार को विधानसभा चुनाव (Assembly Election) के लिए मतदान समाप्त हुए. इसके साथ ही एग्जिट पोल (Exit Poll) भी सामने आ चुके हैं. शुक्रवार को हुए मतदान (Voting) के नतीजे अब कुछ ही देर में सभी के सामने होंगे. आने वाले परिणाम राज्य की सत्ता का फैसला करेंगे. एग्जिट पोल के नतीजों में कांग्रेस (Congress) को राजस्थान की सत्ता के लिए जनादेश मिलता दिख रहा है. सभी एग्जिट पोल के नतीजों के हिसाब से राजस्थान में बीजेपी (BJP) को 82, कांग्रेस को 108 और अन्य को 9 सीटें मिलने की संभावना जताई जा रही है. एग्जिट पोल अगर नतीजों में तब्दील हो जाए राज्य में कांग्रेस की सरकार बनना तय है.

राजस्थान के चुनावी दंगल में बीजेपी जहां अपनी सत्ता बचाने के लिए दम भर रही थी तो वहीं कांग्रेस इस रण में बीजेपी को बाहर का रास्ता दिखाने के साथ सत्ता की कुर्सी पर काबिज होने के ख्वाब को पूरा करने की जद्दोजहत कर रही थी.

वसुंधरा राजे:

वसुंधरा राजे (Photo-PTI)

वसुंधरा राजे  (Vasundhara Raje) राजस्थान में बीजेपी का चेहरा हैं. एग्जिट पोल के अनुसार वसुंधरा राजे के लिए यह समय निश्चित कुछ विपरीत साबित हो रहा है, लेकिन फिर भी राज्य में मुख्यमंत्री के पद के लिए उनका नाम लिस्ट में ऊपर ही है. झालावाड़ वसुंधरा राजे का गढ़ है. इसी लोकसभा इलाके में झालरापाटन सीट है. राजे इस लोकसभा सीट से लगातार पांच बार सांसद रही हैं और उनके बाद इस सीट से उनके पुत्र दुष्यंत सिंह तीन बार से चुनाव जीत रहे हैं. वसुंधरा राजे झालरापाटन सीट से लगातार 2003 से विधायक का चुनाव जीतती आ रही हैं. इस बार भी वसुंधरा राजे ने यहीं से चुनाव लड़ा. हालांकि इस साल वसुंधरा के प्रति राजस्थान में लोगों की नाराजगी जरुर दिख रही है पर फिर भी सीएम की दौड़ में वे किसी से पीछे नहीं हैं.

अपने दबंग तेवरों और निडर अंदाज के लिए जाने जाने वाली वसुंधरा का राजस्थान की राजनीति में खासा दबदबा है. राजस्थान के राजघराने से ताल्लुक रखने वाली वसुंधरा ने अपने निराले अंदाज से राजस्थान के लोगों के दिल में जगह बनाई थी. साल 2013 के चुनाव में राजस्थान में बीजेपी ने जिस अंदाज में प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता वापसी की थी उसका पूरा श्रेय वसुंधरा को ही गया था. राजे के सियासी सफर पर नजर डालें तो साल 1985-90 में वसुंधरा राजे पहली बार राजस्थान विधानसभा के विधायक का चुनाव जीतीं. इसके बाद 2003 से अब तक लगातार तीन बार वह झालरापाटन विधानसभा सीट से चुनाव जीतती आ रही हैं. यह भी पढ़ें- मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 2018 नतीजे: एग्जिट पोल के अनुमान के बाद इन तीनों में से किसी एक को मिल सकती है सूबे की कमान

इस बार उनके किसी अन्य सीट से चुनाव जीतने की अटकलें लगाई जा रही थीं लेकिन बाद में राजे ने खुद साफ कर दिया कि वह अपनी पुरानी विधानसभा सीट से ही चुनावी मैदान में आएंगी. वसुंधरा राजे 2003 से 2008 तक और 2013 से अब तक मुख्यमंत्री के तौर पर भी कार्यरत हैं. विधानसभा के अलावा साल 1989 से 2003 के बीच 9वीं से 13वीं लोकसभा तक वसुंधरा राजे लगातार पांच बार सांसद का चुनाव जीत चुकी हैं. राजस्थान में राजे का राज इन नतीजों के बाद कायम रहता है या नहीं यह 11 दिसंबर को ही पता चलेगा.

सचिन पायलट:

सचिन पायलट (Photo-PTI)

राजस्थान में बीजेपी के चुनावी रथ को रोकने के लिए कांग्रेस ने अपने प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट (Sachin pilot) को सुनामी बनाकर इस मैदान में उतारा था. पायलट जैसे युवा नेता को मैदान में उतारने वाली कांग्रेस भलीभांति जानती थी कि पायलट बीजेपी के आंकड़े को बिगाड़ने का पूरा दम-खम रखते हैं. सचिन पूर्व केंद्रीय मंत्री राजेश पायलट के बेटे हैं और गुज्जर समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं. वर्तमान में, पायलट राज्य के प्रदेश कांग्रेस कमेटी प्रमुख हैं और उन्होंने टोंक निर्वाचन क्षेत्र से नामांकन दायर किया था. लोकसभा चुनाव में राजस्थान से सुपड़ा साफ होने के बाद कांग्रेस ने प्रदेश की कमान युवा नेता सचिन पायलट के हाथों में थमाई थी. तब से सचिन पायलट लगातर कॉडर का आधार बढ़ाने के लिए जमीनी स्तर पर मेहनत कर रहे हैं. अब विधानसभा चुनाव में उनकी यह मेहनत कांग्रेस को सफलता की सीढियां चढ़ा सकती है.

उनके पिता राजेश पायलट कांग्रेस के जाने-माने नेता और केंद्रीय मंत्री थे. अमेरिका से पढ़ाई पूरी करने के बाद सचिन पायलट ने 2002 में कांग्रेस की सदस्यता ली और सक्रिय राजनीति से जुड़े. साल 2004 में पहली बार चुनाव लड़े और राजस्थान की दौसा निर्वाचन सीट से लगभग 1 लाख वोटों से विजयी होकर लोकसभा पहुंचे थे. तब सचिन की उम्र 26 साल थी. इन्हीं युवा कंधों पर पिछले चुनाव में राजस्थान में अपना जनमत खोने वाली कांग्रेस को फिर सत्ता तक पहुचाने का जिम्मा है.

2004 में पायलट ने सांसद का चुनाव जीतते हुए अपना राजनीतिक सफर आगे बढ़ाया. देश के सबसे कम आयु के पहले सांसद बनने का रिकॉर्ड बनाने वाले पायलट इसके बाद 15वीं लोकसभा (2009) के लोकसभा के चुनाव में अजमेर से मैदान में उतरे और विजयी रहे. पायलट 6 सितंबर 2012 को क्षेत्रीय सेना में शामिल हुए. 21 जनवरी 2014 से उन्‍होंने राजस्थान के कांग्रेस के नए प्रदेशाध्‍यक्ष के रूप में पदभार संभाला था.

अशोक गहलोत:

अशोक गहलोत (Photo PTI)

राजस्थान के मुख्यमंत्री रह चुके अशोक गहलोत (Ashok gehlot) आज भी राज्य में पसंदीदा नेताओं की गिनती में आते हैं. कभी छात्रसंघ चुनाव हार चुके गहलोत ने मेहनत और लगन से केंद्रीय मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री जैसे तमाम बड़े पदों तक का सफर तय किया है. अपने 39 साल के राजनैतिक सफर में गहलोत ने कई उतार चढ़ाव देखे. इसी का नतीजा है कि वे अब राजस्थान की राजनीति और जनता को बखूबी पहचान चुके हैं.

ब्राह्मण, क्षत्रिय और जाटों की प्रभाव वाली राजस्थान की राजनीति में 1998 में पहली बार माली समाज से ताल्लुक रखने वाले अशोक गहलोत जब मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने जनता के लिए बहुत कुछ किया. मुख्यमंत्री रहते हुए गहलोत ने पानी बचाओ, बिजली बचाओ, सबको पढ़ाओ का नारा देकर आम लोगों को जागरूक किया था. इसके अलावा वे भारत सेवा संस्थान, के संस्थापक भी है. यह संस्था गरीबों को मुफ्त किताबें और एम्बुलेंस की सुविधा मुहैया कराती है.

वर्तमान में अशोक गहलोत अपनी परंपरागत सीट सरदारपुरा से कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ रहे है. उनका मुकाबला बीजेपी के शंभू सिंह खेतासर से है. राज्य की जनता के लिए कई मुख्य काम करने की वजह से गहलोत पार्टी में राज्य के संभावित मुख्यमंत्री के तौर पर भी देखे जा रहें हैं.

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