राहुल गांधी के पीएम बनाने के सपने को तोड़ सकती है उनकी ही ये सहयोगी पार्टी
ज्ञात हो कि 2014 आम चुनावों में कांग्रेस और डीएमके के बीच गठबंधन नहीं हुआ था. नतीजा यह रहा कि दोनों पार्टियों को एक भी सीट पर जीत हासिल नहीं हुई. तब जयललिता की पार्टी को लोगों का समर्थन हासिल हुआ था.
अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए सभी पार्टियां तैयारी में जुट गई हैं. सभी दल इन चुनावों में बेहतर प्रदर्शन करने के लिए रणनीति बना रहे हैं. सभी राज्यों में नए समीकरण बन और बिगड़ रहे हैं. देश की दो सबसे बड़ी पार्टी बीजेपी और कांग्रेस इस समय क्षेत्रीय गठबंधन पर फोकस कर रही हैं. वहीं, क्षेत्रीय दल भी इन चुनावों में अपने हिसाब से बिसात बिछाने का प्लान बना रहे हैं. तमिलनाडु की क्षेत्रीय पार्टी डीएमके भी कुछ ऐसी ही रणनीति पर काम कर रही है.
हाल ही में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की एक बैठक हुई. इस बैठक में आगामी लोकसभा चुनाव के लिए रणनीति पर मानता किया गया. इस मीटिंग में राज्य में ज्यादा से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने की बात कही गई. ख़बरों की मानें तो डीएमके अपने सहयोगी दल कांग्रेस को कम सीट देना चाहती है. पार्टी राज्य की ज्यादा से ज्यादा सीट जीतकर केंद्र सरकार पर दबाव बनाना चाहती हैं. वैसे कांग्रेस इस पर राजी हो, ऐसा लगभग नामुमकिन ही है.
बता दें कि राज्य में दिवंगत मुख्यमंत्री जयललिता के निधन के बाद एआईएडीएमके में फुट पड़ गई है. इस फुट का फायदा डीएमके उठाना चाहती हैं. ऐसा माना जा रहा है कि अगले आम चुनावों में पार्टी को सूबे की जनता का अच्छा समर्थन भी मिल सकता है. ऐसे में डीएमके का शीर्ष नेतृत्व चाहता है कि ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतकर केंद्र में आने वाली सरकार पर दबाव बनाया जा सके.
ज्ञात हो कि 2014 आम चुनावों में कांग्रेस और डीएमके के बीच गठबंधन नहीं हुआ था. नतीजा यह रहा कि दोनों पार्टियों को एक भी सीट पर जीत हासिल नहीं हुई. तब जयललिता की पार्टी को लोगों का समर्थन हासिल हुआ था.