संसद ने भारतीय विमानपत्तन आर्थिक विनियामक प्राधिकरण संशोधन विधेयक को मंजूरी दी

संसद ने शुक्रवार को भारतीय विमानपत्तन आर्थिक विनियामक प्राधिकरण (संशोधन) विधेयक को मंजूरी दे दी जिसमें ऐसे हवाई अड्डों को ‘‘प्रमुख हवाई अड्डा’’ का दर्जा देने का प्रावधान है जहां एक साल के भीतर 35 लाख से अधिक यात्री आवागमन करते हैं. मूल परिभाषा के अनुसार, एक साल में 15 लाख यात्रियों के आने पर किसी विमान पत्तन को ‘‘प्रमुख हवाई अड्डा’’ माना जाता है.

हरदीप सिंह पुरी (Photo Credit- IANS)

नयी दिल्ली. संसद ने शुक्रवार को भारतीय विमानपत्तन आर्थिक विनियामक प्राधिकरण (संशोधन) विधेयक को मंजूरी दे दी जिसमें ऐसे हवाई अड्डों को ‘‘प्रमुख हवाई अड्डा’’ का दर्जा देने का प्रावधान है जहां एक साल के भीतर 35 लाख से अधिक यात्री आवागमन करते हैं. मूल परिभाषा के अनुसार, एक साल में 15 लाख यात्रियों के आने पर किसी विमान पत्तन को ‘‘प्रमुख हवाई अड्डा’’ माना जाता है. निचले सदन में विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए नागर विमानन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि नरेन्द्र मोदी सरकार देश के हवाई अड्डों का विकास करने और वायु यात्रा की दरों को नीचे रखने के लिए प्रतिबद्ध है.

पुरी ने कहा कि 2006 में मुंबई और दिल्ली के हवाईअड्डों का निजीकरण किया गया था. अब सरकार छह और हवाईअड्डों का निजीकरण करने जा रही है. उन्होंने कहा कि 2006 में जिन दो हवाई अड्डों का निजीकरण किया गया था, वहां से 35 प्रतिशत हवाई यातायात का परिचालन होता है. वहीं जिन छह हवाई अड्डों के निजीकरण की बात की जा रही है, वहां 6 प्रतिशत हवाई यातायात का परिचालन होता है.

उन्होंने कहा कि 2008 में जब यह कानून पारित किया गया था तब देशभर में हवाई यात्रियों की संख्या 11.7 करोड़ सालाना थी जो अब बढ़कर 34.5 करोड़ सालाना हो गयी है.

पुरी ने कहा कि हवाई यात्रियों की बढ़ती संख्या और जरूरतों को देखते हुए ये संशोधन लाये गये हैं. उन्होंने कहा कि शुरू में जब मानक तय किए गये थे तो एक साल में 15 लाख यात्री आने पर उसे प्रमुख हवाई अड्डा का दर्जा दिया गया था. किंतु इस बीच भारत नागर विमानन क्षेत्र का बहुत विस्तार होने के कारण इस परिभाषा को बदलने की आवश्यकता महसूस हुई। ऐसे में इस विधेयक के जरिये इसे बढ़ाकर 35 लाख यात्री कर दिया गया है.

पुरी ने कहा कि छोटे हवाई अड्डों के विकास पर सरकार का खासा ध्यान है. देश में छोटे हवाई अड्डों के विकास के लिये 10 हजार करोड़ रूपये की योजना पर काम चल रहा है और इसे 4 वर्षो में पूरा किया जायेगा.

इस विधेयक के कानून बनने के बाद भारतीय विमान पत्तन आर्थिक विनियामक प्राधिकरण निर्धारित नये हवाई अड्डों के लिए पूर्व निर्धारित शुल्क पर निविदाएं निकाल सकेंगे.

एयर इंडिया का जिक्र करते हुए मंत्री ने कहा कि एयर इंडिया को 20 करोड़ रूपये प्रतिदिन का नुकसान हो रहा है. ऐसे में एयर इंडिया के निजीकरण की पहल की जा रही है। इसके लिये वैकल्पिक व्यवस्था पर काम चल रहा है. उन्होंने कहा कि समग्र रूप से देखें तो वायु किराया कम हुआ है.

शिवसेना के राहुल शिवाले ने कहा कि हवाई अड्डे का प्रबंधन देख रही निजी कंपनियां अतिरिक्त शुल्क वसूल रही हैं, सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए. निर्दलीय नवनीत कौर राणा ने कहा कि निजीकरण होने पर हवाई अड्डे के कर्मचारियों की नौकरियां सुरक्षित रखने की व्यवस्था होनी चाहिए.

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