महाराष्ट्र में 2020 में फिर होंगे चुनाव? कांग्रेस नेता संजय निरुपम ने की भविष्यवाणी, अपने नेताओं से पूछे ये तीखे सवाल
महाराष्ट्र में सियासी घमासान के बीच बीजेपी और शिवसेना का 1980 के दशक के अंत से शुरू हुआ गठबंधन पूरी तरह से टूटने की कगार पर है. विधानसभा चुनाव में जीत के बावजूद भी बीजेपी और शिवसेना में सत्ता साझेदारी पर बात नहीं बन सकी.
मुंबई: महाराष्ट्र (Maharashtra) में सियासी घमासान के बीच बीजेपी (BJP) और शिवसेना (Shiv Sena) का 1980 के दशक के अंत से शुरू हुआ गठबंधन पूरी तरह से टूटने की कगार पर है. विधानसभा चुनाव में जीत के बावजूद भी बीजेपी और शिवसेना में सत्ता साझेदारी पर बात नहीं बन सकी. जिसके बाद शिवसेना ने अपने विरोधियों कांग्रेस और एनसीपी से हाथ मिलाने का फैसला किया है और उनके समर्थन से अगली सरकार के गठन की तैयारी कर रही है. वहीं, इस मिलन पर कई नेता सवाल खड़े कर रहे है.
मुंबई कांग्रेस के पूर्व प्रमुख संजय निरुपम (Sanjay Nirupam) ने सरकार गठन के इस फार्मूले पर कई सवाल दागते हुए तंज कसा है. निरुपम ने सोमवार को ट्वीट किया ‘कोई फर्क नहीं पड़ता कि कौन सरकार बनाता है और कैसे? लेकिन महाराष्ट्र में राजनीतिक अस्थिरता से इंकार नहीं किया जा सकता है. जल्दी चुनाव के लिए तैयार हो जाएं. जो कि 2020 में हो सकता है.’ उन्होंने आगे अपनी पार्टी से सवाल किया कि क्या कांग्रेस सहयोगी के रूप में शिवसेना के साथ आगे चुनाव लड़ेगी?
गौरतलब हो कि रविवार को बीजेपी की ओर से सरकार बनाने से इनकार करने के बाद महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने दूसरी सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते शिवसेना को सरकार बनाने का न्योता दिया. शिवसेना को सोमवार शाम साढ़े सात बजे तक सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए आमंत्रित किया है. ऐसा नहीं होने पर राज्य में राष्ट्रपति शासन लगना तय है.
इससे पहले एनसीपी की शर्त के मुताबिक केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री एवं शिवसेना नेता अरविंद सावंत ने केंद्र की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार से अलग होने की घोषणा की. दरअसल शरद पवार के नेतृत्व वाली पार्टी ने समर्थन के लिए शिवसेना को पहले एनडीए से अलग होने के लिए कहा था. मोदी मंत्रिमंडल में सावंत शिवसेना के इकलौते मंत्री थे.
उल्लेखनीय है कि 21 अक्टूबर के विधानसभा चुनाव के बाद राज्य में पैदा हुए राजनीतिक गतिरोध पर कई बार दोनों दलों के दिग्गज नेताओं के बीच विचार विमर्श के बाद भी समाधान नहीं निकल सका. 24 अक्टूबर को आए नतीजों में राज्य विधानसभा की 288 सीटों में से बीजेपी-शिवसेना गठबंधन को 161 सीटें मिली थी. जिसमें से बीजेपी ने 105 सीटों पर जीत दर्ज की जबकि शिवसेना ने 56, एनसीपी ने 54 और कांग्रेस ने 44 सीटों पर विजय हासिल की. सूबे में सरकार बनाने के लिए 145 विधायकों का समर्थन आवश्यक है.