लोकसभा चुनाव 2019: बिहार में महागठबंधन को झटका, वामपंथी दल बनाएंगे 'तीसरा मोर्चा', बीजेपी को हो सकता है फायदा
वामपंथी (Photo Credit- File Photo)

पटना: लोकसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा के बाद बिहार में विपक्षी दलों के महागठबंधन के बीच सीट बंटवारे को लेकर अभी तक स्थिति स्पष्ट नहीं हुई है. ऐसे में वामपंथी दलों ने एक सीट के राजद के प्रस्ताव को नकार दिया है. इस बीच, दिल्ली में महागठबंधन के नेताओं की बैठक में भी वामपंथी दलों को नहीं बुलाया गया है. ऐसे में यह कयास लगाया जाने लगा है कि महागठबंधन में सम्मानजनक सीटें न मिलने पर वामपंथी दल यहां 'तीसरे मोर्चे' (Third Front) की भूमिका में नजर आ सकते हैं. राजद नेता तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) के आवास पर सीट बंटवारे को लेकर आठ जनवरी को हुई महागठबंधन की बैठक में भी वामपंथी दलों को आमंत्रित नहीं किया गया था.

सूत्रों का कहना है कि राजद ने महागठबंधन की ओर से वामपंथी दलों को एकमात्र आरा लोकसभा (Arrah Lok Sabh) सीट की पेशकश की है, जिसे वाम दलों ने खारिज कर दिया है. जानकार भी कहते हैं कि लोकसभा चुनाव में बिहार में वाम दल भले ही अपनी जमीन तलाश रहे हैं, लेकिन यह भी हकीकत है कि बिहार में करीब सात-आठ सीटों पर उनका जनाधार बरकरार है और नतीजे पर वे असर डालते हैं. बिहार की राजनीति को नजदीक से समझने वाले वरिष्ठ पत्रकार कन्हैया भेल्लारी कहते हैं, "बिहार में वामपंथी दलों का कुछ खास प्रभाव नहीं है, परंतु कुछ सीटें ऐसी हैं, जहां वाम दल चुनाव परिणाम को प्रभावित करते हैं."

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उन्होंने यह भी कहा, "बिहार में जन अधिकार पार्टी जैसे कुछ ऐसे दल भी हैं, जिनसे सीट बंटवारे को लेकर अब तक महागठबंधन के लोगों ने बात नहीं की है. ऐसे में वे दल और वामपंथी तीसरे मोर्चे के रूप में सामने आ सकते हैं." पिछले लोकसभा चुनाव में वाम दलों में एकता नहीं बनी थी, परंतु इस चुनाव में वाम दल साथ हैं, और ऐसे में उनकी ताकत में इजाफा को भी नकारा नहीं जा सकता है. पिछले लोकसभा चुनाव में भाकपा (माले) ने जहां 23 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे, वहीं माकपा छह और भाकपा ने दो सीटों पर अपने-अपने प्रत्याशी चुनाव में उतारे थे. बिहार की आरा, सीवान, बेगूसराय, पाटलीपुत्र, काराकाट, उजियारपुर, मधुबनी सीटों पर वाम दलों का प्रभाव माना जाता है.

भाकपा (माले) के राज्य सचिव कुणाल कहते हैं, "कई दौर की बातचीत के बाद महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर बात नहीं बनी है, मगर बातचीत जारी है. राजद आरा की सीट देने को तैयार है, परंतु इस प्रस्ताव को नामंजूर कर दिया गया है." उन्होंने कहा, "कोई भी वामपंथी दल महागठबंधन का हिस्सा नहीं है. लोकसभा चुनाव में सीटों को लेकर करार नहीं हुआ, तो वाम दल एकजुटता के साथ चुनाव लड़ेंगे, जिसकी तैयारी भी है."

भाकपा के राज्य सचिव सत्यनारायण कहते हैं, "दिल्ली में महागठबंधन की हो रही बैठक की वाम दलों को कोई सूचना नहीं दी गई है. हालांकि उम्मीद है कि महागठबंधन में वामपंथी दलों को शामिल किया जाएगा." सत्यनाराण सीट बंटवारे में सम्मानजनक समझौते की बात करते हैं, "बेगूसराय से कन्हैया कुमार को चुनाव लड़ाने की तैयारी चल रही है. इसमें कोई फेरबदल नहीं हो सकता. सभी जानते हैं कि वामपंथी दलों के बिना भाजपा को हराना मुशिकल है. ऐसे में सम्मानजनक समझौता होना चाहिए."

वहीं, माकपा के राज्य सचिव अवधेश कुमार ने स्पष्ट किया कि महागठबंधन में माकपा को दरकिनार करके सीट बंटवारा हो ही नहीं सकता. व कहते हैं, "पार्टी छह सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है. उजियारपुर सीट पर चुनावी तैयारी जोरों पर है. अभी ज्यादा कुछ कहना जल्दबाजी है, परंतु इतना तय है कि सीट बंटवारे को लेकर सम्मानजनक समझौता नहीं हुआ तो वामपंथी दल एकजुट होकर चुनावी मैदान में उतरेंगे."

राजद उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने कहा, "अभी महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर बातचीत चल रही है. महागठबंधन में बात तय होने के बाद वामपंथी दलों से भी बात की जाएगी." उन्होंने कहा, "वामपंथी दलों को नजरअंदाज करने का सवाल ही नहीं है, क्योंकि हमरा लक्ष्य एक ही है."