संसद का शीतकालीन सत्र: चार राज्यों की नयी जातियों को मिलेगा ST का दर्जा, सदन में पेश हुए ये महत्वपूर्ण बिल
संसद के शीतकालीन सत्र का आज तिसरा दिन रहा. इन दिन दिनों में कई महत्वपूर्ण बिल पेश हुए. आज भी सदन में चार राज्यों की कुछ अन्य जातियों को भी एसटी में शामिल करने का बिल लाया गया
संसद के शीतकालीन सत्र का आज तिसरा दिन रहा. इन दिन दिनों में कई महत्वपूर्ण बिल पेश हुए. आज भी सदन में चार राज्यों की कुछ अन्य जातियों को भी एसटी में शामिल करने का बिल लाया गया. इससे पहले तीसरे दिन लोकसभा में नियम 193 के तहत, भारत में खेलों के संवर्धन की आवश्यकता और सरकार की तरफ से इस दिशा में उठाए गए कदमों के बारे में आगे की चर्चा हुई. इसके साथ ही एंटी पाइरेसी बिल पर भी चर्चा की गई. संसद का शीतकालीन सत्र 29 दिसंबर तक चलेगा. इस दौरान दोनों सदनों की कुल 17 बैठकें होंगी.
आइए जानते हैं अब तक सरकार ने कौन-कौन से बिल सदन में पेश किए है और किस बिल को सदन से मंजूरी मिल चुकी है. चार राज्यों की नयी जातियों को मिलेगा ST का दर्जा जनजातीय मामलों के केन्द्रीय मंत्री अर्जुन मुण्डा ने आज यानि शुक्रवार को चार राज्यों की कुछ जातियों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने के उद्देश्य से लोकसभा में चार विधेयक पेश किया. इन राज्यों में तमिलनाडु, कर्नाटक, छत्तीसगढ़ एवं हिमाचल प्रदेश की कुछ जातियों को शामिल करने के लिए अनुसूचित जनजाति आदेश 1950 में संशोधन किया जाएगा. इन विधेयकों में तमिलनाडु के बारे में संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश (दूसरा संशोधन) विधेयक 2022, हिमाचल प्रदेश के बारे में संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश (तीसरा संशोधन) विधेयक 2022, कर्नाटक के बारे में संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश (चौथा संशोधन) विधेयक 2022 तथा छत्तीसगढ़ के बारे में संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश (पांचवां संशोधन) विधेयक 2022 शामिल रहें. (संशोधन) विधेयक, 2022 सहकारी क्षेत्र में जवाबदेही तय करने और इसकी चुनाव प्रक्रिया में सुधार करने के उदेश्य से सरकार ने बुधवार को लोकसभा में ‘बहु-राज्य सहकारी सोसाइटी (संशोधन) विधेयक, 2022’ पेश किया. लोकसभा में केंद्रीय सहकारिता राज्य मंत्री बी एल वर्मा ने इस विधेयक को पेश किया.
इस विधेयक शासन को मजबूत करने, पारदर्शिता बढ़ाने, उत्तरदायित्व बढ़ाने और बहु-राज्य सहकारी समितियों में चुनावी प्रक्रिया में सुधार लाने के उद्देश्य से पेश किया जा रहा है. इसका मुख्य उद्देश्य निगरानी तंत्र में सुधार करना और बहु-राज्य सहकारी समितियों के लिए व्यापार करने में आसानी सुनिश्चित करना है. आपको बता दें कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बीते 12 अक्टूबर को बहु-राज्य सहकारी समिति अधिनियम में संशोधन को मंजूरी दी थी. इस पहल का मकसद क्षेत्र में जवाबदेही बढ़ाना और चुनाव प्रक्रिया में सुधार करना है. इस समय पूरे देश में 1,500 से अधिक बहु-राज्य सहकारी समितियां हैं. ये समितियां स्वयं-सहायता और पारस्परिक सहायता के सिद्धांतों के आधार पर अपने सदस्यों की आर्थिक और सामाजिक बेहतरी को बढ़ावा देती हैं. राज्यसभा ने वन्य जीव (संरक्षण) संशोधन विधेयक, 2022 पारित किया संसद का शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन यानि गुरुवार को राज्यसभा में वन्य जीवन (संरक्षण) संशोधन विधेयक, 2022 पर आगे की चर्चा जारी रही. चर्चा के बाद बिल को उच्च सदन से पास कर दिया गया.
इस विधेयक का उद्देश्य कानून के तहत संरक्षित अधिक प्रजातियों को शामिल करने के लिए वन्य जीवन (संरक्षण) अधिनियम, 1972 में संशोधन करना है. इस साल की शुरुआत में मानसून सत्र के दौरान लोकसभा ने इस विधेयक पारित किया था. यह विधेयक वन्य जीवों और वनस्पतियों (CITES) की लुप्तप्राय प्रजातियों में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन के तहत भारत के दायित्वों को आगे बढ़ाता है. विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए, केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि विधेयक इसलिए लाया गया क्योंकि CITES को वन्यजीवों के संरक्षण के लिए एक स्वतंत्र ढांचे की आवश्यकता है. पारित होने के बाद, विधेयक धार्मिक और अन्य उद्देश्यों के लिए एक बंदी हाथी के हस्तांतरण या परिवहन की अनुमति देगा. शीतकालीन सत्र में सभी मुद्दों पर चर्चा के लिए सरकार तैयार बुधवार से शुरू हुए संसद के शीतकालीन सत्र से एक दिन पहले मंगलवार को सरकार ने सर्वदलीय बैठक में सभी दलों के नेताओं से सत्र को सुचारू ढंग से चलाने में सहयोग की अपील की. बैठक में सरकार ने स्पष्ट किया कि वह सभी मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार है. सरकार ने शीतकालीन सत्र के दौरान पेश किए जाने वाले 16 विधेयकों की सूची पिछले सप्ताह जारी की थी. बैठक में सदन का कार्य सुचारू रूप से सुनिश्चित करने, सत्र के दौरान विधायी कार्यों सहित इससे जुड़े महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा हो सकती है। सत्र का समापन 29 दिसंबर को होगा. इस सत्र में सरकार ने ज्यादा से ज्यादा काम निपटाने का लक्ष्य रखा है जिसके अंतर्गत सरकार की योजना 23 विधेयकों को पारित कराने की है.