
फरवरी 2025 से जर्मनी के भावी चांसलर कहे जा रहे फ्रीडिरिष मैर्त्स को संसद में हुए मतदान में बेहद चौंकाने वाले हालात का सामना करना पड़ा है. पहले चरण के मतदान में उन्हें पूर्ण बहुमत नहीं मिला.पांच मई की रात, ओलाफ शॉल्त्स को चांसलर पद से आधिकारिक तौर पर विदाई दी गई. विदाई समारोह के भाषण में शॉल्त्स ने फ्रीडरिष मैर्त्स को बधाई और शुभकामनाएं दी. समारोह के समापन के बाद कई नेता मैर्त्स से हाथ मिलाते नजर आए. राजनीति के गलियारों से लेकर मीडिया तक में, यह पक्का माना जा रहा था कि मंगलवार, छह मई की दोपहर तक फ्रीडरिष मैर्त्स जर्मनी के 10वें चांसलर बन जाएंगे.
उनकी ताजपोशी की सारी तैयारियां हो चुकी थीं. गठबंधन के लिए जरूरी गणित, मैर्त्स के पक्ष में था. बहुमत के लिए जरूरी 316 वोटों के बजाए मैर्त्स के कागजों में 328 वोट तय थे. जर्मनी के सबसे ज्यादा पढ़े जाने वाले अखबार बिल्ड त्साइटुंग ने खबर दी कि चांसलर बनने के बाद रात को आयोजित होने वाली पार्टी के लिए मैर्त्स ने अपने इलाके की बीयर भी मंगाई है. न्योते भी भेजे जा चुके थे. अब बस औपचारिकता मानी जा रही प्रक्रिया को फॉलो करना था.
आधिकारिक प्रक्रिया के तहत मैर्त्स मंगलवार सुबह नौ बजे संसद के निचले सदन बुंडेसटाग पहुंचे. सदन में बहुमत साबित करने के बाद उन्हें राष्ट्रपति के आवासीय कार्यालय में पहुंचना था. तयशुदा माने जा रहे प्लान के मुताबिक, राष्ट्रपति फ्रांक वाल्टर श्टाइनमायर उन्हें नियुक्ति पत्र देते. इसके बाद मैर्त्स वापस संसद लौटते और बुंडेसटाग में नए चांसलर के तौर पर पद की शपथ लेते.
मैर्त्स के सामने अब क्या विकल्प हैं
लेकिन मैर्त्स को बुंडेसटाग में पूर्ण बहुमत नहीं मिला. पहले चरण की वोटिंग में उन्हें 310 वोट ही मिले. यह संख्या पूर्ण बहुमत से छह वोट कम है. जर्मनी की संसद में कुल 630 सदस्य हैं. मैर्त्स के गठबंधन में शामिल सीडीयू/सीएसयू और एसपीडी के पास 328 सांसद या वोट हैं. मैर्त्स बहुमत क्यों नहीं जुटा सके, वोटिंग में कहां गड़बड़ी हुई, यह अभी साफ नहीं हुआ है. लेकिन इतना तय हो गया है कि फरवरी से चांसलर इन वेटिंग कहे जाने वाले मैर्त्स को अभी कुछ और इंतजार करना पड़ेगा.
जर्मनी के संसदीय इतिहास में यह पहला मौका है जब चांसलर पद का कोई दावेदार सदन में बहुमत साबित नहीं कर सका है.
जर्मनी के कानून के मुताबिक पहले चरण में पूर्ण बहुमत साबित न कर पाने पर दूसरे चरण की वोटिंग होगी. बुंडेसटाग के पास अभी अगला चांसलर उम्मीदवार चुनने के लिए 14 दिन हैं. अगर दूसरे चरण में भी पूर्ण बहुमत नहीं मिला तो चुनावी प्रक्रिया तीसरे चरण में दाखिल होगी, जहां चांसलर चुने जाने के लिए सामान्य बहुमत पर्याप्त होगा. और अगर तब भी बहुमत न मिले तो तुरंत नए चुनाव कराने होंगे.
डीडब्ल्यू के अंतरराष्ट्रीय मामलों के मुख्य संवाददाता रिचर्ड वॉकर के मुताबिक, अगर जल्द ही दूसरे चरण की वोटिंग हुई तो मैर्त्स को कोई समस्या नहीं होगी, "लेकिन अगर इसे लेकर प्रक्रिया लंबी खिंची तो फिर सवाल उठेंगे."
पहले राउंड की वोटिंग में मिली निराशा के बाद मैर्त्स, सीडीयू और सीएसयू के वरिष्ठ नेताओं के साथ बाहर निकल गए. रिपोर्टों के मुताबिक अब कंजर्वेटिव धड़े के सीनियर नेताओं की इमरजेंसी मीटिंग हो रही है.
जर्मन न्यूज वेबसाइट और पत्रिका डेय श्पीगेल के मुताबिक, दूसरे चरण की वोटिंग के लिए अब गठबंधन एक तरह की अनिवार्य उपस्थिति की शर्त रखेगा. कहा जा रहा है कि सेकेंड राउंड की वोटिंग शुक्रवार 9 मई को हो सकती है.