उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने उपराज्यपाल अनिल बैजल को लिखा पत्र, कहा- दिल्ली सरकार के मामलों पर फैसला न लें
मनीष सिसोदिया (Photo Credits-ANI)

दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने शनिवार को दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल को पत्र लिखकर दिल्ली सरकार के दायरे में आने वाले विषयों पर फैसला नहीं लेने का आग्रह किया. आम आदमी पार्टी के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार और केंद्र द्वारा नियुक्त उपराज्यपाल के बीच गतिरोध 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों और इस साल गणतंत्र दिवस पर किसानों की ट्रैक्टर रैली से संबंधित मामलों में विशेष लोक अभियोजकों की नियुक्ति को लेकर आया है.

सिसोदिया ने अपने पत्र में कहा कि उपराज्यपाल दिल्ली सरकार के विभिन्न विभागों के अधिकारियों के साथ बैठकों की अध्यक्षता कर रहे हैं और संबंधित मंत्रियों को सूचित किए बिना उन्हें निर्देश दे रहे हैं. सिसोदिया ने पत्र में लिखा है, "यह भी मेरे संज्ञान में आया है कि उपराज्यपाल कार्यालय के अधिकारी दिल्ली सरकार के अधिकारियों पर उपराज्यपाल द्वारा जारी निर्देशों का पालन करने का दबाव बना रहे हैं. यह भी पढ़े: Delhi Vaccine Update: उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बताया- दिल्ली में वैक्सीन की सप्लाई लगभग खत्म, कल के बाद अधिकतर सेंटर में नहीं होगी वैक्सीन

उन्होंने लिखा, "मैंने आपको यह पत्र लिखने से पहले कई बार सोचा, लेकिन यह व्यक्तिगत संबंधों के बारे में नहीं, बल्कि लोकतंत्र की सुरक्षा के बारे में है. अगर केंद्र नियुक्त-एलजी चुनी हुई सरकार को दरकिनार कर हर विषय पर अपने दम पर निर्णय लेना शुरू कर देगा, तो लोकतांत्रिक व्यवस्था जो हमने वर्षो से लड़कर हासिल की है, नष्ट हो जाएगी.

सिसोदिया ने कहा कि संविधान में कहीं भी इसका उल्लेख नहीं है कि केंद्र द्वारा नियुक्त-एलजी बैठकें बुलाएंगे और मनमाने फैसले पारित करेंगे और अधिकारियों को उन विषयों पर निर्देशों का पालन करने के लिए मजबूर करेंगे जो सीधे चुनी हुई सरकार के अंतर्गत आते हैं.

सिसोदिया ने पत्र में आगे लिखा, "संविधान आपको तीन विषयों पर निर्णय लेने की अनुमति देता है - पुलिस, भूमि और सार्वजनिक व्यवस्था और इन तीन विषयों के अलावा, चुनी हुई सरकार अपने निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र है। राष्ट्रीय राजधानी के एलजी होने के नाते, आपके पास निर्वाचित सरकार द्वारा लिए गए निर्णय को रोकने का वीटो पावर है.

सिसोदिया ने 4 जुलाई, 2018 को आए सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला दिया, जिसमें लिखा है, "दिल्ली के एनसीटी के उपराज्यपाल मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह से बंधे हैं और यह स्थिति तब तक सही है, जब तक उपराज्यपाल अनुच्छेद 239एए के खंड (4) के प्रावधान के तहत अपनी शक्ति का प्रयोग नहीं करते। एक उपराज्यपाल को कोई स्वतंत्र निर्णय लेने की शक्ति नहीं सौंपी गई है। उसे या तो मंत्रिपरिषद की 'सहायता और सलाह' पर कार्य करना होगा या वह उनके द्वारा दिए संदर्भ पर राष्ट्रपति द्वारा लिए गए निर्णय को लागू करने के लिए बाध्य है.