चार दशक के राजनीतिक सफर में CM भूपेश बघेल की रही है दमदार छवि, अपनी कर्मठता से बने ‘जन नेता’
छत्तीसगढ़ के सबसे लोकप्रिय नेता बन चुके मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का जन्म 23 अगस्त 1961 को तत्कालीन मध्य प्रदेश के दुर्ग (Durg) जिले में एक किसान परिवार में हुआ था. कुर्मी क्षत्रिय समाज से ताल्लुक रखने वाले बघेल की छवि राज्य में कर्मठ और जुझारू नेता की रही है.
रायपुर: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के सबसे लोकप्रिय नेता बन चुके मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) का जन्म 23 अगस्त 1961 को तत्कालीन मध्य प्रदेश के दुर्ग (Durg) जिले में एक किसान परिवार में हुआ था. कुर्मी क्षत्रिय समाज से ताल्लुक रखने वाले बघेल की छवि राज्य में कर्मठ और जुझारू नेता की रही है. छत्तीसगढ़ में कांग्रेस (Congress) संगठन को मजबूत करने में बघेल का अहम योगदान रहा है. दुर्ग जिले के पाटन विधानसभा क्षेत्र से पांचवीं बार विधायक चुने गए बघेल अक्टूबर 2014 में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए थे. उन्होंने अपनी सधी हुई रणनीति से 15 साल से राज्य की सत्ता पर काबिज रमन सिंह के नेतृत्ववाली बीजेपी सरकार को उखाड़ फेंक दिया. विधानसभा की 90 सीटों में से कांग्रेस को 68 सीटें मिली, जबकि बीजेपी धराशाही हो गई. छत्तीसगढ़ सरकार के दो वर्ष पूरे, CM भूपेश बघेल की उपलब्धियों को हजारों लोगों ने देखा, योजनाओं को समझा और सराहा
सीएम भूपेश बघेल ने रायपुर के पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय से एमए की डिग्री ली है. भूपेश बघेल के पिता का नाम नन्द कुमार बघेल और माता का नाम बिंदेश्वरी बघेल है. प्रसिद्ध हिंदी साहित्य लेखक डॉ नरेंद्र देव वर्मा भूपेश बघेल के ससुर है. आध्यात्मिक गुरु स्वामी आत्मानंद की भतीजी मुक्तेश्वरी बघेल उनकी पत्नी है. बेहतरीन राजनीतिज्ञ होने साथ ही भूपेश बघेल चार बच्चों (एक बेटा और तीन बेटियां) के पिता भी है.
धाकड़ नेता के तौर पर पहचान
वर्तमान में सीएम भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ राज्य कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष भी हैं. छत्तीसगढ़ की 2.55 करोड़ की आबादी में 52 फीसदी लोग ओबीसी समुदाय के हैं. उनके बीच बघेल की अच्छी-खासी पकड़ हैं. 17 दिसंबर 2018 को भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ के तीसरे मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. खास बात यह रही कि बघेल की लोकप्रियता के कारण मुख्यमंत्री के रूप में उनका चयन निर्विरोध और निर्विवाद रहा.
फिर खड़ा किया कांग्रेस को
60 वर्षीय भूपेश बघेल ने प्रदेश कांग्रेस की कमान तब संभाली, जब मई 2013 में नक्सलियों ने झीरम घाटी से गुजरते कांग्रेस के काफिले पर हमला कर तब के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, महेंद्र कर्मा, पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल सहित लगभग 25 बड़े नेताओं की हत्या कर दी थी. हिंसापूर्ण तरीके से पार्टी के शीर्ष नेताओं का सफाया कर दिए जाने के बाद बघेल ने जिस कुशलता के साथ पार्टी को फिर से खड़ा किया और कांग्रेस को सत्ता में लेकर आये, वह काबिले तारीफ हैं.
अविभाजित मध्य प्रदेश से सियासी सफर शुरू
भूपेश बघेल का सियासी सफर अविभाजित मध्य प्रदेश में 80 के दशक में ही शुरू हो गया था. 1985 में बघेल भारतीय युवा कांग्रेस में शामिल हुए और 1990 से 1994 तक दुर्ग यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष रहे. इसके साथ ही उन्हें 1994-95 में मध्य प्रदेश यूथ कांग्रेस का उपाध्यक्ष बनाया गया. यूथ कांग्रेस अध्यक्ष और प्रदेश उपाध्यक्ष रहते भूपेश बघेल 1993 में पहली बार पाटन (दुर्ग) से कांग्रेस प्रत्याशी घोषित किए गए और जीत दर्ज की. उन्होंने बीएसपी के केजूराम वर्मा को करीब 3000 वोट से पराजित किया. इस जीत के साथ ही उनका सियासी सफर शुरू हुआ.
दिग्विजय सिंह की सरकार में पहली बार बने मंत्री
साल 1993 के बाद 1998 में भी उन्होंने पाटन विधानसभा सीट से जीत दर्ज की. इस जीत के साथ ही भूपेश बघेल कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह की सरकार में दिसंबर 1998 में पहली बार कैबिनेट मंत्री बने थे. इसके बाद 1999 में उन्हें परिवहन मंत्री बना दिया गया.
छत्तीसगढ़ के बने पहले राजस्व मंत्री
पहली नवंबर, 2000 को जब छत्तीसगढ़ राज्य बना, तो भूपेश बघेल फिर कैबिनेट मंत्री बने. वह अजीत जोगी के मंत्रिमंडल में मंत्री रहे थे. उन्हें राज्य का पहला राजस्व मंत्री बनाया गया था. वर्ष 2003 में जब छत्तीसगढ़ में बीजेपी की सरकार आई, तो उन्हें विपक्ष में उपनेता बनाया गया था. उन्होंने 2008 तक छत्तीसगढ़ विधानसभा में विपक्ष के उप नेता के तौर पर अपनी धाक जमाये रखा.