
डॉनल्ड ट्रंप की धमकियों ने कनाडा में लिबरल पार्टी को सत्ता और नई सांस दी है. नव निर्वाचित प्रधानमंत्री कार्नी खुद को ट्रंप से निपट सकने वाले नेता के रूप में पेश करने में सफल हुए हैं.कनाडा में लिबरल पार्टी के नेता मार्क कार्नी ने संसदीय चुनावों में एक बड़ी राजनीतिक वापसी करते हुए सत्ता बरकरार रखी है. लगभग सभी वोटों की गिनती पूरी हो चुकी है. सामने आए नतीजों में कार्नी की लिबरल पार्टी ने 168 सीटें जीतीं हैं.
वहीं, तीन महीने पहले तक सर्वेक्षणों में आगे चल रही कंजरवेटिव पार्टी को 144 सीटें मिली हैं. कंजरवेटिव नेता पियरे पोइलीव्रे, जो तीन महीने पहले तक बड़ी जीत और पद के दावेदार माने जा रहे थे, वो भी ओंटारियो में अपनी सीट हार गए.
कार्नी की जीत में ट्रंप की धमकियों की भूमिका
बीते नौ साल से कनाडा में सरकार चला रही लिबरल पार्टी, जनवरी के सर्वे में 20 प्रतिशत अंकों से पीछे थी. उसी समय जस्टिन ट्रूडो ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफे की घोषणा की थी. तब ट्रंप ने अपने उत्तरी पड़ोसी कनाडा पर टैरिफ लगाने और अमेरिका में उसको मिला लेने की धमकियां देनी शुरू की थीं.
ऐसी राजनीतिक उथल-पुथल के बीच चुनावों से चंद हफ्ते पहले मार्च 2025 में कार्नी, कनाडा के 24वें प्रधानमंत्री बने. पीएम बनने के बाद उन्होंने राजनीतिक परंपरा तोड़ते हुए अमेरिका के बजाए पहले विदेशी दौरे के लिए यूरोप को चुना.
कनाडा और ब्रिटेन के केंद्रीय बैंक के प्रमुख रह चुके कार्नी ने प्रचार के दौरान खुद को आर्थिक मामलों के अनुभवी नेता के रूप में पेश किया. ट्रंप की धमकियों के बीच इसका स्पष्ट असर दिखा. ट्रंप ने हाल ही में कहा था कि वह कनाडाई कारों पर 25 फीसदी टैरिफ लगा सकते हैं और कनाडा को 51वां अमेरिकी राज्य बनाने के लिए "आर्थिक बल" का इस्तेमाल कर सकते हैं.
पोलिंग फर्म, एंगस रीड इंस्टीट्यूट की अध्यक्ष शाची कर्ल ने कहा, "यह 'कंजर्वेटिव के सिवा कोई भी' की भावना थी, ट्रंप के टैरिफ का प्रभाव था, और ट्रूडो के इस्तीफे ने वामपंथी और पारंपरिक लिबरल वोटरों को पार्टी की ओर वापस खींचा."
कार्नी ने ट्रंप की टैरिफ नीति के खिलाफ सख्त रुख अपनाने का वादा किया. प्रचार के दौरान उन्होंने कहा कि कनाडा को अमेरिका से निर्भरता घटाने के लिए अरबों डॉलर खर्च करने पड़ सकते हैं.
विजेता कार्नी ने अमेरिका पर साधा निशाना
जीत के बाद नव निर्वाचित पीएम कार्नी ने कहा, "हम अमेरिकी धोखे के सदमे से उबर चुके हैं, लेकिन हमें इसकी सीख कभी नहीं भूलनी चाहिए." राजधानी ओटावा में समर्थकों और पार्टी अधिकारियों के बीच जोश से लबरेज कार्नी ने यह भी एलान किया कि उनका देश अमेरिका के साथ जारी इस कारोबारी युद्ध को जीतेगा. हालांकि, उन्होंने देशवासियों को आगाह किया कि आने वाले दिन चुनौती भरे हो सकते हैं.
60 साल के मार्क कार्नी के मुताबिक, द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से जिस मुक्त वैश्विक व्यापार प्रणाली पर कनाडा निर्भर रहा है, वह अब खत्म हो रही है, "यह एक त्रासदी है, लेकिन अब यही हमारी नई हकीकत है."
यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला फोन डेय लायन ने कार्नी को जीत की बधाई दी है. फोन डेय लायन ने लिखा, "यूरोप और कनाडा के बीच मजबूत संबंध और भी मजबूत होते जा रहे हैं."
साल 2013 से 2020 तक बैंक ऑफ इंग्लैंड के पहले गैर-ब्रिटिश गर्वनर रह चुके कार्नी की जीत के बाद ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने भी बधाई दी. स्टार्मर ने कहा कि वह कनाडा के साथ रक्षा, सुरक्षा, व्यापार और निवेश पर सहयोग को जारी रखना चाहते हैं.
कनाडा में अल्पमत सरकारें आमतौर पर ढाई साल से अधिक नहीं टिकती हैं. अगर कार्नी वामपंथी न्यू डेमोक्रैट्स और ग्रीन पार्टी से गठजोड़ कर लेते हैं, तो एक मजबूत बहुमत जुटा सकते हैं.
ट्रूडो के जाने के बाद क्या अब सुधर जाएंगे भारत-कनाडा के रिश्ते?
कंजर्वेटिव पार्टी के नेता पियरे पोइलीवर ने हार स्वीकार करते हुए कहा कि उनकी पार्टी सरकार की जवाबदेही तय करती रहेगी. इन चुनावों में न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (एनडीपी) को भी हार का सामना करना पड़ा. पार्टी के प्रमुख जगमीत सिंह ने मंगलवार, 29 अप्रैल को इस्तीफा दे दिया. वह लिबरल पार्टी के उम्मीदवार के सामने अपनी सीट बचाने में नाकाम रहे.
ओएसजे (एपी, डीपीए, रॉयटर्स)