बिहार: RSS की जांच मामले पर मचे सियासी बवाल में कूदीं राबड़ी देवी, पीएम मोदी और नीतीश कुमार को लेकर कही ये बात
बिहार पुलिस की स्पेशल ब्रांच की ओर से आरएसएस के पदाधिकारियों के बारे में विवरण जुटाने से संबंधित निर्देश को लेकर पूर्व में जारी एक पत्र के बारे में जानकारी सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद राबड़ी देवी ने कहा कि सूबे में आरएसएस की जड़ें नीतीश कुमार ने ही मजबूत की है.
बिहार पुलिस (Bihar Police) की स्पेशल ब्रांच की ओर से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के पदाधिकारियों के बारे में विवरण जुटाने से संबंधित निर्देश को लेकर पूर्व में जारी एक पत्र के बारे में जानकारी सोशल मीडिया (Social Media) पर वायरल होने के बाद राज्य में सियासी बवाल मचा है. इस बीच, बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री और विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष राबड़ी देवी (Rabri Devi) का कहना है कि सूबे में आरएसएस की जड़ें नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने ही मजबूत की है. उन्होंने कहा कि बीजेपी (BJP) और जेडीयू (JDU) के संबंधों में शुरुआत से ही खटपट है. राबड़ी देवी ने कहा कि नीतीश कुमार के पास खुफिया जांच करने का अधिकार है. जो करना है, करें. इसमें दूसरे दलों को कुछ बोलने की जरूरत नहीं है.
दरअसल, बिहार पुलिस की स्पेशल ब्रांच के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक द्वारा बीते 28 मई को लिखे गए पत्र में आरएसएस और उसके 19 सहयोगी संगठनों के जिला स्तर के पदाधिकारियों के नाम, पता, टेलीफोन नंबर और व्यवसाय को लेकर एक रिपोर्ट मांगी गई थी और प्राप्तकर्ताओं को अपनी रिपोर्ट एक सप्ताह के भीतर जमा करने के लिए कहा गया था. हालांकि, बिहार के उप-मुख्यमंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने ट्वीट कर कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री, पुलिस महानिदेशक, अपर पुलिस महानिदेशक को स्पेशल ब्रांच के आदेश के बारे में कोई जानकारी नहीं है और शरारत करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा. यह भी पढ़ें- बिहार: राबड़ी देवी का नीतीश कुमार पर वार, कहा- सरकार के निक्कमेपन के चलते बाढ़ पीड़ित चूहा खाने को मजबूर
उधर, बिहार विधान परिषद में बीजेपी सदस्य और पार्टी के मीडिया सेल के राष्ट्रीय प्रभारी संजय मयूख ने बुधवार को इस मामले को सदन में उठाते कहा कि सरकार को इस संदर्भ में स्पष्ट बयान देना चाहिए. वहीं, बिहार विधान परिषद में बीजेपी के एक अन्य सदस्य सच्चिदानंद राय ने कहा कि हमारी पार्टी को सीएम नीतीश कुमार के इरादों से सावधान रहना चाहिए, जिनके पास गृह विभाग का भी प्रभार है. हमें पत्र लिखे जाने के समय को ध्यान में रखना चाहिए जो कि उसी समय के आस-पास का है जब उन्होंने एनडीए के एक सहयोगी के रूप में लोकसभा चुनाव लड़ने के बावजूद केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार में शामिल होने से इनकार कर दिया था.
भाषा इनपुट